22.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्तों का पर्व ही नहीं, सभी रिश्तों का सेतु भी है

सदगुरु स्वामी आनंद जी आंतरिक भय के उन्मूलन व आत्म बल के विस्तार का पर्व है रक्षाबंधन आंतरिक भय को नष्ट करने और आत्मबल के विस्तार का पर्व है श्रावण मास की पूर्णिमा, जो विश्व में भारतवंशियों के बीच रक्षाबंधन के रूप में प्रख्यात है. इसे बलेव और नारियल पूर्णिमा के रूप में जाना जाता […]

सदगुरु स्वामी आनंद जी
आंतरिक भय के उन्मूलन व आत्म बल के विस्तार का पर्व है रक्षाबंधन
आंतरिक भय को नष्ट करने और आत्मबल के विस्तार का पर्व है श्रावण मास की पूर्णिमा, जो विश्व में भारतवंशियों के बीच रक्षाबंधन के रूप में प्रख्यात है. इसे बलेव और नारियल पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर बलि राजा के अहंकार को जमींदोज कर दिया था. इसलिए यह पर्व ‘बलेव’ नाम से भी जाना जाता है.
महाराष्ट्र में यह दिन श्रावणी या नारियल पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है, जहां पुरुष बहते हुए जल में नारियल अर्पित कर जल के तट पर अपने जनेऊ बदलते हैं और समुद्र देव की आराधना करते हैं. एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार अदिति के पुत्रों देवों और दिति के पुत्रों दैत्यों के युद्ध में जब देव कमजोर होने लगे, तब भयभीत देवों के हाथ में इंद्राणी ने रक्षासूत्र बांध कर अभय का वरदान दिया था. रक्षासूत्र प्रचलित रक्षाबंधन का प्रमुख घटक है.
ये जहां अंतर्मन के भय को नष्ट करता है, वहीं विपरीतलिंगी सहोदरों यानी भाई-बहन को परस्पर जोड़ कर समाज को एक सूत्र में पिरोता है. रक्षाबंधन सिर्फ भाई-बहन के ही रिश्ते का पर्व नहीं है. यह गुरु-शिष्य सहित समस्त रिश्तों का सेतु और बल प्रदान करने का सूत्र है.
वैज्ञानिक है इसकी अवधारणा
रक्षासूत्र की अवधारणा नितांत वैज्ञानिक है. प्राचीन काल में रक्षाबंधन के लिए प्रयुक्त रक्षासूत्र बनाने के लिए केसर, अक्षत, सरसों के दाने, दूर्वा और चंदन को रेशम के लाल कपड़े में रेशम के धागे से बांध लिया जाता था.
इन सब सामग्रियों के चयन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण समाहित है, लिहाजा इन सामग्रियों में आध्यात्मिक चिकित्सकीय गुण छुपा नजर आता है. रक्षासूत्र में रेशम मुख्य अवयव है. रेशम को कीटाणुओं को नष्ट करने वाला यानी प्रतिजैविक माना जाता है, जिसे एंटीबायोटिक कहते हैं.
केसर को ओजकारक, उष्णवीर्य, उत्तेजक, पाचक, वात-कफ-नाशक और दर्द को नष्ट करने वाला माना गया है. सरसों चर्म रोगों से रक्षा करता है. यह कफ तथा वातनाशक, खुजली, कोढ़, पेट के कृमि नाशक गुणों से युक्त होता है. दूर्वा यानी दूब कांतिवर्धक, रक्तदोष, मूर्च्छा, अतिसार, अर्श, रक्त पित्त, यौन रोगों, पीलिया, उदर रोग, वमन, मूत्रकृच्छ इत्यादि में विशेष लाभकारी है. चंदन शीतल माना जाता है, जो मस्तिष्क में सेराटोनिन व बीटा-एंडोरफिन नामक रसायनों को संतुलित करता है. लिहाजा रक्षाबंधन की राखी में केसर भाई के ओज और तेज में वृद्धि का, अक्षत-भाई के अक्षत, स्वस्थ और विजयी रहने की कामना का, सरसों के दाने-भाई के बल में वृद्धि का, दूर्वा-भ्राता के सदगुणों में बढ़ोत्तरी का, और चंदन- भाई के जीवन में आनन्द, सुगंध और शीतलता में इजाफे का प्रतीक है.
आज बाजार में सोने और चांदी की राखी भी नजर आती है, जिनका न तो कोई वैज्ञानिक आधार है, न ही शास्त्रीय. सोना-चांदी तो भौतिक और सतही समृद्धि के प्रतीक हैं. इतिहास गवाह है की संसार के सभी बड़े युद्ध और वैमनस्य के पीछे यही स्थूल दौलत रही है. भाई-बहन का रिश्ता तो प्रेम का रिश्ता है.
वहां हीरे की चमक और सोने की खनक का क्या काम. प्राचीन परंपरा कहती है कि भाई राखी बांधते समय बहन को पूर्वाभिमुख होकर भाई के ललाट पर रोली, चंदन व अक्षत का तिलक कर निम्न मंत्र का उच्चारण भाई -बहन के संबंधों को प्रगाढ़ करता है.
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:.
तेन त्वां अभिबन्धामि रक्षे मा चल मा चल..
यदि शिष्य गुरु को रक्षा सूत्र अर्पित कर रहा हो तो उसे थोड़े से परिवर्तन के साथ इस मंत्र को इस प्रकार उच्चारित करना चाहिए.
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:|
तेन त्वां रक्षबन्धामि रक्षे मा चल मा चल||
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel