29.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Chaiti Chhath Puja 2024: नहाय-खाय से शुरू होगा चैती छठ, उगते सूर्य को अर्घ्य देकर महापर्व का होगा समापन, जानें सबकुछ

Chaiti Chhath Puja 2024: चैती छठ नहाय-खाय से शुरू होगी. छठ पर्व के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है. इस दिन सुबह स्वच्छ होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, इसके बाद पूरे दिन निर्जला उपवास कर संध्या के समय गुड़ से बनी खीर का सेवन किया जाता है.

Chaiti Chhath Puja 2024: छठ महापर्व साल में दो बार मनाया जाता है. एक कार्तिक के शुक्ल पक्ष में और दूसरा चैत माह के शुक्ल पक्ष में. छठ पूजा का पर्व चार दिनों का होता है. छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और सूर्योदय के अर्घ्य देकर पारण करने के बाद समाप्त होती है. चैत्र शुक्ल चतुर्थी 12 अप्रैल यानी शुक्रवार को रोहिणी नक्षत्र व आयुष्मान योग में नहाय-खाय के साथ चैती छठ का महापर्व शुरू होगा. व्रती गंगा स्नान कर अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी आदि ग्रहण कर चार दिवसीय इस महापर्व का संकल्प लेंगी. 13 को व्रती खरना की पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करेंगी. चैत्र शुक्ल षष्ठी 14 को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा. 15 अप्रैल को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर महापर्व का समापन होगा.

  • 12 अप्रैल, शुक्रवार को नहाय-खाय
  • 13 अप्रैल, शनिवार को खरना
  • 14 अप्रैल, रविवार को संध्या अर्घ
  • 15 अप्रैल, सोमवार को प्रात: अर्घ व पारण

चैती छठ का क्या है विशेष महत्व

पंडित श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि चैती छठ की खास बात यह है कि इसे नवरात्रि के छठे दिन मनाते हैं. इस दिन देवी के छठे रूप देवी कात्यायनी की पूजा होती है. जबकि नहायखाय के दिन देवी के कूष्मांडा रूप की पूजा होती है. खरना के दिन देवी स्कंदमाता की पूजा होती है. इसलिए चैत्र नवरात्रि के दौरान जो श्रद्धालु चैती छठ का व्रत रखते हैं, उन्हें छठ मैया के साथ देवी दुर्गा का भी आशीर्वादमिलता है.

क्या है नहाय खाय का महत्व और पूजा विधि

छठ पर्व के पहले दिन को ‘नहाय खाय’ के नाम से जाना जाता है, इस दिन घर की साफ सफाई की जाती है. इस दिन सूर्योदय के पहले व्रती नदी में स्नान के बाद नए वस्त्र धारण कर शाकाहारी भोजन ग्रहण करते ह. व्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन करते है.

क्या है खरना का महत्व और पूजा विधि

छठ पर्व के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है. इस दिन सुबह स्वच्छ होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, इसके बाद पूरे दिन निर्जला उपवास कर संध्या के समय घर के बाकी सदस्यों के साथ गुड़ से बनी चावल की खीर का सेवन किया जाता है.

चैती छठ के अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का क्या है महत्व

छठ पर्व के तीसरे दिन का बड़ा महत्व है. इस दिन शाम को बांस की टोकरी में पूजा की सम्पूर्ण सामग्री को लेकर घाट पर जाते हैं. घाट पर पहुंचने के बाद व्रत करने वाली महिलाएं सूर्य को अर्घ्य देती हैं. अर्घ्य के समय सूर्य देव को जल और दूध चढ़ाया जाता है और प्रसाद से भरे सूप से छठी मैया की पूजा की जाती है.

उगते सूर्य अर्घ्य का क्या है महत्व

छठ पर्व के अंतिम दिन सप्तमी की सुबह में सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है, इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है. इसके साथ ही छठ पूजा व्रत का समापन होता है.

छठ पूजा के दिन अर्घ्य देने की विधि

एक बांस के सूप में केला एवं अन्य फल, प्रसाद, ईख आदि रखकर उसे पीले वस्त्र से ढक दें. इसके बाद दीप जलाकर सूप में रखें और सूप को दोनों हाथों में लेकर अस्त होते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें. अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्र का जाप करें.

Chaiti Chhath Puja 2024: चैती छठ और कार्तिक छठ में क्या अंतर है? जानें व्रत पूजा के नियम और महत्व

ज्योतिष संबंधित चुनिंदा सवालों के जवाब प्रकाशित किए जाएंगे
यदि आपकी कोई ज्योतिषीय, आध्यात्मिक या गूढ़ जिज्ञासा हो, तो अपनी जन्म तिथि, जन्म समय व जन्म स्थान के साथ कम शब्दों में अपना प्रश्न radheshyam.kushwaha@prabhatkhabar.in या WhatsApp No- 8109683217 पर भेजें. सब्जेक्ट लाइन में ‘प्रभात खबर डिजीटल’ जरूर लिखें. चुनिंदा सवालों के जवाब प्रभात खबर डिजीटल के धर्म सेक्शन में प्रकाशित किये जाएंगे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें