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इन राशियों की कुंडली में सक्रिय होगा कालसर्प योग, जानें कैसे करें बचाव

Kaal Sarp Dosh in 2025: कुंडली में कालसर्प दोष होने पर व्यक्ति निरंतर भय के वातावरण में जीवन व्यतीत करता है. उसे रात में सोते समय भी शांति नहीं मिलती. अक्सर डरावने सपनों के कारण उसकी नींद टूट जाती है. आइए, समझते हैं कि कालसर्प दोष कब उत्पन्न होता है, इसके लक्षण क्या हैं और इसके समाधान क्या हो सकते हैं.

Kaal Sarp Dosh: साल 2025 ज्योतिषीय दृष्टि से कई बड़े बदलाव लेकर आ रहा है. ग्रहों की स्थिति में होने वाले खास योगों में से एक है कालसर्प योग, जो कुछ राशियों की कुंडली में इस वर्ष विशेष रूप से प्रभावी रहेगा. यह योग तब बनता है जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं. इसे आमतौर पर अशुभ माना जाता है क्योंकि यह जीवन में रुकावटें, मानसिक तनाव, आर्थिक अस्थिरता और पारिवारिक कलह का कारण बन सकता है.

साल 2025 ज्योतिष के नजरिए से कई महत्वपूर्ण परिवर्तन लेकर आएगा. ग्रहों की स्थिति में बनने वाले विशेष योगों में से एक है कालसर्प योग, जो इस वर्ष कुछ राशियों की कुंडली में विशेष रूप से प्रभावी रहेगा. यह योग तब उत्पन्न होता है जब सभी ग्रह राहु और केतु के मध्य स्थित होते हैं. इसे सामान्यतः अशुभ माना जाता है, क्योंकि यह जीवन में बाधाएं, मानसिक तनाव, आर्थिक अस्थिरता और पारिवारिक विवादों का कारण बन सकता है.

इस राशि वालों पर रहती है शनिदेव की विशेष कृपा

2025 में किन राशियों पर रहेगा कालसर्प योग का प्रभाव

  • मिथुन राशि: इस राशि के जातकों को अपने करियर में अचानक बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है. कार्यस्थल पर तनाव और वरिष्ठों के साथ मतभेद की स्थिति बनी रह सकती है.
  • कन्या राशि: पारिवारिक जीवन में असंतुलन उत्पन्न हो सकता है. स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहना आवश्यक है, विशेषकर पेट और त्वचा से संबंधित समस्याओं से बचने के लिए.
  • धनु राशि: आर्थिक हानि और कानूनी विवादों में फंसने की संभावना है. निवेश करने से पहले पूरी तरह से जांच करना आवश्यक है.
  • मीन राशि: मानसिक तनाव, आत्मविश्वास की कमी और निर्णय लेने में कठिनाई जैसे लक्षण सामने आ सकते हैं.

कालसर्प योग से बचाव के उपाय

  • प्रत्येक सोमवार और शनिवार को भगवान शिव की आराधना करें.
  • कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए किसी योग्य पंडित से पूजा करवाना उचित है, विशेषकर त्र्यंबकेश्वर (नासिक) या उज्जैन जैसे पवित्र स्थलों पर.
  • नाग पंचमी के अवसर पर नाग देवता की पूजा करना भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है.
  • राहु-केतु के मंत्रों का नियमित रूप से जप करें, जैसे: “ॐ रां राहवे नमः” और “ॐ कें केतवे नमः”.

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