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गंठबंधन तोड़ने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था:नीतीश

पटना : जदयू द्वारा संबंध तोड़ लिए जाने पर भाजपा का इसे जनादेश के साथ विश्वासघात बताए जाने पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज उसे ही इसके लिए जिम्मेवार ठहराया और कहा, ‘‘चोर की दाढ़ी में तिनका’’.बिहार विधानसभा स्थित अपने कक्ष में आज पत्रकारों से बात करते हुए नीतीश ने कहा कि भाजपा […]

पटना : जदयू द्वारा संबंध तोड़ लिए जाने पर भाजपा का इसे जनादेश के साथ विश्वासघात बताए जाने पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज उसे ही इसके लिए जिम्मेवार ठहराया और कहा, ‘‘चोर की दाढ़ी में तिनका’’.बिहार विधानसभा स्थित अपने कक्ष में आज पत्रकारों से बात करते हुए नीतीश ने कहा कि भाजपा से संबंध सही समय पर तोड़ा और बिहार में जो हालात उत्पन्न कर दिए गए थे वैसे में हम लोगों ने जो कदम उठाया है उसके अलावा हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था.

भाजपा द्वारा मोदी को चुनाव अभियान समिति प्रमुख बनाए जाने पर उससे जदयू के नाता तोड़ने के कदम को सही ठहराते हुए नीतीश ने कहा कि, ‘‘हम लोग अलग नहीं होते तो क्या करते. वक्त बीतता रहता और हम सोए रहते.’’ भाजपा पर राजनीतिक बात नहीं करने और घोर गैर-राजनीतिक बात करने का आरोप लगाते हुए नीतीश ने कहा कि अंत में सबको पता चल जाएगा. उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा के पास मुद्दा क्या है. जो कमजोर रहता है वह चीखता ज्यादा है.’’

नीतीश ने कहा, ‘‘जदयू के दिल्ली में आयोजित सम्मेलन में हमने बिहार मॉडल की तारीफ की थी और अटल जी की कार्यशैली की प्रशंसा की थी. किसी के बारे में कुछ और तो कहा नहीं था पर भाजपा को लगा कि हम किसी के खिलाफ बोल रहे हैं. ऐसे में यह ‘चोर की दाढ़ी में तिनका’ के मुहावरे को चरीतार्थ करता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘देश के प्रधानमंत्री के पद पर आसीन होने वाला व्यक्ति धर्मनिरपेक्ष छवि का होना चाहिए. हमने तो किसी व्यक्ति का नाम लिया तो नहीं था पर भाजपा के लोगों को खुजली होने लगी.’’

नीतीश ने कहा कि अमर्त्य सेन जी ने क्या कहा बिहार की प्रगति की तारीफ की और भाजपा स्वयं को बिहार के विकास का भागीदार मानती है और उसके लोग उन्हें भारत रत्न लौटाने की बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह हुआ कि बिहार की तरक्की की बात करना आपको नागवार गुजरता है तब बिहार के विकास के श्रय का बंटवारा क्यों कर रहे हैं.नीतीश ने कहा, ‘‘जनता ने उन पर :भाजपा पर: विश्वास कर सत्ता में बैठने के लिए जनादेश दिया था पर वे स्वयं उछल कर विपक्ष में जा बैठे. ऐसे में विश्वासघात उन्होंने किया या हमने ?’’उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा को जनता ने विपक्ष में बैठने का जनादेश नहीं दिया था और सत्ता से बाहर निकाल दिए जाने पर सदन में बगल वाली कुर्सी पर बैठे रहते और कहते कि जदयू ने हमें निकाल दिया है. हमें विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला नहीं है इसलिए हम बगल में बैठे हुए हैं, तब तो जनता कहती कि हमने उनके साथ अन्याय किया है.’’

नीतीश ने कहा, ‘‘हमने तो बुलाया ताकि अलग होने के रोड मैप को बनाने पर चर्चा हो पर वे आए ही नहीं. उसके बाद हमने सोचा कि मंत्रिमंडल की बुलाई गयी बैठक में बात कर लेंगे पर भाजपा के लोग आए ही नहीं. ऐसे में हम क्या करते.’’ उन्होंने कहा कि 1994 से लेकर जिस मुद्दे को लेकर अब तक समझौता नहीं किया उस पर आज कैसे करते और अगर हम लोग अलग होने का निर्णय नहीं लेते तो यह हमारी भूल होती. नीतीश ने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि संबंध अचानक तोड़ा गया है. एक साल से इस पर बात चल रही थी. आगे तो वे :भाजपा: बढ़ गए. ऐसे में या तो हम मुगालते में रहते या अपना निर्णय लेकर आगे बढ़ते.’’ उन्होंने कहा कि जब यह साफ हो गया कि उनके इरादे क्या हैं तो अपना समय बर्बाद करने से क्या फायदा था.

नीतीश ने कहा कि जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में राजग सरकार बनी तो हमारी कुछ बातों को माना भी गया और विवादित मुद्दों को अलग रखा गया था. बिहार में जदयू-भाजपा का गठबंधन इसलिए चल रहा था क्योंकि उसमें किसी बाहरी तत्व का कोई हाथ नहीं था. उन्होंने कहा कि लेकिन अब वे :भाजपा: सारी चीजों पर बिल्कुल बदल गए. पहले छह महीने में कुछ और बातें की और अगले छह महीने में अचानक कुछ और बातें बोलने लगे.

नीतीश कुमार ने भाजपा पर आम सहमति वाले मुद्दों से अलग हटकर दूसरी बातें करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वर्ष 2005 में हुए बिहार के दो विधानसभा चुनावों, 2009 के लोकसभा चुनाव और 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव के समय यहां राजग की जो राजनीतिक सोच थी उससे भाजपा अलग हुई है. उन्होंने कहा कि देश में कांग्रेस के खिलाफ माहौल था और उसके खिलाफ विपक्ष के सबसे बडे धडे राजग के सबसे बडे घटक के रुप में भाजपा को हाल में आयोजित भारत बंद के दौरान व्यापक गोलबंदी का माहौल बनाना और उसे अधिक से अधिक लोगों को जोड़ना चाहिए था पर उसने ऐसा किया नहीं.

नीतीश ने भाजपा पर कांग्रेस-विरोधी माहौल को पंक्चर करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इसमें हमलोगों का कहां कोई कसूर है. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘कल क्या होगा इसकी चिंता हम नहीं करते और न उसकी हमें परवाह है. पर अपने सिद्धांतों से समझौता कर बिहार में भाजपा और जदयू की सरकार को आराम से चलने देते ? जनता ने क्या हमें इसी के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया था ?’’

नरेंद्र मोदी का नाम लिए बगैर उन्हें ‘‘पानी का बुलबुला’’ बताते हुए और भाजपा द्वारा उन्हें बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए जाने की ओर इशारा करते हुए नीतीश ने कहा कि यह जब फूटेगा तो लोग खुद हकीकत जान जाएंगे. यह पूछे जाने पर कि क्या इस बुलबुले के फूटने पर राजग में उनकी वापसी की उम्मीद है, इस पर नीतीश ने कहा, ‘‘हम लोग तो अब आगे बढ़ गए. यह रोज-रोज होता है क्या.’’

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