Jitiya Vrat 2022: जितिया व्रत की शुरुआत आज, शनिवार को नहाय-खाय के साथ हो रही है. जितिया रख रही महिलाएं रविवार को पूरे दिन और रात निर्जला उपवास करेंगी और फिर अगले दिन यानी सोमवार, 19 सितंबर की सुबह 6 बजकर 10 मिनट के बाद व्रत का पारण करेंगी. बिहार, यूपी समेत झारखंड में यह व्रत बेहद लोकप्रिय है. यह व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य, सुख समृद्धि के लिए रखती हैं. कई महिलाएं संतान प्राप्ति की इच्छा के साथ भी यह व्रत करती हैं. इतना ही नहीं जिनकी संतान के जीवन में कुछ स्वास्थ्य, रोग जैसी परेशानी हो तो इसे दूर करने की कामना के साथ भी महिलाएं जितिया व्रत करती हैं. जानें जितिया व्रत शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत के नियम और पारण का समय.
जितिया व्रत तिथि, शुभ मुहूर्त (Jitiya Vrat Tithi, Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, 17 सितंबर को दोपहर 2 बजकर 14 मिनट पर अष्टमी तिथि प्रारंभ हो रही है और 18 सितंबर को दोपहर 04 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार, जीवित्पुत्रिका व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा. 19 सितंबर की सुबह 06 बजकर 10 मिनट के बाद व्रत पारण कर सकते हैं.
जितिया व्रत की शुरुआत नहाय खाए से होती है.
इस साल 17 सितंबर 2022 शनिवार को नहाए खाए होगा.
18 सितंबर 2022 रविवार को निर्जला व्रत रखा जाएगा .
19 सितंबर को सूर्य उदय के बाद व्रत का पारण किया जाएगा.
जितिया व्रत पूजा सामग्री (Jitiya Vrat Puja Samagri)
इस व्रत में भगवान जीमूत वाहन, गाय के गोबर से चील-सियारिन की पूजा का विधान है. जीवित्पुत्रिका व्रत में खड़े अक्षत(चावल), पेड़ा, दूर्वा की माला, पान, लौंग, इलायची, पूजा की सुपारी, श्रृंगार का सामान, सिंदूर, पुष्प, गांठ का धागा, कुशा से बनी जीमूत वाहन की मूर्ति, धूप, दीप, मिठाई, फल, बांस के पत्ते, सरसों का तेल, खली, गाय का गोबर पूजा में जरूरी है.
जितिया व्रत पूजा विधि (Jitiya Vrat Puja Vidhi)
सुबह स्नान करने के बाद व्रती प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल को लीपकर साफ कर लें.
इसके बाद वहां एक छोटा सा तालाब बना लें. फिर तालाब के पास एक पाकड़ की डाल लाकर खड़ाकर कर दें.
अब शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की कुशनिर्मित मूर्ति जल के पात्र में स्थापित करें.
इसके बाद उन्हें दीप, धूप, अक्षत, रोली और लाल और पीली रूई से सजाएं.
अब उन्हें भोग लगाएं.
अब मिट्टी या गोबर से मादा चील और मादा सियार की प्रतिमा बनाएं.
दोनों को लाल सिंदूर अर्पित करें.
अब पुत्र की प्रगति और कुशलता की कामना करें.
इसके बाद व्रत कथा सुनें और पढ़ें.
जितिया व्रत का महत्व (Jitiya Vrat Importance)
जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत महिलाएं संतान प्राप्ति, उनकी लंबी आयु और सुखी निरोग जीवन की कामना के साथ करती हैं. इस व्रत को करने से संतान के ऊपर आने वाले सभी प्रकार के कष्ट दूर हो हो जाते हैं.