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Falgun Purnima 2024: फाल्गुन पूर्णिमा व्रत कब है? जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और चंद्र अर्घ्य का समय

Falgun Purnima 2024: पूर्णिमा के दिन पितरों का तर्पण करना भी बेहद शुभ माना गया है. ज्योतिष शास्त्र में फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि का महत्व अधिक बताया गया है, क्योंकि इसी दिन होलिका दहन किया जाता है.

Falgun Purnima 2024: सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है. पूर्णिमा तिथि हर मास की आखिरी दिन होता है, इस दिन व्रत रखकर स्नान-दान और भगवान सत्यनारायण की पूजा करने का विधान है. भविष्य पुराण के अनुसार पूर्णिमा के दिन किसी तीर्थ स्थान पर जा कर स्नान करने से सारे पाप मिट जाते हैं. पूर्णिमा के दिन पितरों का तर्पण करना भी बेहद शुभ माना गया है. ज्योतिष शास्त्र में फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि का महत्व अधिक बताया गया है, क्योंकि इसी दिन होलिका दहन किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी का प्राकट्य भी हुआ था. फाल्गुन माह में ही चंद्रमा का जन्म हुआ था और पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है ऐसे में फाल्गुन पूर्णिमा पर चांद की पूजा से मानसिक कष्ट दूर होते हैं. आइए जानते हैं इस साल फाल्गुन पूर्णिमा 2024 की डेट, शुभ मुहूर्त और चंद्रदेव को अर्घ्य देने का सही समय.

फाल्गुन पूर्णिमा 2024 डेट


फाल्गुन पूर्णिमा 25 मार्च 2024 दिन सोमवार को है. पंचांग के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च 2024 को सुबह 09 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 25 मार्च 2024 को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर खत्म होगी. उदयातिथि के अनुसार पूर्णिमा व्रत और स्नान दान 25 मार्च को किया जाएगा, हालांकि होलिका दहन 24 मार्च को होगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा का उपवास रखने से व्यक्ति को हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है.

पूर्णिमा तिथि शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि पर स्नान-दान के लिए शुभ मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 45 मिनट से सुबह 05 बजकर 32 मिनट तक
पूर्णिमा तिथि पर सत्यनारायण पूजा समय – सुबह 09 बजकर 23 मिनट से सुबह 10 बजकर 55 मिनट तक
पूर्णिमा तिथि पर चंद्रोदय का समय – शाम 06 बजकर 44 मिनट पर
लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त – देर रात 12 बजकर 03 मिनट से रात 12 बजकर 50 मिनट तक

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पूर्णिमा पूजा विधि

  • पूर्णिमा की रात चंद्र उदय के बाद चांदी के लोटे से चंद्र को दूध और जल का अर्घ्य अर्पित करें.
  • पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर स्नान करने के पश्चात पीपल के पेड़ में मीठा जल अर्पित करें.
  • इसके बाद घी का दीपक और अगरबत्ती जलाकर मां लक्ष्मी की पूजा करें.
  • फाल्गुन पूर्णिमा की मध्यरात्रि को देवी लक्ष्मी को 21 कौड़ियां हल्दी में रंगकर अर्पित करें.
  • फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका की पूजा करते समय खीर का भोग लगाएं.

फाल्गुन पूर्णिमा का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार देवी लक्ष्मी का जन्म फाल्गुन पूर्णिमा पर क्षीर सागर के समुद्र मन्थन के समय हुआ था, इसे लक्ष्मी जयंती के नाम से भी जाना जाता है. माता लक्ष्मी धन-समृद्धि की देवी हैं, इस दिन इनकी पूजा से धन-दौलत पाने की कामना पूरी होती है. इस दिन व्रत रखकर दान आदि करने से सौभाग्य की प्राप्ति के साथ अच्छे स्वास्थ्य का भी वरदान मिलता है, इस दिन भगवान विष्णु के अलावा शंकर भगवान की भी पूजा की जाती है. वहीं शाम को चंद्रमा की पूजा करने का विधान है. फाल्गुन पूर्णिमा पर राजा हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को होलिका में जलाने का प्रयास किया था, इसलिए इस दिन होलिका दहन किया जाता है.

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