औरंगाबाद/कुटुंबा. प्रकृति में रोहिणी नक्षत्र का खास महत्व है. इस नक्षत्र में हल प्रवहन और भूमि पूजन के साथ कृषि कार्य शुभारंभ किया जाता है. इस बार आज 25 मई यानी रविवार को अपराह्न 1:45 बजे भगवान सूर्य रोहिणी नक्षत्र पर प्रवेश कर जायेंगे. उसके बाद अगले दिन सोमवार 26 मई की शाम 5: 54 बजे से नौतपा की शुरुआत हो जायेगी. नौतपा में नौ दिनों तक काफी गर्मी पड़ती है. हालांकि, हाल में अरब सागर व बंगाल की खाड़ी में तूफान का असर है. इस वजह से विगत एक सप्ताह से बिहार के अन्य जिलो समेत औरंगाबाद के विभिन्न क्षेत्रो में बेमौसमी बारिश हो रही है. आकाश में काले बादल उमड़-घुमड़ रहे है. इस बीच मेघगर्जन के साथ कभी हल्की तो कभी मध्यम तो कहीं झमाझम बारिश हो रही है. ज्योतिर्विद डॉ हेरम्ब कुमार मिश्र ने बताया कि रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत होने के साथ सूर्य धरती के काफी नजदीक चले आते हैं. सूर्य की तीखी किरणें सीधे धरती पर पड़ती हैं. ऐसे में अत्यधिक गर्मी पड़ना स्वाभाविक है. नौतपा के दौरान धरती पर रहने वाले जीव जंतु गर्मी से अत्यंत व्याकुल हो जाते हैं. हिंदू धर्म में रोहिणी नक्षत्र को सितारों की देवी कहा जाता है. इनका दूसरा नाम लाल देवी भी है. रोहिणी पर चंद्रमा का पूर्ण शासन चलता है. किसान वर्ग बेसब्री से रोहिणी नक्षत्र का बाट जोहते हैं. कृषि कार्य के लिए इस नक्षत्र को काफी महत्व दिया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस नक्षत्र में खेतों में किया गया बीजारोपण कृषि कार्य के लिए काफी सफल होता है. लंबी प्रभेद वाले धान की फसल लगाने के लिए नर्सरी की तैयारी शुरू हो जाती है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार 150 से लेकर 160 दिनों में तैयार होने वाला धान के बीज बुवाई रोहिणी नक्षत्र में हो जानी चाहिए. 25 मई से लेकर आठ जुन तक नर्सरी तैयार करने पर नवंबर में फसल की कटनी हो जाती है. यहीं नहीं फसल की उपज भी काफी अच्छी होती है. इसके साथ हीं ससमय रबी फसल की बुवाई हो जाती है. मौसम वैज्ञानिक डॉ अनूप कुमार चौबे ने बताया कि अभी दो तीन दिनों तक मौसम में इसी तरह से उतार-चढ़ाव होते रहेगा. नौतपा से हीं आगामी वर्षा का अनुमान किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि नौतपा में पूरी गर्मी पड़ने पर उस वर्ष बरसात का अच्छी होती है. गर्मी कम पड़ने पर बरसात के दिनों में अपेक्षाकृत कम बारिश होती है. कृतिका नक्षत्र अंतिम चरण में है. इस नक्षत्र की बारिश खरीफ फसल के लिए शुभ संकेत नहीं है. कृतिका नक्षत्र की बारिश छह नक्षत्रों को प्रभावित करती है. वहीं धरती पर विषधर जीव जंतु अधिक सक्रिय हो जाते है. वैदिक व लौकिक दृष्टिकोण से रोहिणी नक्षत्र की बारिश से कृतिका नक्षत्र का नकारात्मक प्रभाव समाप्त हो जाता है.
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