21.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Jitiya Vrat 2025: बिहार में जितिया व्रत पर माछ-मड़ुआ का है खास महत्व, रविवार सुबह तीन बजे होगा ओठगन

Jitiya Vrat 2024: सनातन संस्कृति में अपने संतान की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए जितिया व्रत की पुरातन परंपरा रही है. बिहार और उत्तर प्रदेश में प्रचलित इस जितिया पर्व में माताएं पूरी एक तिथि निर्जला उपवास रखकर जीमूतवाहन की आराधना करती है. इस व्रत की शुरुआत एक खास और अनोखी परंपरा से होती है, जो व्रत से एक दिन पहले निभाई जाती है.

Jitiya Vrat 2025: पटना. जितिया व्रत हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. माछ मड़ुआ का सेवन जितिया व्रत से एक दिन पहले होता है, जो ‘नहाय-खाय’ का हिस्सा होता है. इसे बिहार में माछ-मड़ुआ कहते हैं. वैष्णव संप्रदाय के लोग मछली की जगह नोनी साग खाते हैं. यह जीवित्पुत्रिका व्रत का एक खास हिस्सा है, जो संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है. यह बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में प्रचलित है और व्रत की तैयारी के तौर पर नहाय-खाय के दिन किया जाता है. रविवार सुबह सूर्योदय से पूर्व महिलाएं ओठगन (अल्पाहार) करके निर्जला व्रत की शुरूआत करेंगी.

मछली खाने और वितरण करने की परंपरा

संतान की दीर्घायु, सुखी और निरोगी जीवन के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत, ज्यूतिया या जीमूतवाहन व्रत रखा जाता है. यह व्रत हर वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. व्रत से एक दिन पूर्व बिहार में मड़ुआ की रोटी और मछली खाने और वितरित करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इसके पीछे मान्यता है कि कोई भी महिला इस दिन मछली खाने से वंचित न रह जाये. रविवार को निर्जला व्रत शुरू करने से पहले शनिवार को महिलाएं परंपरागत मान्यताओं के अनुसार मड़ुआ की रोटी और मछली का सेवन करेंगी. हर व्रती को माछ-मड़ुआ उपलब्ध हो, इस लिए यह मान्यता है कि इस दिन जो जितना बांटता है, उसके संतान की आयु में उतनी बढ़ोतरी होती है.

संतुलित आहार की है पौराणिक मान्यता

इस संबंध में पंडित राजनाथ झा बताते हैं कि पुराने जमाने में खाने की इतनी वैरायटी नहीं होती थी. मड़ुआ की खेती बड़े पैमाने पर होती थी और बरसात के मौसम में मछली आसानी से मिल जाती थी. इसलिए यह व्रत इन पौराणिक मान्यताओं और उस समय की भोजन संबंधी परिस्थितियों से जुड़ा है. पंडित भवनाथ झा कहते हैं कि हमारे हिंदू धर्म में व्रत से पूर्व संतुलित आहार को बहुत महत्व दिया गया है. जितिया व्रत से पूर्व महिलाओं के खानपान का पूरा ध्यान रखा जाता है. पंडित राजनाथ झा बताते हैं कि इस संतुलित आहार के कारण लंबी अवधि तक शरीर को ऊर्जा मिलती है और गैस जैसी परेशानी से निजात मिलती है. मडुआ हर कोई भर पेट खा सकता है. मधुमह के मरीज भी यह भोजन ले सकते हैं. यही कारण रहा कि यह सबके लिए अनिवार्य किया गया है. वैसे वैष्णव संप्रदाय की महिलाएं इसके दिन मछली के बदले नौनी साग बनाती हैं.

रविवार सुबह 3 बजे होगा ओठगन

संतान की दीर्घायु, सुखी और निरोगी जीवन के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत, ज्यूतिया या जीमूतवाहन व्रत रखा जाता है. यह व्रत हर वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पंचांग के अनुसार रविवार सुबह सूर्योदय से पूर्व महिलाएं ओठगन (अल्पाहार) करके निर्जला व्रत की शुरूआत करेंगी. मिथिला पंचांग को माननेवाले 13 को माछ-मडुआ खाए. ओठगन 3 से 3-30 बजे सुबह तक कर लें. अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 14 सितंबर रविवार को प्रातः 8:51 बजे आरंभ होकर 15 सितंबर सोमवार को प्रातः 5:36 बजे समाप्त होगी. रविवार को सूर्योदय से पहले महिलाएं ओठगन करेंगी और सोमवार को प्रातः 6:27 बजे के बाद व्रत का पारण होगा.

सुपौल में लगता है मेला

सुपौल के सरायगढ़ प्रखंड क्षेत्र में जितिया व्रत के दिन महिलाओं ने विशेष पूजा करती हैं. सरायगढ़ में इस दिन बड़ा मेला लगता है. इसमें हजारों महिलाएं शामिल होती हैं. रविवार अहले सुबह से महिलाएं 35 घंटे का निर्जला उपवास रखेंगी. रविवार को व्रती स्नान कर नव वस्त्र धारण करेंगी. इसके बाद भगवान जीमूतवाहन की पूजा करेंगी. इसके लिए कुश से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करेंगी. इस व्रत में कहीं कहीं मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है. इनके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है. पूजा समाप्त होने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है. पारण के बाद यथाशक्ति दान और दक्षिणा देने की भी परंपरा रही है.

Also Read: Bihar News: मल्टीनेशनल कंपनी एवरट्रेड इंडिया दरभंगा में लगायेगा प्लांट, खेल और फुटवियर प्रोटक्ट का होगा उत्पादन

Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने के लिए प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel