आरा.
जिला मुख्यालय स्थित पश्चिम टोला मुहल्ले में बने हुए आर्य समाज मंदिर श्रद्धानंद भवन में आयोजित आर्य समाज के 153वें स्थापना दिवस एवं साप्ताहिक यज्ञ आयोजन का प्रवचन किया गया. मंत्री प्रकाश रंजन की अगुआइ में कार्यक्रम संपन्न हुआ. आचार्य सुखलाल प्रसाद ने कहा कि आज ही के दिन आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती कुरीति, पाखंड, आडंबर के विरुद्ध शंखनाद करते हुए छह एवं सात सितंबर, 1872 को काशी, डुमरांव होते हुए आरा आये थे और आगमन पर आर्य समाज की स्थापना हुई. यहां पर जिला स्कूल के प्रांगण में मूर्ति पूजा और कान फूंका गुरु के विरोध में तर्क संगत व्याख्यान दिया था. क्योंकि उस समय चारों वेदों के ज्ञाता भरे पड़े थे. उन्होंने यहां तक सिद्ध किया कि पाषाण मूर्ति पूजा से देश और समाज में अज्ञानता अंधविश्वास से देश-विदेशी आक्रांताओं से प्रभावित अर्थ को अनर्थ करते किया गया. मिलावट कर अर्थ को अनर्थ करने से समाज में भ्रांतियां फैलती चली गयीं. महर्षि जी का स्वागत एवं व्यवस्था डुमरांव महाराज ने हरिवंश बाबू अधिवक्ता को सौंपी थी. वे भलुहीपुर के पंचपीर के पास ठहरे थे. कार्यक्रम में उपस्थित मंत्री प्रकाश रंजन, आचार्य सुखलाल प्रसाद, उपप्रधान महावीर विद्यासागर, कोषाध्यक्ष नीरज कुमार, संत समागम समिति के अध्यक्ष योगाचार्य विक्रमादित्य,पाल जी,पुस्तक का अध्यक्ष ज्ञानेश्वर प्रसाद आर्य , विनोद आर्य, डॉ उमेश जी एवं सैकड़ों सदस्य उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

