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कुटुंबा में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल, 214 स्वीकृत पदों में 130 पद रिक्त

चिकित्सकों की भारी कमी, मरीजों को हो रही परेशानी

चिकित्सकों की भारी कमी, मरीजों को हो रही परेशानी

विश्वनाथ पांडेय, अंबा.

बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलायी जा रही है़ अस्पतालों में आधुनिक संसाधन उपलब्ध कराये जा रहे हैं और भवन निर्माण का कार्य भी जारी है़ लेकिन केवल संसाधनों और आलीशान भवनों से बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था की कल्पना नहीं की जा सकती़ इसके लिए चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों की भी समुचित उपस्थिति जरूरी है़ दुर्भाग्यवश, कुटुंबा प्रखंड में स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी है़ प्राप्त जानकारी के अनुसार, यहां कुल 214 पद स्वीकृत हैं, जिनमें मात्र 84 पदों पर ही कर्मी कार्यरत हैं, जबकि 130 पद रिक्त पड़े हैं. यानी स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल 39 प्रतिशत पर ही नियुक्ति हुई है. डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी के कारण मरीजों को इलाज कराने में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. हालत यह है कि लोग अब सरकारी अस्पतालों के बजाय निजी क्लिनिकों की ओर रुख कर रहे हैं, जबकि संसाधनों की दृष्टि से सरकारी अस्पताल निजी अस्पतालों से कहीं बेहतर हैं. अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी से एक-एक चिकित्सक को दिन-रात ड्यूटी करनी पड़ रही है. कई बार लगातार दो से तीन दिन तक सेवा देनी पड़ती है, जिससे उनकी भी तबीयत बिगड़ रही है. कई चिकित्सक व्यवस्था से निराश होकर दबी जुबान में असंतोष जता रहे हैं.

ओपीडी में रोज़ाना पहुंचते हैं ढाई सौ मरीज

रेफरल अस्पताल, कुटुंबा में प्रतिदिन औसतन 250 मरीज ओपीडी में इलाज के लिए आते हैं, जबकि 25 से 30 मरीज इमरजेंसी सेवा का लाभ उठाते हैं. ऐसे में महज एक या दो चिकित्सकों पर पूरा भार आ जाता है. इससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है. यहां चिकित्सा पदाधिकारी के लिए 27 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से मात्र दो पदों पर नियुक्ति हुई है. डॉ नवल किशोर सिंह प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी हैं, जिन्हें मरीजों के इलाज के साथ-साथ विभागीय बैठकों, रिपोर्टिंग और समन्वय जैसे प्रशासनिक कार्य भी देखने पड़ते हैं. वहीं, डॉ आकांक्षा सिंह महिला चिकित्सा पदाधिकारी के रूप में कार्यरत हैं. आयुष चिकित्सा पदाधिकारी के सातों स्वीकृत पद भरे हुए हैं. वहीं, दंत चिकित्सक के दो स्वीकृत पदों में से एक पर डॉ सुचित कुमार पांडेय कार्यरत हैं. फार्मासिस्ट के 11 स्वीकृत पदों में एक भी पद पर नियुक्ति नहीं है. ग्रेड ”ए” नर्स के चार में से तीन पदों पर कर्मी कार्यरत हैं.

एएनएम के 30 पद खाली

कुटुंबा क्षेत्र के विभिन्न स्वास्थ्य उपकेंद्रों में एएनएम के 70 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 40 पर नियुक्तियां हुई हैं, जबकि 30 पद रिक्त हैं. परिचारिका के 10 पदों में एक भी पदस्थापना नहीं हुई है. लिपिक श्रेणी के 10 में से 5 पद भरे हैं. बुनियादी स्वास्थ्य कार्यकर्ता के तीन में से दो पद रिक्त हैं. वर्षों से मलेरिया निरीक्षक और स्वच्छता निरीक्षक के पद भी खाली पड़े हैं. चालक, शल्य कक्ष सहायक, एक्स-रे टेक्नीशियन, कंप्यूटर ऑपरेटर और भंडारपाल जैसे अहम पदों पर भी कोई नियुक्ति नहीं है.

पदस्थापना के बाद डॉक्टर छोड़ देते हैं सेवा

प्राप्त जानकारी के अनुसार, कुटुंबा में पहले कई डॉक्टरों की पदस्थापना हुई थी, लेकिन उच्च शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से वे सेवा छोड़कर चले गये. ऐसे डॉक्टरों में डॉ राजीव कुमार, डॉ हर्षवर्धन, डॉ रवि रंजन, डॉ जयंती कुमारी, डॉ मनीष कुमार, डॉ जोहरा इमाम, डॉ सुफियान कैसर, डॉ रोहित राज, डॉ रवि राज मोहित, डॉ मृगनैनी सिंह, डॉ अंकिता कुमारी और डॉ राजीव रंजन शामिल हैं. वहीं, डॉ रोशन कुमार ने योगदान के बाद इस्तीफा दे दिया. डॉ प्रद्योत रंजन बिना सूचना के लंबे समय से अनुपस्थित हैं. डॉ पूजा कुमारी और डॉ कुमार आदित्य टेन्योर के लिए विरमित किये गये हैं.

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