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34 दिनों में दूसरी चोरी से उठ रहे कई सवाल
औरंगाबाद नगर : 34 दिनों में दूसरी बार सिविल कोर्ट में विचाराधीन मामलों से जुड़ा रिकॉर्ड चोरी होने की घटना से व्यवस्था को लेकर बड़े सवाल खड़े हो गये हैं. छह दिसंबर की रात व्यवहार न्यायालय के अपर जिला सत्र न्यायाधीश दयाशंकर सिंह के न्यायालय में रखे रिकॉर्ड को अपराधियों ने चुरा लिया था. उस […]
औरंगाबाद नगर : 34 दिनों में दूसरी बार सिविल कोर्ट में विचाराधीन मामलों से जुड़ा रिकॉर्ड चोरी होने की घटना से व्यवस्था को लेकर बड़े सवाल खड़े हो गये हैं. छह दिसंबर की रात व्यवहार न्यायालय के अपर जिला सत्र न्यायाधीश दयाशंकर सिंह के न्यायालय में रखे रिकॉर्ड को अपराधियों ने चुरा लिया था. उस घटना को पुलिस व न्यायालय कर्मी गंभीरता से लिये होते, तो शायद दूसरी बार व्यवहार न्यायालय से रिकॉर्ड की चोरी नहीं हो पाती.
ठंडे बस्ते में डाल दिया मामला : लेकिन, पिछली घटना में पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल कर छोड़ दिया, तो न्यायालय के सुरक्षा कर्मी भी चौकस नहीं हुए.
कारण चाहे जो भी रहा हो. इसी का परिणाम हुआ कि अपराधियों ने सोमवार की रात अपर जिला व सत्र न्यायाधीश द्वितीय अनिल कुमार के न्यायालय के कार्यालय में आलमारी में बंद कर रखे हुए कई महत्वपूर्ण रिकॉर्ड को चुरा लिया और इसकी भनक तक सुरक्षाकर्मियों को नहीं लगी, जबकि रात में न्यायालय की सुरक्षा करने के लिए चार बिहार पुलिस के चार जवान व न्यायालय के पांच कर्मचारी प्रतिनियुक्त हैं. इनकी जिम्मेवारी न्यायालय की सुरक्षा करनी है.
जेल जानेवाले रोड से पहुंचे चोर : बताया जा रहा है कि सोमवार की रात जेल जानेवाले रोड की ओर से चोर कार्यालय तक पहुंचे और पहले से जर्जर खिड़की को हटा कर कार्यालय में प्रवेश कर गये. रिकॉर्ड को चुरा कर सभी चोर भाग निकले. जिस वक्त चोर खिड़की हटा रहे थे, उसकी आवाज सुरक्षाकर्मियों के कानों तक पहुंची थी, लेकिन उसे कर्मियों ने नजरअंदाज कर दिया. यही कारण हुआ कि महत्वपूर्ण रिकॉर्ड को चुरा कर अपराधी भाग गये.
जब मंगलवार को कार्यालय का ताला खुला, तो देखा गया कि खिड़की हटी है, आलमारी का ताला टूटा हुआ है, तो सबके होश उड़ गये. तुरंत इसकी सूचना जिला जज बलराम दूबे को दी गयी. जिला जज ने तत्काल इसकी सूचना एसपी डाॅ सत्य प्रकाश को दी. सूचना मिलते ही एसपी अपने अधिनस्थ एसडीपीओ और थानाध्यक्ष के साथ जांच करने कोर्ट पहुंचे. और पूरे मामले की छानबीन की. जांच के क्रम में सुरक्षाकर्मियों की लापरवाही सामने आयी, जिस पर एसपी ने सुरक्षाकर्मियों को निलंबित कर दिया. एसपी डाॅ सत्यप्रकाश ने बताया कि न्यायालय की सुरक्षा में नये पुलिस कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गयी है. चहारदीवारी को ऊंचा करने और कंटीले तार से घेरने के लिए विभाग को पत्र भेजा गया है. न्यायालय में दो वाच टावर बनाये जायेंगे. रात में सब इंस्पेक्टर न्यायालय का निरीक्षण करेंगे.
हर बार मिलता है सुरक्षा का आश्वासन
जब भी न्यायालय में कोई घटना घटती है, तो उसके बाद सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की बात उठने लगती है. वर्ष 2006 में दस्तावेज नवीस रामविलास सिंह की हत्या कोर्ट के उत्तरी गेट पर दिन-दहाड़े अपराधी द्वारा की गयी थी. इस घटना के बाद उस गेट को बंद किया गया था. जब इसके बाद कोर्ट में एक असामाजिक व्यक्ति द्वारा दहशत फैलाने के लिए पटाखा छोड़ा गया था, तो न्यायालय की चहारदीवारी बनी थी. इसके बाद कई बार चहारदीवारी को ऊंचा करने, कोर्ट कैंपस में सीसीटीवी कैमरा लगाने सहित अन्य बिंदुओं पर प्रस्ताव लिये गये, लेकिन अब तक पूरा नहीं हो सके. एक महीने में लगातार दूसरी चोरी के बाद प्रशासन एक बार फिर से वहीं राग अलापने में जुट गया है.
पिछली बार नहीं लिया गया कोई एक्शन
दिसंबर महीने में न्यायालय में हुई चोरी की घटना के बाद प्रशासन ने तो किसी पर कोई अनुशासनिक कार्रवाई की और न ही अपराधी ही पकड़े गये. कुल मिला कर प्रशासन ने उस मामले को ठंडे बस्ते में डाल देने का ही काम किया. इसका नतीजा यह हुआ कि ऐसी ही वारदात लगातार दूसरी बार हुई. जिस तरह से घटना को अंजाम दिया गया, उससे लापरवाही तो साफ तौर पर उजागर हुई है, मिलीभगत की भी पूरी संभावना दिखती है. अपराधियों को पहले से अपने निशाने का पता था और वे चोरी को बड़ी आसानी से अंजाम देने के बाद चलते बने.
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