कोईलवर. शाहाबाद की धरती शुरू से ही उर्वर और क्रांतिकारी रही है. चाहे वह 1857 का विद्रोह हो या 1942 की अगस्त क्रांति या भारत छोड़ो आंदोलन.
यहां के युवाओं ने बढ़-चढ़कर भागीदारी ली और क्रांति का नेतृत्व भी किया. देश की आजादी के लिए अगस्त 1942 में हुई ऐसी ही क्रांति में शाहाबाद ने बढ़-चढ़कर अपनी भूमिका निभायी थी. ऐसे में कोईलवर कहां पीछे रहने वाला था. देश की आजादी के लिए 1942 में हुए भारत छोड़ो आंदोलन और अगस्त क्रांति में यहां के युवाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अपनी वीरता एवं शहादत से हमें गर्व करने का मौका दिया.जो सत्याग्रह में विश्वास नहीं रखते थे वह भी आंदोलन में हुए शामिल
सन् 1942 में व्यापक जनक्रांति फूट पड़ी थी. ब्रिटिश शासन ने 9 अगस्त सन् 1942 को महात्मा गांधी और सभी प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार करके जेलों में डाल दिया. गांधी जी द्वारा ””करो या मरो”” का नारा दिया जा चुका था. नेताविहीन आंदोलनकारियों की समझ में जो आया, वही उन्होंने किया. सशस्त्र क्रांति के समर्थक, जो ””सत्याग्रह आंदोलन”” में विश्वास नहीं रखते थे, वे भी इस आंदोलन में कूद पड़े और तोड़-फोड़ का कार्य करने लगे. संचार व्यवस्था भंग करने के लिए तार काट दिये गये और सेना का आवागमन रोकने के लिए रेल की पटरियां उखाड़ी जाने लगीं. ब्रिटिश शासन ने निर्ममतापूर्वक इस आंदोलन को कुचल डाला. हजारों लोग गोलियों के शिकार हुए. कोईलवर के युवा कहां पीछे रहने वाले थे. तब बड़हरा संदेश से लेकर कोईलवर तक के सैकड़ों की संख्या में क्रांतिकारियों के दल ने प्रखंड से लेकर पटना तक क्रांति में भाग लिया. पटना सचिवालय से लेकर कोईलवर ब्लॉक तक सबने मिलकर ब्रिटिश हुकूमत की चूलें हिला दीं. अवध गुप्ता, रामप्रसाद बिस्मिल, जग्गुलाल, रामबहादुर, जमाकांत, रामाकानू, अवध, डोमन, जगन्नाथ, झन्द्रिका मिश्र जैसे सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटानिया सरकार द्वारा बनाये गये कोईलवर रेल सह सड़क पुल की पटरियां उखाड़ कर सोन नदी की उफनती जलधारा में फेंक दिया. कोईलवर और कुल्हड़िया स्टेशन पर तोड़फोड़ करते हुए उसे क्षतिग्रस्त कर दिया. डाकखाने और टेलीग्राम लाइन क्षतिग्रस्त कर दिया. सड़क पर गड्ढे खोद यातायात बाधित कर दिया. इस बात की सूचना मुखबिरों द्वारा जब दानापुर कैंट पहुंची, तो वहां से इस क्रांति के दमन के लिए ब्रिटिश फौज भेजी गयी. दानापुर छावनी से आये ब्रिटिश सैनिकों ने क्रांतिकारियों पर गोलियां चलायीं, जिसमें कोईलवर प्रखंड के विभिन्न इलाकों के कपिलदेव राम ब्रजेश नंदन प्रसाद वर्मा, मिठू महतो, सूर्यदेव कुमार, हातिम अली, जयराम सिंह समेत कई क्रांतिकारी शहीद हो गये.शहीदों की याद में प्रखंड में लगाया गया शिलापट्ट
आजादी के 25 वर्ष बाद स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए स्वतंत्रता सेनानियों की याद में भारत सरकार द्वारा 15 अगस्त, 1972 को देश के प्रत्येक प्रखंड मुख्यालय पर शिलास्तंभ स्थापित किया गया, जिस पर उनकी बहादुरी की चर्चा करते हुए उनके नाम दर्ज किये गये. कोईलवर प्रखंड मुख्यालय पर लगाये गए शिलास्तंभ पर कोईलवर प्रखंड के शहीद स्वतंत्रता सेनानी कपिलदेव राम, ब्रजेश नंदन प्रसाद वर्मा, मिठू महतो, सूर्यदेव कुमार, हातिम अली, जयराम सिंह के नाम अंकित किये गये.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

