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राशि के अनुसार इन मंत्रों से करें भगवान भोलेनाथ की पूजा

त्रिलोक स्वामी देवाधिदेव शिव की साधना मानव जीवन के लिए सबसे सहज माना गया है. लेकिन इसके साथ ही अगर जातक अपनी राशि के अनुसार भगवान शिव की विशेष मंत्रों से पूजा करता है तो मनवांक्षित फल की प्राप्ति होती है. सरलता व सहजता से पूजा करना वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भक्तों के लिए लोकप्रिय होता […]

त्रिलोक स्वामी देवाधिदेव शिव की साधना मानव जीवन के लिए सबसे सहज माना गया है. लेकिन इसके साथ ही अगर जातक अपनी राशि के अनुसार भगवान शिव की विशेष मंत्रों से पूजा करता है तो मनवांक्षित फल की प्राप्ति होती है. सरलता व सहजता से पूजा करना वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भक्तों के लिए लोकप्रिय होता जा रहा है. शिव की पूजा लोक में बहुत ही प्रसिद्धि लिए हुए है. हर मानवों के लिए शिव कल्याण के द्योतक पौराणिक ग्रंथों में आख्यायित हैं. जगत के स्रष्टा, नियंता व संहारक शिव माने गये हैं. इनकी अर्चना आदि काल से होती रही है. कालांतर में सबसे अधिक पूजा पावन सावन में होने की परंपरा प्रवाहमान है. भगवान शिव जगत के गुरू हैं.

शिवो गुरू: शिवो देव: बंधु: शरीरिणाम्.

शिव आत्मा शिवो जीव: शिवादन्यन्न किंचन्.

– स्कंदपुराण, ब्रह्मोतरखंड.

अर्थात भगवान शिव गुरू हैं, शिव देवता हैं, शिव ही प्राणियों के बंधु हैं, शिव ही आत्मा हैं और शिव की जीव है. शिव से भिन्न दूसरा कुछ नहीं है. कल्याण व सुख के मूल स्रोत अगर कोई देव तीनों लोकों में है तो वह एकमात्र भगवान शिव हैं. संपूर्ण विधाओं के स्रोत हैं, स्रष्टा हैं तथा समस्त भूतों के अधीश्वर, ब्रह्मज्ञान के अधिपति, ब्रह्म बल वीर्य के प्रतिपालक वाले देवाधिदेव महादेव की पूजा वैदिक काल से चलती आ रही है.

मेष राशि : मेष राशि वाले साधक भगवान शिव की पूजा के बाद ‘ह्रीं ॐ नमः शिवाय ह्रीं’ इस मंत्र का 108 बार जप करें. शहद, गु़ड़, गन्ने का रस, लाल पुष्प चढ़ाएं.

वृष राशि : इस राशि के साधक को मल्लिकार्जुन का ध्यान करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जप करें और कच्चे दूध, दही, श्वेत पुष्प चढ़ाएं.

मिथुन राशि : मिथुन राशि वाले जातक महाकालेश्वर का ध्यान करते हुए ‘ॐ नमो भगवते रूद्राय’ मंत्र का यथासंभव जप करें. हरे फलों का रस, मूंग, बेलपत्र आदि चढाएं.

कर्क राशि : कर्क राशि वाले शिवभक्त शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए ‘ॐ हौं जूं सः’ मंत्र का जितना संभव हो जप करें और शिवलिंग पर कच्चा दूध, मक्खन, मूंग, बेलपत्र आदि चढाएं.

सिंह राशि : सिंह राशि वाले साधकों के लिए ‘ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधि पुष्टिवर्धनम, उर्वारूकमिव बन्ध्नान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्.’ मंत्र का बड़ा महत्व है. इस मंत्र का कम से कम 51 बार जप करें. इसके साथ ही ज्योतिर्लिंग पर शहद, गु़ड़, शुद्ध घी, लाल पुष्प आदि चढाएं.

कन्या राशि : कन्या राशि वाले साधक ‘ॐ नमो भगवते रूद्राय’ मंत्र का यथासंभव जप करें. हरे फलों का रस, बिल्वपत्र, मूंग, हरे व नीले पुष्प चढाएं.

तुला राशि : तुला राशि वाले जातक शिव पंचाक्षरी मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का 108 बार जप करें और दूध, दही, घी, मक्खन, मिश्री चढ़ाएं.

वृश्चिक राशि : वृश्चिक राशि वाले साधक ‘ह्रीं ॐ नमः शिवाय ह्रीं’ मंत्र का यथासंभव जाप करें और शहद, शुद्ध घी, गु़ड़, बेलपत्र, लाल पुष्प शिवलिंग पर अर्पित करें.

धनु राशि : धनु राशि वाले साधक ‘ॐ तत्पुरूषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रूद्रः प्रचोदयात।।’ मंत्र से भगवान शिव की अर्चना करें. धनु राशि वाले मंत्र जाप के अलावा शिवलिंग पर शुद्ध घी, शहद, मिश्री, बादाम, पीले पुष्प, पीले फल चढ़ाएं.

मकर राशि : मकर राशि वाले साधक भगवान त्रयम्बकेश्वर का ध्यान करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 5 माला जप करें. इसके अलावा भगवान शिव का सरसों का तेल, तिल का तेल, कच्चा दूध, जामुन, नीले पुष्प से अभिषेक करें.

कुंभ राशि : कुंभ राशि के स्वामी भी शनि देव हैं इसलिए इस राशि के व्यक्ति भी मकर राशि की तरह ‘ॐ नमः शिवाय’ का जप करें. जप के समय केदरनाथ का ध्यान करें. कच्चा दूध, सरसों का तेल, तिल का तेल, नीले पुष्प चढाएं.

मीन राशि : मीन राशि वाले जातक के ‘ॐ तत्पुरूषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रूद्र प्रचोदयात।।’ मंत्र का जितना अधिक हो सके जप करें. गन्ने का रस, शहद, बादाम, बेलपत्र, पीले पुष्प, पीले फल चढाएं

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