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खुदरा की कमी, दुकानदारी चौपट
नोटबंदी. बाजार में छायी मंदी, शाम होते ही बंद हो जा रहीं दुकानें औरंगाबाद सदर : रत सरकार द्वारा 500 व 1000 रुपये के नोट बंद करने के बाद बाजार में अफरातफरी का दौर अब भी जारी है. बैंकों में रुपये चेंज करने और डिपोजिट करने का सिलसिला गुरुवार को भी जारी रहा. बैंकों से […]
नोटबंदी. बाजार में छायी मंदी, शाम होते ही बंद हो जा रहीं दुकानें
औरंगाबाद सदर : रत सरकार द्वारा 500 व 1000 रुपये के नोट बंद करने के बाद बाजार में अफरातफरी का दौर अब भी जारी है. बैंकों में रुपये चेंज करने और डिपोजिट करने का सिलसिला गुरुवार को भी जारी रहा. बैंकों से मिल रहे बड़े नोट लेकर लोग खुश तो हो रहे हैं, लेकिन जब वह रुपये लेकर बाजार में खरीदारी को पहुंच रहे हैं, तो दुकानदार उन्हें भाव नहीं दे रहे. बाजारों में खुदरा रुपये का अभाव होने के कारण नये दो हजार के बड़े नोट से खरीदारी मुमकिन नहीं हो पा रही. वहीं बैंक व पोस्टऑफिस द्वारा दिये जा रहे 20 व 10 के पुराने खस्ताहाल नोट से भी दुकानदारी प्रभावित हुई है. लोग पुराने नोट लेने से हिचक रहे हैं. बैंकों द्वारा दिये जा रहे 10 के सिक्कों को भी दुकानदार और ग्राहक दोनों ठुकरा रहे हैं. हालांकि, 10 का सिक्का प्रचलन में है. खुदरा के अभाव में दुकानदारी तो चौपट हुई ही है, शाम होते ही दुकानें बंद हो जा रही हैं और बाजार में सन्नाटा पसर जा रहा है.
साग-सब्जी भी लेना मुश्किल
पुराने नोटों का प्रचलन बंद होने के पहले 40 से 50 हजार रुपये का कारोबार हो जाया करता था, लेकिन अब तो स्थिति यह है कि स्टाफ को देने भर भी रुपये नहीं आ पा रहे हैं. बाजार में खुदरा के अभाव में साग-सब्जी लेना भी मुश्किल हो रहा है. जब तक नये नोट पूरी तरह से बाजार में नहीं आ जाते, तब तक बाजार की स्थिति सुधर नहीं पायेगी.
रमन गुप्ता, बालाजी ड्रेसेज
अब भी बंद हो चुके नोट लेकर पहुंच रहे लोग
बाजार में खुदरा का बहुत अभाव है, लोग 500 व हजार के नोट लेकर अब भी यह भ्रम पाले हुए हैं कि वो बाजार में आसानी से चल जायेगा और उसके खुदरा भी मिल जायेगा, लेकिन बाजार में कोई भी दुकानदार इसे लेने को तैयार नहीं. खुदरा रुपये भी पर्याप्त नहीं हैं कि सारे लोगों को दो हजार के नोट के बदले खुला रुपये लौटाये जा सकें. खुदरा नहीं होने के कारण दुकानदारी चौपट हो गयी है. स्थिति सामान्य होने में नवंबर बीत जायेगा.
मुकेश कुमार उर्फ लाल, मनपसंद वस्त्रालय
शाम होते ही बंद कर दे रहा हूं दुकान
बाजार की स्थिति खुदरा के अभाव में चरमरा गयी है. लोग खुदरा नहीं होने के कारण झक मार रहे हैं. बड़े समानों की बिक्री पर लोग वहीं पुराना नोट देकर अपना पल्ला झाड़ना चाह रहे हैं, पर पुराने नोट चल नहीं रहे. नये बड़े नोट से भी खरीदारी नहीं हो पा रही. दुकानदारी नहीं रहने के कारण शाम होते ही दुकान बंद कर दे रहा हूं. बाजार में पांच सौ और खुदरा रुपये आ जाने के बाद यह परेशानी खत्म हो जायेगी.
निशांत कुमार, पार्थ इनफोटेक
बोहनी करना भी हो रहा मुश्किल
पुराने नोटों का प्रचलन बंद होने से सबसे ज्यादा नुकसान दुकानदारों को हो रहा है, बोहनी भी नसीब नहीं हो रही है. लेकिन किया क्या जाये. बैंकों में रुपये बदलने को लेकर अफरा-तफरी है. जब लोगों के पास पर्याप्त पैसे ही नहीं होंगे, तो बाजार की दुकानें कैसे चलेंगी. हर तरह का व्यवसाय फीका हो गया है. नये नोटों के प्रचलन में तेजी आने पर ही बाजार की स्थिति सुधरेगी.
मो जाहिद, हिंदुस्तान पाइप
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