आर्द्रा के अंतिम रविवार को भगवान सूर्य के जयघोष से गूंजा देव, हजारों श्रद्धालुओं ने की पूजा-अर्चना सुख-समृद्धि की कामना के साथ श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब प्रतिनिधि, देव. आर्द्रा नक्षत्र के अंतिम रविवार को देव स्थित पौराणिक सूर्य मंदिर में आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा. अहले सुबह से देर शाम तक मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आयी. पता चला कि आर्द्रा नक्षत्र के अंतिम रविवार को लगभग 80 हजार से ऊपर श्रद्धालुओं ने भगवान सूर्य का दर्शन-पूजन किया. वैसे आर्द्रा नक्षत्र में धार्मिक अनुष्ठान पूजा-पाठ, यज्ञ का विशेष महत्व माना जाता है. अगर, इस नक्षत्र में रविवार और मंगलवार हो, तो इसका महत्व और बढ़ जाता है. मंदिर के अलावे पवित्र सूर्यकुंड तालाब में स्नान व अर्घ दान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ नजर आयी. हालांकि, दोपहर में हल्की बारिश भी हुई. इसके बावजूद श्रद्धालुओं की लंबी कतार मंदिर में लगी रही. स्नान करने के उपरांत सैकडों श्रद्धालुओं ने भगवान सूर्य को दंडवत भी किया. आधे किलोमीटर की दूरी दंडवत देते तय की. दर्शन करने में श्रद्धालुओं को परेशानी न हो, इसका पुलिस प्रशासन ने पूरा ख्याल रखा और सारे वाहन को थाना के समीप रामलीला मैदान में खड़ा कराया. श्रद्धालुओं को वहां से पैदल यात्रा करा भगवान सूर्य का दर्शन-पूजन करने में सहयोग किया. मंदिर परिसर में प्रवेश के लिए दो लाइन बनायी गयी थी. एक पुरुष के लिए, तो दूसरी महिलाओं के लिए. सूर्य मंदिर न्यास समिति ने अपनी बेहतर सेवा से आने वाले श्रद्धालुओं का ख्याल रखा. वे बार-बार मंदिर परिसर से महिलाओं को सचेत कर रहे थे कि वे जेवर पहन कर नहीं आएं. हालांकि, थानाध्यक्ष कुमार सौरभ स्वयं सुरक्षा की मॉनीटरिंग करने में लगे थे. सांस लेने में आयी परेशानी मंदिर के अंदर दर्शनार्थियों की भीड़ के कारण सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी. श्रद्धालुओं को प्रधान पुजारी आचार्य राजेश पाठक, सुभाष पाठक, अमित पाठक, कमलाकांत पांडेय आदि ने पूजा-अर्चना करायी. न्यास समिति के सचिव विश्वजीत राय, कोषाध्यक्ष सुधीर सिंह व सदस्य योगेंद्र सिंह ने कहा कि कृषि कार्य की शुरुआत आर्द्रा नक्षत्र में होता है. इस कारण श्रद्धालु भगवान सूर्य से अच्छी फसल की भी कामना करते हैं. श्रद्धालुओं को किसी भी तरह का कष्ट न हो, इसके लिए मंदिर प्रशासन हमेशा तत्पर रहता है. गर्भ गृह को वातानुकूलित कर दिया गया है. हर मनोकामना होती है पूरी सूर्य मंदिर पौराणिक है, इसे संजोकर रखना हम सभी का कर्तव्य है. मुख्य पुजारी आचार्य राजेश पाठक ने बताया कि देव सूर्य मंदिर और सूर्यकुंड की काफी पौराणिकता है. भगवान सूर्य के दर्शन-पूजन से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. श्रद्धालुओं ने बताया कि देव में सूर्य मंदिर काफी पौराणिक है. कार्तिक व चैत मास में छठ व्रत करने देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. ज्ञात हो कि देव सूर्य मंदिर अराधना के लिए पूरे देश में विख्यात है. यहां ब्रह्मा, विष्णु व महेश रूपी एकादश सूर्य हैं. वन-वे रास्ते से मिली राहत प्रशासन की ओर से वन-वे रूट लागू करने के बाद श्रद्धालुओं को आवागमन में काफी राहत मिली. भक्तों व स्थानीय लोगों ने प्रशासन के निर्णय का स्वागत किया है. देव थाना मोड़ से गुजरने वाले वैसे चारपहिया वाहन जिसकी पूजा नहीं करानी थी, उसे रानी तालाब के पास रोक दिया गया. वाहनों की पूजा कराने वाले श्रद्धालु रसीद कटा कर आगे हॉस्पिटल मोड़ से कन्हैया मोड़ पोखरा-कंवल तनुज मोड़ होते पार्किंग स्थल किला मैदान के पास तक गये. उसी जगह पर वाहनों की पूजा करायी. हॉस्पिटल मोड़ से सूर्य मंदिर से आने वाले वाहन के लिए वन-वे रखा गया. बिना रसीद वाले वाहनों को कंवल तनुज मोड़ पर रोक दिया गया. चांदनी चौक मोड़ मस्जिद की ओर से सूर्य मंदिर की ओर जाने वाले वाहनों को चांदनी चौक से पोखर की ओर मोड़ दिया गया. बिना रसीद वाले वाहन पोखर के पास पार्किंग किये गये. सूर्य मंदिर के आगे बाइक जो पूजा कराने के लिए लायी गयी, उसके लिए सूर्य मंदिर के समीप बैरिकेडिंग लगाकर व्यवस्था बनायी गयी थी.
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