शाहपुर. गंगा नदी के जल स्तर भले ही थोड़ी गिरावट आयी है, लेकिन कटाव व बाढ़ग्रस्त लोगों की मुसीबतें यथावत हैं. अब भी सभी सड़कों पर बाढ़ का पानी भरा हुआ है.
शिविर में रहनेवाले एक वृद्ध ने कहा कि ””अब त ई समझ की बाढ़ रसबाढ़ हो गइल.”” यानी बाढ़ जल्द आ गया और अब पानी घटता व बढ़ता रहेगा. ऐसी स्थिति को गंवई भाषा में लोग रसबाढ़ कहते हैं. नाव ही एकमात्र आवागमन का सहारा है. यदि रात के समय बारिश होती है, तो जागकर ही सारी रात काटनी पड़ती है. रक्षाबंधन जैसे पर्व के दिन भी लोगों को अपना घर-बार छोड़कर विस्थापन का जिंदगी गुजारनी पड़ रही है. बक्सर-कोईलवर सुरक्षा तटबंध पर बहोरनपुर गांव के समीप सैकड़ों की संख्या में शरण लिये बाढ़पीड़ितों के लिए किसी तरह का राहत कार्य नहीं चलाया जा रहा है, जिसके कारण लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. छोटे-छोटे बच्चे, बुजुर्ग लोग शरण लिये हुए हैं. बाढ़पीड़ित अपने स्तर से तिरपाल और झोंपड़ी बनाकर रह रहे हैं. इन सब लोगों के लिए किसी तरह की सरकारी सुविधा अब तक उपलब्ध नहीं हो सकी है. हालांकि पंचायत के मुखिया द्वारा कुछ तिरपाल दिया गया है. बाढ़पीड़ितों के अनुसार उन्हें अंधेरे में ही रहना पड़ता है. प्रत्येक दिन-रात के समय सांप सहित कई अन्य विषैले जीव-जंतु निकलते हैं. वहीं नाव की कमी के कारण एक ही नाव पर क्षमता से अधिक लोग बैठ जाते हैं. पानी कम होने के कारण गावों में फंसे लोगों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है. क्योंकि, बड़ी नाव गांव में चल नहीं सकती. छोटी नाव से दुर्घटना होने की ज्यादा संभावना होती है. चारो तरफ बाढ़ का पानी भर जाने के कारण बहोरनपुर बांध पर ही श्मशान घाट शिफ्ट कर गया है. लोग यही बांध पर ही शव का अंतिम संस्कार कर रहे हैं.शाहपुर दियारा की मुख्य सड़क पर आवागमन शुरू
गंगा के जल स्तर में गिरावट होने के कारण शाहपुर दियारा के मुख्य सड़क शाहपुर-कारनामेपुर एवं बिहिया चौरस्ता-गौरा पथ से बाढ़ का पानी उतर गया है, जिससे इन पथों पर आवागमन शुरू हो चुका है. वहीं सभी ग्रामीण सड़कों पर अब भी बाढ़ का पानी भरा हुआ है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

