पटना: भाजपा नेता सुशील मोदी ने राज्यपाल डीवाइ पाटील के खिलाफ मोरचा खोल दिया है. मंगलवार को जनता दरबार के बाद संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि राजद के तीन व भाजपा के दो विधायकों के इस्तीफे के तत्काल बाद उन्हें विधान परिषद के लिए मनोनीत किया जाना गलत है.
राज्यपाल का यह कदम संसदीय परंपरा के अनुरूप नहीं था. मोदी ने कहा, नये मुख्यमंत्री के पदभार ग्रहण करने के पहले भाजपा का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला था और उनसे एक-एक विधायक का परेड कराने का आग्रह किया था. उनसे एक-एक विधायक से बात करने और संतुष्ट होने के बाद ही सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने का अनुरोध किया था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. राज्यपाल से पांच विधायकों को मनोनीत कराने का काम जदयू ने योजनाबद्ध तरीके से कराया.
नरेंद्र मोदी के शपथग्रहण के पहले ही राज्यपाल से मुहर लगवा ली. 2004 में जब केंद्र में यूपीए की सरकार बनी, तब एनडीए कार्यकाल के चार राज्यपालों को बरखास्त कर दिया गया था. केंद्र में एनडीए की सरकार बनी है, तो पहले की सरकार ने जिन-जिन राज्यपालों का मनोनयन किया था, उनसे इस्तीफा लिया जाना चाहिए.
मांझी को विधायक दल ने नहीं, नीतीश ने चुना
मोदी ने कहा, नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद हुई जदयू विधायक दल की बैठक में जीतन राम मांझी को नये नेता बनाने का प्रस्ताव तक पारित नहीं हुआ था. बैठक में जदयू विधायकों ने नीतीश कुमार को नेता चयन का अधिकार दे दिया था. नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को नेता चुन दिया और राज्यपाल के यहां सरकार बनाने का प्रस्ताव भेज दिया गया. राज्यपाल के पास विधायक दल की बैठक में नेता चयन का प्रस्ताव भेजा जाता है. नरेंद्र मोदी भी संसदीय दल की बैठक में नेता चुने गये. दल का प्रस्ताव लेकर वे राष्ट्रपति के पास गये थे, तब उन्होंने सरकार बनायी, लेकिन बिहार में इस नियम को भी ताक पर रख दिया गया. उन्होंने कहा कि राजद-जदयू गंठबंधन हुआ, तो अपराधियों का मनोबल और बढ़ेगा.