Ganesh Visarjan 2023: भक्त आज विघ्नहर्ता और रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश जी की जय जयकारों के साथ विदाई दे रहे है. गणेश जी को जिस तरह शुभ मुहूर्त में और विधिपूर्वक घर में स्थापित किया जाता है, उसी तरह गणपति जी का विसर्जन भी किया जाता है. सही तरीके से लंबोदर की प्रतिमा का विसर्जन करने से सालभर तक गणपति जी की कृपा बनी रहती है और घर में सुख-शांति स्थापित रहती है. आइए जानते है ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश शास्त्री से गणेश प्रतिमा विसर्जन विधि, मंत्र और आरती...
विसर्जन से पहले करें पंचोपचार पूजन
भगवान गणेश को विदाई देने के लिए सबसे पहले स्नान करने के बाद स्वयं तिलक लगाएं. इसके बाद आसन पर बैठें और गं गणपतयै नम: मंत्र का जाप करें. इसके बाद पंचोपचार पूजन यानी धन,अक्षत, पुष्प, घूप और दीप से गणपति बप्पा को नैवेद्य लगाएं. इसके बाद गणेश जी की आरती करें और प्रभु से प्रार्थना करें. इसके बाद गणेश प्रतिमा को स्थान से हिला दें. इसके बाद प्रतिमा का विसर्जन करें.
मिट्टी के गणेश को घर पर ऐसे करें विसर्जित
मिट्टी के गणेश जी को जब विसर्जित किया जाता है तो बहुत से लोग बाल्टी या बर्तन में गणेश जी को विसर्जित करने के बाद मिट्टी और पानी घर के गमले या फिर घर के बगीचे में ही डाल देते हैं. ज्योतिषाचार्य के अनुसार ऐसा करना सही नहीं है. कोशिश करें कि गणेश जी का विसर्जन तालाब, नदी, बावड़ी के किनारे ही हो. अगर ऐसा नहीं हो पा रहा है तो पहले घर में किसी बर्तन में मिट्टी के गणेश जी को विसर्जित करें और फिर उसके बाद उस मिट्टी और पानी को घर के आसपास के किसी गार्डन में ले जाकर किसी बड़े पेड़ के नीचे छोड़ दें.
गणेश जी की विदाई कैसे करें?
अगर नदी, तालाब या पोखर के किनारे विसर्जन कर रहे हैं तो कपूर से आरती कर लें. इसके बाद खुशी-खुशी विदा करें. गणपति जी को विदा करते समय अगले साल आने की कामना करें. इसके साथ ही भूल चूक के लिए माफी मांग लें.
गणपति विसर्जन कैसे करते हैं?
गणपति विसर्जन के लिए पूजा करने वाले व्यक्ति पर पानी छिड़का जाता है. विसर्जन के लिए घर से निकलते समय गणपति बप्पा को नारियल चढ़ाया जाता है और एक बार में ही तोड़ दिया जाता है. नारियल को भगवान गणेश के साथ विसर्जित किया जाता है.
गणेश विसर्जन से पहले क्या करना चाहिए?
विसर्जन करने से पहले गणपति की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए. उन्हें लाल चन्दन, लाल पुष्प, दूर्वा, मोतीचूर के लड्डू या बेसन के लड्डू, पान, सुपारी, धूप-दीप आदि चढ़ाएं. आज सपरिवार गणपति की आरती और हवन करें. विसर्जन से पहले एक पोटली में लड्डू और दक्षिणा बांधकर गणपति के हाथ में दें.
गणेश विसर्जन के बाद कलश का क्या करें?
आपने देव पूजन में दक्षिणा चढ़ाई थी उसे और कलश की दक्षिणा को मिलाकर किसी पंडित जी को दान कर सकते हैं. अगर कोई पंडित जी समय पर नहीं मिल पाते हैं तो उन पैसों को आप किसी कन्या को दे दीजिए, इसके बाद अब कलश के जल से अपने पूरे घर में केवल वाथरूम को छोड़कर छिड़काव कर दीजिए.
बप्पा को विदा करते हुए इन मंत्रों का करें जाप
गणेश विसर्जन के दौरान बप्पा को विदा करते हुए इन मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को गणपति जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे साधक के जीवन में सुख-समद्धि बनी रहती है.
ॐ यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्।
इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥
ऊँ मोदाय नम:
ऊँ प्रमोदाय नम:
ऊँ सुमुखाय नम:
ऊँ दुर्मुखाय नम:
ऊँ अविध्यनाय नम:
ऊँ विघ्नकरत्ते नम:
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
गणेश जी की आरती
जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति
दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती
सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव
रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव
लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव
शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव
अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव
भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव