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सुप्रीम कोर्ट ने BCCI की रिव्यू पिटिशन खारिज की

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज बीसीसीआई द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई दो हफ्तों के लिये स्थगित कर दी है जिसमें न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा पैनल के क्रिकेट संस्था में बड़े पैमाने पर ढांचागत सुधारों पर सिफारिशें लागू करने के 18 जुलाई के निर्देश की समीक्षा करने की मांग की गयी थी. बीसीसीआई ने […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज बीसीसीआई द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई दो हफ्तों के लिये स्थगित कर दी है जिसमें न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा पैनल के क्रिकेट संस्था में बड़े पैमाने पर ढांचागत सुधारों पर सिफारिशें लागू करने के 18 जुलाई के निर्देश की समीक्षा करने की मांग की गयी थी.

बीसीसीआई ने अपनी पुनरीक्षण याचिका में यह आरोप लगाते हुए प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर को मामले की सुनवाई से हटाने की भी मांग की थी कि उनका रवैया उनके प्रति पक्षपातपूर्ण है. बीसीसीआई ने पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई खुली अदालत में कराने की भी मांग की थी. सुनवाई चैम्बर में मुख्य न्यायधीश और न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध की गयी थी लेकिन इसमें मामले की सुनवाई के लिये दो हफ्ते के बाद लिखा गया था.

कई अन्यों ने भी 18 जुलाई को दिये गये फैसले की फिर से जांच की मांग की थी, जिसमें अनुभवी क्रिकेट प्रशासक निरंजन शाह और चंदू बोर्डे शामिल थे. क्रिकेट एसोसिएशन आफ बिहार अपने सचिव आदित्य कुमार वर्मा के जरिये बोर्ड का विरोध कर रहा है जिनकी याचिका पर ही शीर्ष अदालत ने बीसीसीआई प्रशासन में बड़े पैमाने में पुनर्गठन के कई निर्देश देने का फैसला किया था.

* बीसीसीआई अध्‍यक्ष को कल कोर्ट ने लगायी थी फटकार
उच्चतम न्यायालय ने कल बीसीसीआई अध्‍यक्ष और वरिष्ठ अधिकारी रत्नाकर शेट्टी को फटकार लगायी थी. प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड की पीठ ने कहा, ‘‘ठाकुर ने स्वीकार किया है कि उन्होंने आईसीसी चेयरमैन (शशांक मनोहर) से पत्र लिखने के लिए कहा जबकि रत्नाकर शेट्टी का हलफनामा कहता है कि ऐसा नहीं कहा गया. पहले दाखिल किए गए शेट्टी के हलफनामे में अनुराग ठाकुर के हलफनामे से विरोधाभास है.’
लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने पर बीसीसीआई को निर्देश देने को लेकर अपना फैसला सुरक्षित रखने वाले उच्चतम न्यायालय ने ठाकुर और शेट्टी के विरोधाभासी रवैये पर कड़ा रवैया अपनाया है. शेट्टी बीसीसीआई के क्रिकेट संचालन महाप्रबंधक हैं और उन्हें सात अक्तूबर को निजी हलफनामा दायर करने को कहा गया था.
* बीसीसीआई ने कहा, लोढ़ा समिति देश में क्रिकेट को चलाने का प्रयास कर रही है
बीसीसीआई ने उच्चतम न्यायालय में आरोप लगाया कि न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा समिति लुभावने आईपीएल सहित मैचों के कार्यक्रम संबंधी निर्देश देकर देश में ‘क्रिकेट को चलाने’ का प्रयास कर रही है जो उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है.बीसीसीआई ने प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अगुआई वाली पीठ के समक्ष आरोप लगाया कि लोढ़ा समिति ने घरेलू टूर्नामेंटों और इंडियन प्रीमियर लीग के बीच 15 दिन का अंतर तय किया है जो उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है.
* सुधारवादी कदमों पर स्पष्टता के लिए अधिक समय चाहिए: ठाकुर
लोढ़ा समिति की सिफारिशें लागू नहीं करने के लिए उच्चतम न्यायालय से लगातार फटकार का सामना कर रहे बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने कहा कि राज्य इकाइयां फिलहाल कुछ सुझावों को लेकर भ्रम की स्थिति में हैं और इन्हें लागू करने से पहले अधिक स्पष्टता की जरुरत है.
ठाकुर ने न्यायालय की सुनवाई के बाद मीडियाकर्मियों से कहा, ‘‘इन सिफारिशों को लागू करने के लिए आपको तीन चौथाई बहुमत की जरुरत है. हमने राज्य संघों को जानकारी देकर अपना काम पूरा कर दिया है और इस बारे में अंतिम फैसला उन्हें करना है. अगर आपके पास तीन चौथाई बहुमत नहीं है तो आप इन सिफारिशों को लागू नहीं कर सकते.’ उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल, इन सिफारिशों को कैसे लागू किया जाए इसे लेकर राज्य संघों में अधिक भ्रम की स्थिति है, मुझे लगता है कि हमें अधिक स्पष्टता की जरुरत है.’
बीसीसीआई ने कुछ सिफारिशों को लागू करने को लेकर मुश्किलों को लेकर अपना रुख बरकरार रखा है जिसमें एक राज्य एक वोट, आयु सीमा को 70 साल तक सीमित करना, तीन साल का बे्रक, एक व्यक्ति एक पद आदि शामिल हैं.
* क्‍या है लोढ़ा समिति की सिफारिशें
लोढ़ा समिति ने क्रिकेट में सुधार के लिए जो सिफारिशें दी हैं उसके अनुसार
1. क्रिकेट में सट्टेबाजी को कानूनी मारन्‍यता दिया जाना चाहिए.
2. सरकारी कर्मचारियों और मंत्रियों को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड से दूर रखा जाना चाहिए.
3. बीसीसीआई को सूचना के अधिकार के दायरे में लाया जाना चाहिए.
4. क्रिकेट को क्रिकेटर ही चलाएं. बीसीसीआई की स्‍वायतत्ता बनी रहे.
5. एक राज्‍य में केवल एक ही क्रिकेट संघ हो और सभी को वोट का अधिकार मिलना चाहिए.
6. किसी भी बीसीसीआई अधिकारी को दो से अधिक कार्यकाल तक नहीं रहने दिया जाए.
7. किसी भी व्‍यक्ति को तीन से अधिक कार्यकाल के लिए पदाधिकारी नहीं रहने दिया जाए.
8. बीसीसीआई में एक व्‍यक्ति और एक पद होना चाहिए.
9. खिलाडियों का एक संघ एक संविधान बनाया जाए.
10. आईपीएल और बीसीसीआई की अलग-अलग गवर्निंग बॉडी हो.

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