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Waqf Board News : लोकसभा से पारित होने के बाद वक्फ बिल 3 अप्रैल को राज्यसभा में पेश किया गया है. अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरन रिजीजू ने बिल को पेश किया और मुस्लिम समाज को आश्वस्त किया कि वक्फ बिल मुसलमानों के कल्याण के लिए लाया जा रहा है और इसका कोई दूसरा एजेंडा नहीं है. वक्फ की संपत्ति पर सही तरह से ट्रैकिंग की जाएगी, ताकि उसका इस्तेमाल गरीब मुसलमानों के हित में सही तरीके से हो. सरकार के इस ठोस आश्वासन के बावजूद देश का मुसलमान वक्फ बिल को लेकर डरा हुआ है, उसके मन में कई तरह की आशंकाएं हैं.
वक्फ बिल को लेकर क्या सोचते हैं मुसलमान
वक्फ बिल को लेकर मुसलमानों के मन में यह शंका है कि अगर वक्फ संशोधन बिल पास हुआ तो मुसलमानों का हक मारा जाएगा और कहीं ना कहीं यह उनके धर्म में हस्तक्षेप भी होगा. हालांकि वक्फ संशोधन बिल को पेश करते हुए सरकार ने यह कई बार स्पष्ट किया कि सरकार की कोई मंशा धार्मिक कार्यों में हस्तक्षेप की नहीं है. सरकार बस यह चाहती है कि वक्फ की संपत्ति का गरीब मुसलमानों के लिए सही तरीके से इस्तेमाल हो. मुसलमानों की इस शंका पर अपनी राय व्यक्त करते हुए मौलाना तहजीब कहते हैं कि इस्लाम में वक्फ अल्लाह के नाम पर दान की गई प्रॉपर्टी है, यानी उस प्रॉपर्टी के मालिक अल्लाह हैं हमारे शरीयत के मुताबिक. जो भी व्यक्ति वक्फ करता है, यानी दान करता है, उस संपत्ति को उसकी इच्छा अनुसार काम में इस्तेमाल किया जाता है. मसलन अगर कोई मस्जिद के लिए वक्फ करता है, तो उसकी संपत्ति से मस्जिद बनेगा. अगर वह शिक्षा के लिए वक्फ करता है, तो उसकी संपत्ति से स्कूल खोले जाएंगे या और भी कई तरह के काम हो सकते हैं. अब जबकि सरकार उस वक्फ संपत्ति पर अपना नियंत्रण कायम कर रही है, तो मुसलमानों के मन में यह शंका है कि उस संपत्ति के साथ छेड़छाड़ हो सकती है और वक्फ का असली मकसद खो सकता है. इसी वजह से आम मुसलमान वक्फ बिल से डर रहा है.
सिर्फ मुसलमानों की संपत्ति पर निगरानी क्यों?

वक्फ बिल पेश करते हुए सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि वक्फ प्रॉपर्टी पर पूरी तरह से निगरानी रखी जाएगी. 2025 के बाद जो प्रॉपर्टी वक्फ की जाएंगी, उनका रजिस्ट्रेशन होगा, दस्तावेज की जांच होगी और तब ही उसके वक्फ प्रॉपर्टी माना जाएगा. इस बात को लेकर भी मुसलमान सशंकित हैं. उनके मन में यह धारणा आ रही है कि क्या सरकार उनके साथ कोई भेदभाव कर रही है? इसकी वजह स्पष्ट करते हुए मौलाना तहजीब कहते हैं कि देश में कई न्यास, चर्च और अन्य संस्थाएं हैं, जिनके पास बहुत पैसा है, सरकार उनके पैसों पर नजर क्यों नहीं रख रही है. अगर सरकार की मंशा सिर्फ गरीबों का कल्याण ही है, तो उन्हें वक्फ के साथ-साथ अन्य धर्म के लोगों के पैसों पर भी निगरानी रखनी चाहिए, ताकि गरीबों का कल्याण हो.
वक्फ बिल में संशोधन की जरूरत नहीं थी
वक्फ संशोधन बिल की अभी जरूरत क्या थी, इसे लेकर भी मुसलमान समाज शंका में है. उन्हें इस बात का डर सता है कि जो संशोधन किए गए हैं उसकी वजह से वक्फ संपत्ति को नुकसान होगा. झारखंड सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्य मोहम्मद फैजी का कहना है कि 1995 में जो वक्फ बिल आया था, वह वक्फ प्रॉपर्टी के लिए एक तरह से सुरक्षा कवच था, लेकिन अब सरकार ने बेवजह उस बिल में संशोधन करके हमारे सुरक्षा कवच को तोड़ने का काम किया है. अगर सरकार यह दावा करती है कि वह मुसलमानों की मदद करना चाहती है और वक्फ का सही इस्तेमाल करना चाहती है, तो वक्फ बोर्ड के संचालन में जो खामी थी उसे दुरस्त करना चाहिए था, नए और कमजोर बिल की क्या जरूरत थी? इस बिल की वजह से वक्फ की संपत्ति गलत हाथों में चली जाएगी, जो बहुत गलत होगा. इस बात से मुस्लिम समाज डरा हुआ है.
वक्फ प्रॉपर्टी से अगर सरकार आय बढ़ाए तो यह स्वागत योग्य होगा
मुस्लिम समाज के लोग इस बात को स्पष्ट तौर पर मानते हैं कि वक्फ की संपत्ति के सही इस्तेमाल में कोताही हुई है और इसके लिए वक्फ बोर्ड ही जिम्मेदार है. आज भी कई वक्फ संपत्ति का बेजा इस्तेमाल हो रहा है. मौलाना तहजीब बताते हैं कि झारखंड में 200 से ज्यादा वक्फ हैं, लेकिन उनमें से 50 भी सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किए जा रहे हैं. इसकी वजह यह है कि वक्फ की संपत्ति को मुसलमानों ने भी बहुत बर्बाद किया है. अगर भारत सरकार वक्फ की संपत्ति को सही मायने में मुसलमानों की बेहतरी के लिए इस्तेमाल करना चाहती है, तो मैं सरकार के कदम का स्वागत करता हूं.
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