अरवल : जिला मुख्यालय में पुस्तक विक्रेताओं की मनमानी रवैये से परेशान हैं छात्रों के अभिभावक. इसके कारण पुस्तक खरीदनेवालों में पुस्तक विक्रेताओं के प्रति आक्रोश व्याप्त है. विदित हो कि जिला मुख्यालय एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में चलनेवाला अधिकतर निजी विद्यालय में चलनेवाले पुस्तक मुख्यालय में एकमात्र पुस्तक दुकान में ही मिलती है, जिसके कारण उक्त पुस्तक भंडार के संचालक द्वारा मनमानी तरीके से पुस्तक की कीमत वसूली जाती है.
दुकान संचालक द्वारा मोटा कमीशन देकर निजी विद्यालय में चलाये जानेवाली पुस्तक का ठेका लेता है. उस कमीशन की भरपाई ग्राहकों से वसूला जाता है. पुस्तकों की कीमत लगभग दो गुना या इससे भी ज्यादा तीन गुना तक वसूला जाता है. पुस्तक बेचने में व्याप्त अनियमितता की पहचान इसी से लगायी जा सकती है कि दुकानदार द्वारा किसी भी वर्ग के एक सेट पुस्तक की खरीदारी पर कीमत पर ग्राहकों को स्वेच्छा से 10 प्रतिशत कम मांगा जाता है, जबकि ग्राहक इससे दुकानदार का तोहफा समझते है.