एक नजर इधर भी . सदर अस्पताल में चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों का टोटा
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अल्ट्रासाउंड व ऑपरेशन थियेटर भी बंद
एक नजर इधर भी . सदर अस्पताल में चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों का टोटा सदर अस्पताल अररिया में संसाधन व कर्मियों की भारी कमी है. एक भी महिला चिकित्सक व विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं. अल्ट्रासाउंट, एक्सरे व ऑपरेशन थियेटर भी बंद हैं. ऐसे में स्वास्थ्यमंत्री के आगमन को लेकर लोगों में आस है कि वे […]
सदर अस्पताल अररिया में संसाधन व कर्मियों की भारी कमी है. एक भी महिला चिकित्सक व विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं. अल्ट्रासाउंट, एक्सरे व ऑपरेशन थियेटर भी बंद हैं. ऐसे में स्वास्थ्यमंत्री के आगमन को लेकर लोगों में आस है कि वे स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक निर्देश देंगे.
अररिया : शनिवार को सूबे के स्वास्थ्य मंत्री अररिया पहुंच रहे हैं. वे यहां जीएनएम स्कूल का शिलान्यास करेंगे. संभावना जतायी जा रही है कि वे सदर अस्पताल भी पहुंचेंगे. सदर अस्पताल में तैयारी भी की जा रही है. अस्पताल परिसर में रंग रोगन भी किया जा रहा है. लोगों को आस है कि स्वास्थ्य मंत्री सदर अस्पताल का बारीकी से निरीक्षण करेंगे और आवश्यक सुधार का निर्देश भी देंगे. सदर अस्पताल में न केवल मैन पावर की कमी है बल्कि संसाधनों का भी अभाव है. हालात यह है कि यहां सर्जरी तक नहीं हो पाती है. हड्डी रोग विशेषज्ञ नहीं है. स्त्री रोग विशेषज्ञ व महिला चिकित्सक नहीं है.
इसके कारण महिलाओं की मेडिकल जांच भी फारबिसगंज में करायी जाती है. एक्सरे सेवा बंद है. अल्ट्रासाउंड बंद है. चिकित्सकों के अभाव में इमरजेंसी में आने वाले रोगियों को ज्यादातर रेफर ही किया जाता है. जानकारी के अनुसार ऐसे केस में 90 प्रतिशत मरीज रेफर किये जाते हैं. बर्न वार्ड तो है पर कर्मियों के अभाव में ज्यादातर बर्न मरीज रेफर किये जाते हैं. जिले के पीएचसी की भी वही हालत है, जहां केवल सर्दी बुखार व डायरिया की दवा दी जाती है. कर्मियों की हालत यह है कि यहां स्वीकृत पदों में से 60 प्रतिशत पद वर्षों से रिक्त हैं. ऐसी स्थिति में लोग स्वास्थ्य मंत्री के आने की प्रतीक्षा बेसब्री से कर रहे हैं.
सदर अस्पताल का बंद है अल्ट्रासाउंड व एक्सरे सेंटर
पिछले एक वर्ष से सदर अस्पताल का एक्सरे व अल्ट्रासाउंड बंद है. इसका खामियाजा लोगों को उठाना पड़ रहा है. लोग एक्सरे व अल्ट्रासाउंड के साथ- साथ पैथोलॉजिकल जांच भी बाजार में ही कराते हैं. इसके कारण लोगों को अपनी जेब ढीली करनी पड़ती है. गरीब तबके लोगों को तो उसमें भी परेशानी होती है.
नहीं हैं महिला व हड्डी रोग विशेषज्ञ : सदर अस्पताल में लगभग एक वर्ष से न तो महिला रोग विशेषज्ञ और न ही हड्डी रोग विशेषज्ञ पदस्थापित हैं. इससे दोनों स्थिति में मरीजों को काफी परेशानी का सामना पड़ता है. मरीजों की माने तो सदर अस्पताल में रोजाना आधा
दर्जन से अधिक लोग सड़क दुर्घटना में घायल होकर इलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंचते हैं, पर हड्डी रोग विशेषज्ञ नहीं होने के कारण उन्हें रेफर ही करना पड़ता है. महिला चिकित्सक नहीं होने के कारण महिलाएं पुरुष चिकित्सकों को अपनी समस्या खुल कर नहीं बता पातीं.
सदर अस्पताल का बंद है ऑपरेशन थिएटर : सदर अस्पताल का ऑपरेशन थिएटर भी बंद ही रहता है. इसका मुख्य कारण है सदर अस्पताल में मूर्च्छक का पद खाली है. यहां तक कि प्रसव के लिए आयी महिलाओं का भी सिजेरियन हो पायेगा या नहीं यह निश्चित नहीं रहता. इसलिए सिजेरियन प्रसव होने की स्थिति में लोग सदर अस्पताल पर भरोसा नहीं कर पाते. मजबूरन लोगों को निजी नर्सिंग होम में या फिर पूर्णिया जाना पड़ता है.
तीन एंबुलेंस के सहारे चल रहा है सदर अस्पताल : सदर अस्पताल का अधिकांश एंबुलेंस किसी कारणवश खराब है. इस समय केवल तीन एंबुलेंस कार्यरत हैं, जबकि सदर अस्पताल में रोजाना 500 से 700 सौ मरीज ओपीडी व इमरजेंसी में आते हैं.
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