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Surya Dev Worship: सूर्य देव को जल क्यों अर्पित करते हैं हिंदू? जानिए इसके पीछे का धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

Surya Dev worship: हर सुबह बहुत से लोग स्नान के बाद पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य को जल अर्पित करते हैं. यह परंपरा केवल धार्मिक आस्था से जुड़ी नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरे वैज्ञानिक कारण भी हैं. आइए जानते हैं, हिंदू धर्म में सूर्य को जल अर्पित करने की परंपरा क्यों है और इसका क्या महत्व बताया गया है.

Surya Dev Worship: हिंदू शास्त्रों में सूर्य देव को ब्रह्मांड का जीवनदाता कहा गया है. पृथ्वी पर हर जीव का अस्तित्व सूर्य की रोशनी और ऊर्जा पर निर्भर करता है. इसलिए सुबह के समय जब सूर्य उदय होता है, तो उसे जल अर्पित करना आभार और आशीर्वाद दोनों का प्रतीक माना जाता है. यह परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है और इसका उल्लेख ऋग्वेद, स्कंद पुराण और पद्म पुराण जैसे ग्रंथों में भी मिलता है.

धार्मिक मान्यता

हिंदू धर्म में सूर्य देव को ऊर्जा, जीवन और स्वास्थ्य का प्रतीक माना गया है. पुराणों के अनुसार, सूर्य देव सभी देवताओं के साक्षी हैं, इसलिए इन्हें “साक्षी देवता” भी कहा गया है. माना जाता है कि सुबह के समय सूर्य को जल अर्पित करने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को सौभाग्य, आरोग्य और मानसिक शांति का आशीर्वाद देते हैं.

कैसे करें सूर्य को जल अर्पण

प्रातःकाल सूर्योदय के समय स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें.

तांबे के लोटे में जल भरें (यदि संभव हो तो उसमें लाल फूल, अक्षत मिलाएं)

पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य को अर्घ्य दें और “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें.

जल अर्पण करते समय यह ध्यान रखें कि जल की धार सीधे सूर्य की किरणों पर जाए.

अर्घ्य देने के बाद सूर्य देव को प्रणाम करें और थोड़ी देर ध्यान करें.

धार्मिक लाभ

सूर्य को अर्घ्य देने से पाप नष्ट होते हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

इससे जीवन में आत्मविश्वास और उत्साह बढ़ता है.

माना जाता है कि यह उपाय कुंडली के सूर्य ग्रह को मजबूत करता है, जिससे करियर और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है.

सूर्य देव की कृपा से घर में धन, स्वास्थ्य और सफलता बनी रहती है.

वैज्ञानिक कारण

धार्मिक दृष्टि के साथ-साथ इसका वैज्ञानिक कारण भी बहुत महत्वपूर्ण है.

सुबह की सूर्य किरणों में विटामिन D की भरपूर मात्रा होती है जो हड्डियों और त्वचा के लिए लाभदायक है.

जब जल अर्पण करते समय सूर्य की किरणें जल से होकर आंखों तक पहुंचती हैं, तो इससे दृष्टि बेहतर होती है और आंखों की रोशनी बढ़ती है.

यह काम मन को शांति देती है और दिनभर के लिए सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है.

सुबह जल्दी उठकर सूर्य को अर्घ्य देने से दिनचर्या नियमित रहती है, जिससे शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं.

पौराणिक कथाओं में सूर्य पूजा का उल्लेख

पुराणों में कहा गया है कि सूर्य देव की उपासना करने से असाध्य रोग भी दूर हो सकते हैं. महाभारत में भी कर्ण को सूर्यपुत्र कहा गया है और उन्होंने सूर्य देव से अपार शक्ति प्राप्त की थी. इसके अलावा, “आदित्य हृदय स्तोत्र” में भी सूर्य देव की स्तुति से जीवन में विजय और शक्ति की प्राप्ति का वर्णन मिलता है.

क्या नल का पानी या किसी भी बर्तन का जल चढ़ाया जा सकता है?

साफ तांबे या स्टील के लोटे में शुद्ध जल भरकर अर्पित किया जा सकता है.

क्या महिलाएं भी सूर्य को जल दे सकती हैं?

महिलाएं भी पूरी श्रद्धा से सूर्य देव को जल अर्पित कर सकती हैं, इससे परिवार में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है.

अगर सूर्योदय मिस हो जाए तो क्या बाद में जल चढ़ा सकते हैं?

सूर्य उदय के एक घंटे तक जल चढ़ाना शुभ होता है, लेकिन दोपहर के बाद अर्पण नहीं करना चाहिए.

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JayshreeAnand
JayshreeAnand
कहानियों को पढ़ने और लिखने की रुचि ने मुझे पत्रकारिता की ओर प्रेरित किया. सीखने और समझने की इस यात्रा में मैं लगातार नए अनुभवों को अपनाते हुए खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करती हूं. वर्तमान मे मैं धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को नजदीक से समझने और लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही हूं.

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