गोह. शिक्षा सुधार और डिजिटल इंडिया की बड़ी-बड़ी घोषणाएं दम तोड़ती दिख रही है. स्मार्ट क्लास, टैबलेट व आधुनिक तकनीक की बातें मंचों से बार-बार कही जाती हैं, लेकिन हकीकत कुछ और है. औरंगाबाद जिले के देवकुंड प्रखंड स्थित गंगाधारी उच्च विद्यालय समस्याओं के मकड़जाल में फंसा है. यहां करीब 600 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. पढ़ाने के लिए प्रधानाध्यापक अमरेंद्र कुमार सहित 21 शिक्षक पदस्थापित हैं, लेकिन बच्चों को पढ़ाने के लिए एक भी पक्का क्लासरूम नहीं है. विद्यालय में न तो भवन है, न ही कक्षाओं की कोई व्यवस्था. बच्चे धरती पर दरी पर बैठकर खुले आकाश में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. बारिश होते ही स्थिति और भी भयावह हो जाती है. छात्राएं दरी समेटने में लग जाती हैं और बच्चे इधर-उधर भागने लगते हैं. शिक्षकों का कहना है कि बरसात में पढ़ाई लगभग ठप हो जाती है. सवाल यह है कि क्या यही है डिजिटल क्लास और स्मार्ट एजुकेशन?
शौचालय सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं का टोटा
विद्यालय में छात्राओं के लिए एक जर्जर शौचालय है, लेकिन छात्रों के लिए वह भी नहीं है. पेयजल और साफ-सफाई की स्थिति भी बेहद खराब है. शिक्षा का अधिकार कानून लागू हुए वर्षों बीत चुके हैं, लेकिन इस विद्यालय में आज भी बच्चों के लिए बुनियादी ढांचा तक मौजूद नहीं है. प्रधानाध्यापक अमरेंद्र कुमार और अन्य शिक्षकों ने बताया कि विद्यालय करीब 10 वर्षों से बिना भवन के चल रहा है. कई बार प्रस्ताव बने, लेकिन किसी स्तर पर स्वीकृति नहीं मिली. स्थानीय विधायक भीम कुमार सिंह ने भी इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया. बावजूद इसके अब तक भवन का निर्माण शुरू नहीं हो सका.डीएम ने देखा हाल, दिये तीन कमरों की स्वीकृति
हाल ही में डीएम श्रीकांत शास्त्री बाबा दूधेश्वरनाथ मंदिर पहुंचे थे. स्थानीय ग्रामीणों के आग्रह पर वे विद्यालय में भी गये. हालात देखकर वे चौंक गये और तत्काल तीन कमरों के निर्माण की स्वीकृति दे दी. निर्माण कार्य की नींव डाली जा चुकी है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि 600 बच्चों के लिए तीन कमरे पर्याप्त नहीं हैं. ग्रामीणों और अभिभावकों का कहना है कि अगर डीएम के स्तर पर तीन कमरे बनाने की स्वीकृति दी जा सकती है, तो फिर शिक्षा मंत्री और राज्य सरकार ने पिछले 10 वर्षों तक इस विद्यालय की दुर्दशा की अनदेखी क्यों की. आखिर 600 बच्चों का भविष्य सरकार की प्राथमिकता में क्यों नहीं है.क्या कहते हैं विधायक
गंगाधारी उच्च विद्यालय देवकुंड की स्थिति बेहद चिंताजनक है. इसके मामले को विधानसभा में भी उठाया है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 600 बच्चों वाला विद्यालय आज भी बिना भवन के चल रहा है. शिक्षा मंत्री और राज्य सरकार से मांग की है कि इस विद्यालय का भवन जल्द बनाया जाये़ भीम कुमार सिंह, गोह, विधायकडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

