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Ayodhya ki Ramleela: रामजन्म की लीला से मंत्रमुग्ध हुए दर्शक, जानें अयोध्या रामलीला में भाव विभोर करने वाला क्या रहा प्रसंग…

Ayodhya ki Ramleela: अयोध्या वर्चुअल रामलीला में दूसरे दिन दूसरे भगवान श्रीराम के जन्म की लीला के मंचन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. रामलीला में गुरु वशिष्ठ ने महाराजा दशरथ को संतानोत्पत्ति के लिए यज्ञ कराने का निर्देश दिया. श्रृंगीऋषि यज्ञ कराते हैं, यज्ञ सफल होता है. अग्निदेव प्रकट हुए और द्रव्य देकर दशरथ से कहा कि इसे अपनी रानियों को दे दीजिए, इसका सेवन करने से संतान अवश्य होगी.

ayodhya ki ramleela: अयोध्या वर्चुअल रामलीला में दूसरे दिन दूसरे भगवान श्रीराम के जन्म की लीला के मंचन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. रामलीला में गुरु वशिष्ठ ने महाराजा दशरथ को संतानोत्पत्ति के लिए यज्ञ कराने का निर्देश दिया. श्रृंगीऋषि यज्ञ कराते हैं, यज्ञ सफल होता है. अग्निदेव प्रकट हुए और द्रव्य देकर दशरथ से कहा कि इसे अपनी रानियों को दे दीजिए, इसका सेवन करने से संतान अवश्य होगी. राजा दशरथ के द्रव्य देने के बाद रानियां उन्हें ग्रहण करती हैं. अगले दृश्य में भगवान विष्णु प्रकट होते हैं कौशल्या हतप्रभ सी उनके दर्शन करती है. इस बीच मंच पर पार्श्व संगीत भए प्रकट कृपाला, दीनदयाला, कौसल्या हितकारी..गूंजने लगता है

रामलीला में पूरा दृश्य उत्साहमय, उल्लसित नजर आता है. माता कौशल्या कहती हैं हे तात आप यह विराट रूप त्याग कर अत्यंत प्रिय बाल लीला कीजिए. विष्णु जी अंर्तध्यान होते हैं, बच्चों के रोने की आवाजें सुनाई देती हैं, खुशी का संगीत उभरता है. अगले दृश्य में रामजन्म के समाचार से राजा दशरथ सहित संपूर्ण अयोध्या में खुशी छा जाती है. पार्श्व गीत ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैजनिया..बाल लीला के दृश्य को जीवंत करता प्रतीत हो रहा था.

इसके बाद एक अन्य दृश्य में चारों भाईयों का नामकरण संस्कारण किया गया. इससे पूर्व दूसरे दिवस की रामलीला मंचन का शुभारंभ श्रवण कुमार-राजा दशरथ प्रसंग से हुआ जो कि अत्यंत भाव विभोर करने वाला रहा. श्रवण कुमार अपने अंधे माता-पिता को कंधे पर बिठाकर तीर्थयात्रा पर निकलते हैं. अगले दृश्य में महाराज दशरथ सरयू किनारे आखेट को निकलते हैं. उधर श्रवण कुमार कांवर लिए प्रवेश करते हैं. माता-पिता के लिए श्रवण बर्तन लिए हुए सरयू नदी के तट पर पानी भरने लगते हैं.

बर्तन डुबोने की आवाज होती है तभी एक तीर आकर श्रवण कुमार की छाती में धंस जाता है. श्रवण कुमार का तड़पना और दशरथ का दौड़ कर आना देखर दर्शख भाव विह्वल हुए. अगले दृश्य में श्रवण के माता-पिता एक वृक्ष के नीचे बैठे हैं. दशरथ पानी लेकर पहुंचते हैं. श्रवण के माता-पिता राजा दशरथ को श्राप देते हैं कि जिस तरह पुत्र वियोग में मरता यह वृद्घ पुत्र चिंतन में, तू भी पुत्र वियोग में ही तज दे प्राण चौथे पन में..। यह मेरा श्राप है. अगले दृश्य में रामजन्म के बाद -गुरु वशिष्ठ द्वारा चारों भाइयों को वेद व अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा का लीला मंचन अत्यंत ही मनोहारी रहा. रामलीला समिति ने इस लीला के मंचन के लिए कई स्पेशल इफेक्ट का प्रयोग किया था जो अत्यंत ही आकर्षक नजर आ रहा था.

News posted by : Radheshyam kushwaha

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