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आसमान की ओर टकटकी लगाये बैठे किसान, नहरों में अब तक नहीं आया पानी

औरंगाबाद नगर : ‘रोहिणी रवे मृग तवे, कुछ दिन आद्रा जाए, कहे घाघ घाघिन से स्वान भात न खाय’ कृषि शास्त्र के प्रसिद्ध कवि ‘घाघ’ की पंक्ति किसानों के जीवन दशा पर सटीक बैठ रही है. किसान इस वैज्ञानिक युग में भी घाघ कवि की पंक्तियों को आधार मानकर किसानी कार्य करते हैं. किसानों का […]

औरंगाबाद नगर : ‘रोहिणी रवे मृग तवे, कुछ दिन आद्रा जाए, कहे घाघ घाघिन से स्वान भात न खाय’ कृषि शास्त्र के प्रसिद्ध कवि ‘घाघ’ की पंक्ति किसानों के जीवन दशा पर सटीक बैठ रही है. किसान इस वैज्ञानिक युग में भी घाघ कवि की पंक्तियों को आधार मानकर किसानी कार्य करते हैं. किसानों का मानना है कि रोहिणी में रिमझिम फुहार, मृगशरा में कड़ाके की धूप और आद्रा नक्षत्र में बरसात कृषि कार्यो के लिए शुभ संकेत माना जाता है.

फिलहाल रोहिणी में प्री-मानसून की फुहार की उम्मीद में किसानों ने बिचड़ा लगाया है, लेकिन, न तो बारिश ही हुई और न ही नहरों में पानी है. सोन उच्चस्तरीय नहर में पानी नहीं आने से किसानों की परेशानी बढ़ गई है. किसान तमाम सिचाई संसाधनों के फेल होने से निजी संसाधनों के बूते कृषि कार्य करने को लाचार हैं. मौसम की दगाबाजी के साथ-साथ विभागीय लापरवाही किसानों की परेशानी का आलम बनी हुई है.
जिले के बारुण,दाउदनगर,ओबरा,औरंगाबाद, हसपुरा,गोह प्रखंड इलाके में मुख्य रूप से इसी नहर सिंचाई करते है.सोन उच्च स्तरीय नहर को छोड़ दिया जाए तो बाकी किसी भी नहरों में भी तक पानी जरूरत के अनुसार नहीं मिल पाता हैं. वर्षा होने पर निर्भर रहते है. जिले के दक्षिणी इलाकों की हालात काफी बदतर है. वैसे सोन उच्च स्तरीय नहर के अधिकारियों का कहना है कि 15 दिन तक हर हाल में पानी छोड़ दिया जायेगा. यदि 15 दिन तक पानी किसानों के खेतों में नहीं पहुंचेगा तो लक्ष्य के अनुसार धान की खेती कर पाना मुश्किल है.

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