महान तपस्वी भगवान श्रीहरि के परम भक्त ध्रुव ‘ऊं नम: भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करते थे और भगवान विष्णु को चतुर्भुज रूप में याद करते थे. ध्यान के समय ध्रुव भगवान का ‘नारायण’ नाम का जाप किया करते थे. नारायण भगवान विष्णु का ही नाम है. इसमें चार अक्षर है. ना रा य ण. भगवान की चार भुजाएं है और चार ही आयुध हैं. भगवान के चारो हाथों में शंख, गदा, चक्र और पद्म सुशोभित है. भगवान का ध्यान करने के लिए सबसे पहले आकाश की ओर मुख कर भगवान का ध्यान करना चाहिए और चिंतन करना चाहिए कि भगवान आकाश में दिखाई दे रहे हैं. भगवन अपने चतुर्भुज रूप में आकाश में विद्यमान हैं और उनके चरण धरती को छू रहे हैं. उनकी दो भुजाएं जमीन की ओर हैं और दो भुजाएं उपर की ओर हैं जिनमें शंख और चक्र धारण किये हुए है. उसके बाद भगवान का ध्यान अपने हृदय में करना चाहिए. ऐसा ध्यान करना चाहिए कि भगवान हृदय में विराजित हैं और सभी प्राणियों के हृदय में परम भगवान विष्णु स्वयं विद्यमान हैं.
भगवान की स्तूति गान इस प्रकार करें
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव ।।
यं ब्रह्मा वरुणेन्द्ररुद्रमरुत: स्तुवन्ति दिव्यै: स्तवै,
वेदै: सांगपदक्रमोपनिषदैर्गायन्ति यं सामगा:।
ध्यानावस्थिततद् गतेन मनसा पशयन्ति यं योगिनो,
यस्यान्तं न विदु: सुरासुरगणा देवाय तस्मै नम:।।
परं ब्रह्म परं धाम पवित्रं परमं भवान् ।
पुरुषं शाश्वतं दिव्यमादिदेवमजं विभुम् ॥
आहुस्त्वामृषयः सर्वे देवर्षिर्नारदस्तथा ।
असितो देवलो व्यासः स्वयं चैव ब्रवीषि मे ॥
इन श्लोकों से करें भगवान को प्रसन्न
शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्,
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्,
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ।।
भगवान विष्णु का भजन गाकर भगवान को प्रसन्न करें
श्री मन्ननारायणनारायणनारायण, श्री मन्ननारायणनारायणनारायण.