झारखंड में वर्ष 2016 में शुरू हुई हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गयी है. प्रार्थी सोनी कुमारी ने जहां कोर्ट में अवमाननावाद दायर किया है, वहीं राज्य सरकार भी इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है. सोमवार को राज्य सरकार की ओर से भी इस मामले में याचिका दायर किये जाने की संभावना है. राज्य सरकार पिछले आदेश के कुछ बिंदुओं को लेकर फिर सुप्रीम कोर्ट जायेगी.
इस वर्ष अगस्त में सुप्रीम काेर्ट ने अपने आदेश में वर्ष 2016 में बनी नियोजन नीति को रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में थर्ड व फोर्थ ग्रेड की नियुक्ति में सौ फीसदी आरक्षण के प्रावधान को हाइकोर्ट द्वारा असंवैधानिक करार देने को सही माना था.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप पूरे राज्य के एक मेरिट लिस्ट बनाया जाना है. इसके लिए पहले से विषयवार न्यूनतम कट ऑफ मार्क्स को आधार बनाया जाना है. पूरे राज्य को गैर अनुसूचित व अनुसूचित जिला में बिना बांटे नियुक्ति करने को कहा गया था.
वर्ष 2016 में राज्य में 17572 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई थी. इसमें आठ हजार शिक्षकों की नियुक्ति जिला स्तर पर तैयार मेरिट लिस्ट पर हुई है. यह नियुक्ति वर्ष 2016 के नियोजन नीति के आधार पर अनुसूचित व गैर अनुसूचित जिला के आधार पर हुई है. हाइस्कूल शिक्षकों का कैडर जिलास्तरीय है.
सोनी कुमारी की ओर से दायर अवमाननावाद पर सोमवार को सुनवाई होगी. सोनी कुमार द्वारा दायर किये अवमाननावाद में कहा गया है कि राज्य सरकार व झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के आदेश की अवेहलना की जा रही है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इधर झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने प्रमाण पत्रों के सत्यापन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके लिए आयोग द्वारा दिशा-निर्देश भी जारी किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मेरिट लिस्ट को लेकर पूर्व में दिये गये आदेश के कुछ बिंदुओं पर और स्पष्टता का आग्रह किया जायेगा. पहले जिला स्तर पर मेरिट लिस्ट तैयार हुई थी. सभी जिलों की नियुक्ति का न्यूनतम अंक अलग-अलग था. सीट भी सभी जिलों के लिए अलग-अलग आवंटित थी. ऐसे मेरिट लिस्ट तैयार करने की प्रक्रिया को लेकर सरकार सुप्रीम कोर्ट जायेगी. राज्य स्तर पर मेरिट लिस्ट तैयार करने से कई विषयों में तय सीट से अधिक अभ्यर्थियों के चयन का मामला सामने आ रहा है.