जानलेवा. चितौड़नगर में गैस रिसाव से लगी आग, खराब सिलिंडर को ठीक करने के दौरान हुआ हादसा
सिलिंडर में रिसाव की जांच करने आया था गैस एजेंसी का कर्मचारी
माचिस जलाते ही पूरे कमरे में धधक उठी आग
औरंगाबाद शहर : औरंगाबाद शहर के चितौड़नगर मुहल्ले में सोमवार की सुबह रसोई गैस (एलपीजी) सिलिंडर में रिसाव हो गया, जिससे पूरे घर में आग लग गयी. आग की चपेट में आने से गृहस्वामी धर्मेंद्र सिंह, उसकी बेटी जशी कुमारी (10 वर्ष), साली सरिता देवी, सरिता का बेटा साहिल कुमार(12 वर्ष) व मिस्त्री मंटू कुमार सहित पांच लोग झुलस गये.
मौके पर पहुंचे पड़ोसियों ने किसी तरह आग को काबू में किया व घायलों को इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंचाया. वहां प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने स्थिति गंभीर देखते हुए धर्मेंद्र सिंह व सरिता देवी को बड़े अस्पताल में रेफर कर दिया. पता चला है कि दोनों को नारायण मेडिकल कॉलेज जमुहार ले जाया गया है, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है.
लापरवाही के चलते हुई घटना :सोमवार की सुबह हुई घटना के पीछे लापरवाही को कारण बताया जा रहा है. जानकारी के अनुसार धर्मेंद्र सिंह के गैस सिलिंडर से रिसाव हो रहा था. इसे बनाने के लिए भारत गैस एजेंसी के मिस्त्री व घोड़दौड़ निवासी बबलू कुमार को बुलाया गया.
सिलिंडर की जांच के दौरान जब मिस्त्री ने माचिस की तिल्ली जलायी, तो अचानक सिलिंडर में आग लग गयी. पास मौजूद लोग इसकी जद में आ गये. हालांकि, सिलिंडर में विस्फोट नहीं हुआ, लेकिन आग की धधक इतनी तेज थी कि बंद घर की खिड़की व घर में रखा सामान क्षतिग्रस्त हो गया. सामान टूटने व लोगों के चिल्लाने की आवाज सुन कर आसपास के लोग वहां दौड़े व किसी तरह आग को काबू में कर झुलसे लोगों को इलाज के लिए अस्पताल भेजा.
बहनोई के घर रह कर बच्चों को पढ़ाती है सरिता : गैस सिलिंडर रिसाव के बाद आग से झुलसी सरिता देवी वैसे तो झारखंड के गहौरा गांव निवासी प्रदीप सिंह की पत्नी है, लेकिन काफी दिनों से वह अपने बेटे साहिल को पढ़ाने के लिए अपने बहनोई धर्मेंद्र सिंह के घर रहती थी.
सुबह-सुबह साहिल व जशी स्कूल जाने के लिए तैयार हो चुके थे, बस देर थी टिफिन बनने की. खराब पड़े गैस सिलिंडर को ठीक करने के लिए मिस्त्री को भी बुलाया गया था, जिस वक्त मिस्त्री सिलेंडर के रेग्यूलेटर को ठीक कर रहा था, उसी वक्त आग लग गयी. घटना के वक्त धर्मेंद्र सिंह की पत्नी बबीता देवी को छोड़ कर सभी वहीं पर खड़े थे.
गैस सिलिंडर से हो हादसा, तो ये करें
एलपीजी सिलिंडर विस्फोट या रिसाव के बाद लगी आग से अगर कोई व्यक्ति झुलस जाता है, तो पहले उसे तत्काल इलाज की जरूरत है, फिर घटना की सूचना पुलिस को दी जानी चाहिए. हादसे की जानकारी संबंधित गैस एजेंसी को भी देनी चाहिए, तभी हादसे की जांच की जाती है. जांच रिपोर्ट के आधार पर उपभोक्ता क्लेम कर सकता है. पीड़ित का रिश्तेदार भी मुआवजे के लिए अपील कर सकता है. बीमा कंपनी आनाकानी करे, तो कोर्ट का सहारा लेना ठीक होगा.
इसका रखें ध्यान
बिना किसी औपचारिकता के सभी गैस सिलिंडर स्वत: बीमाकृत होते हैं. उपभोक्ता इंश्योरेंस व उसके लाभ के बारे में विस्तृत जानकारी गैस एजेंसी से संपर्क कर प्राप्त कर सकते हैं. गैस सिलिंडर का उपयोग तय मानकों व निर्देशों के आधार पर किया जाना चाहिए. अगर हादसा किसी गैरकानूनी उपयोग के दौरान होता है, तो पीड़ित इंश्योरेंस के रुपये का हकदार नहीं माना जायेगा. गैस सिलिंडर के साथ प्रयोग में आनेवाले अन्य उपकरणों को गैस एजेंसी के माध्यम से प्राप्त करना सुरक्षित व लाभकारी होता है.
मुआवजा देने को तैयार नहीं बीमा कंपनी, फिर से की जायेगी बात
हादसा किसी के साथ भी हो सकता है. सावधानी ही बचाव है. गैस से आग लगने व क्षति होने के बाद मुआवजा का प्रावधान है, लेकिन, सिलिंडर, रेगुलेटर व पाइप नहीं जला है, तो कंपनी मुआवजा देने की हकदार नहीं है. चितौड़नगर के जिस घर में हादसा हुआ, वहां जाकर स्थिति को समझा गया. मुआवजे के संबंध में कंपनी से बात भी हुई, पर कंपनी देने को तैयार नहीं है. फिर भी पीड़ित की स्थिति ठीक होने के बाद कंपनी से बात की जा सकती है.
सहेंद्र सिंह, प्रबंधक, भारत गैस एजेंसी
सिलिंडर से हादसे में बीमा का प्रावधान, पर उपभोक्ता अनजान
गैस सिलिंडर से अगर कोई हादसा हो जाये, तो बीमा का प्रावधान है, लेकिन अधिकतर उपभोक्ता इससे अनजान हैं. दुर्घटना बीमा के तहत अधिकतम 40 लाख रुपये देय है. इसके लिए बकायदा उपभोक्ताओं का बीमा पंजीकरण किया जाता है, पर ज्यादातर उपभोक्ता इस बात से बेखबर हैं.
वैसे कनेक्शन प्राप्त करने के दौरान उपभोक्ताओं को एजेंसी संचालकों द्वारा बीमा की जानकारी भी नहीं दी जाती है, जिससे दुर्घटना की स्थिति में मुआवजा राशि से पीड़ित वंचित रह जाते हैं.
जानकारों के मुताबिक इस प्रकार की जानकारी के लिए गैस एजेसियों व सरकार को जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है. मुआवजा के लिए उपभोक्ता फोरम में गैस एजेंसी संचालक को पार्टी बनाना होगा, क्योंकि हर वर्ष फिटनेस का चार्ज लिया जाता है, तभी मुआवजे का भुगतान होगा. वैसे राहत के लिए एसडीओ से भी संपर्क किया जा सकता है.
रसिक बिहारी सिंह, अध्यक्ष, जिला विधि संघ