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झारखंड राज्य बागवानी मिशन में गड़बड़ी! जमीन खरीदने से पहले ही लाभुक को मिला योजना का लाभ

झारखंड राज्य बागवानी मिशन (केंद्र प्रायोजित) में फ्रंट लाइन डेमोस्ट्रेशन (एफएलडी) के नाम पर गड़बड़ी का मामला सामने आया है. ऑडिट टीम ने पाया कि रांची के एक लाभुक को जमीन लेने से पहले ही योजना का लाभ दे दिया गया.

रांची, मनोज सिंह : झारखंड राज्य बागवानी मिशन (केंद्र प्रायोजित) में फ्रंट लाइन डेमोस्ट्रेशन (एफएलडी) के नाम पर गड़बड़ी की आशंका है. राज्य सरकार के योजना एवं वित्त विभाग ने प्रारंभिक जांच में कई बिंदुओं पर आपत्ति जतायी है. विभाग को आशंका है कि इस स्कीम का संचालन तय नियमों के विपरीत किया गया है. ऑडिट टीम ने विभाग को स्थिति स्पष्ट करने को कहा है. टीम ने जांच के दौरान केस स्टडी के तौर पर कुछ स्कीम लिया है.

जमीन खरीदने से पहले ही योजना का मिला लाभ

राजधानी रांची के पिस्का नगड़ी के एक मामले की जांच के क्रम में ऑडिट की टीम ने पाया है कि एक लाभुक को बिना जमीन के 18.75 लाख रुपये की स्कीम दे दी गयी है. टीम ने पाया कि भोला महतो को दी गयी स्कीम मार्च 2017 को पूरी हो गयी थी, जबकि भोला महतो और उसकी पत्नी के नाम से जमीन 24 अगस्त 2018 में निबंधित दिखाया गया है. स्कीम वैसे लाभुकों को देने का प्रावधान है, जिनकी खुद की जमीन हो. जांच टीम ने लिखा है कि इस योजना के दौरान भोला महतो को 18.12.2015 में एसबीआई की नगड़ी शाखा से 18.75 लाख रुपये का भुगतान किया गया है. यह संदेह पैदा करता है.

डीपीआर का जिक्र नहीं

इसी मामले में भोला को आदित्य बायोटेक लैब रिसर्च से केला का टिश्यू कल्चर उपलब्ध कराने की बात कही गयी है. इसका चालान पाया गया है, लेकिन इसके साथ बिल नहीं है. इसी स्कीम में ऋण खाते की जानकारी नहीं दी गयी है. लाभुक का मूल आवेदन भी नहीं है. डीपीआर कहां से बनाया गया, यह भी जिक्र नहीं है. बागवानी मिशन ने 2016-17 में जमशेदपुर की संस्था टीआरसीएसजी को दो एफएलडी दिया था.

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36 लाख रुपये का भुगतान

इसमें संस्था को करीब 36 लाख रुपये का भुगतान अनुदान के रूप में किया गया है. संस्था को सपोटा और पपीता के लिए एफएलडी मिला था. कागजातों की जांच में टीम ने पाया कि संस्था ने अगर शेष राशि ऋण से प्राप्त किया है, तो उसकी जानकारी नहीं है. इसके साथ सब्सिडी एकाउंट का विवरण भी संचिका में उपलब्ध नहीं है.

अमरूद की स्कीम के लिए अनार का डीपीआर

एफएलडी के 2017-18 के एक स्कीम में अमरूद के प्रत्यक्षण के लिए अनार का डीपीआर जमा कर दिया था. इसको भी विभाग ने स्वीकृत कर दिया था. 25 लाख की योजना पर 18.75 लाख रुपये अनुदान दे दिया गया था. चान्हो के बेयासी निवासी किसान मनोज महतो को 18.75 लाख रुपये अनुदान सादा स्टांप पेपर पर दे दिया गया था. सिल्ली के सुरेश महतो को भी सादा स्टांप पेपर पर स्कीम का लाभ दे दिया गया था.

बागवानी मिशन में डेमोस्ट्रेशन के नाम पर गड़बड़ी का अनुमान

जांच टीम ने पाया है कि एक संस्था को सपोटा लगाने के लिए 2016 में 25 लाख रुपये की लागत की योजना मिली थी. इसमें 75 फीसदी या अधिकतम 18.75 लाख रुपये अनुदान देना था. संस्था को 75 फीसदी की दर से 17.56 लाख रुपये अनुदान के रूप में मिलना चाहिए था. इसके बदले में संस्था को 18.75 लाख रुपये दे दिये हैं. संस्था को करीब 1.18 लाख रुपये अधिक का भुगतान कर दिया गया.

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Prabhat Khabar News Desk
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