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UPS: पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा फिर गर्म, यूपीएस के विरोध में क्यों हैं कर्मचारी संगठन

NMOPS: नेशनल मूवमेंट फ़ॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) यूनीफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के विरोध में 1 अप्रैल को काला दिवस मनाएगा. इसी दिन भारत सरकार केंद्र की नौकरियों में यूपीएस को लागू करने जारी रही है. इसके विरोध में कर्मचारी देश भर में काली पट्टी बांधकर विरोध प्रकट करेगा. 1 मई को कर्मचारी जंतर मंतर पर धरना-प्रदर्शन करेंगे.

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UPS: 1 अप्रैल को केंद्र सरकार की नौकरियों में यूनीफाइड पेंशन स्कीम (UPS) लागू हो जाएगी. इस स्कीम में 25 साल की नौकरी पूरी कर चुके कर्मचारी रिटायरमेंट के आखिरी 10 माह के मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में पा सकेंगे. इस योजना का लाभ 23 लाख से अधिक कर्मचारियों को मिलेगा. ये योजना उन लोगों को ध्यान में रखकर लाई जा रही है जो बाजार जोखिम पर आधारित न्यू पेंशन स्कीम को पसंद नहीं करते हैं. यूपीएस के लिए पेंशन फंड एंड विनियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) ने एनपीएस विनियम 2025 के तहत यूपीएस के संचालन को अधिसूचित किया है. इस विनियम में कर्मचारियों को तीन कैटेगरी में बांटा है.

  • पहली कैटेगरी में 1 अप्रैल 2025 तक सेवा में मौजूद केंद्रीय कर्मचारी आते हैं.
  • दूसरी कैटेगरी में केंद्र सरकार की नौकरी में भर्ती वो कर्मचारी हैं जो 1 अप्रैल 2025 के बाद जुड़े हैं.
  • तीसरी कैटेगरी में ऐसे कर्मचारी हैं जो न्यू पेंशन स्कीम में आते हैं और 1 मार्च 2025 या उससे पहले रिटायर हो चुके हैं.

काला दिवस मनाने की तैयारी

एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय बंधु ने बताया कि 1 अप्रैल को यूपीएस के विरोध में पूरे देश में काला दिवस मनाया जाएगा. केंद्र सरकार के इस निर्णय का पूरे देश का शिक्षक व कर्मचारी विरोध कर रहा है. इसी के तहत शिक्षक व कर्मचारी काली पट्टी बांधकर केंद्र सरकार से न्यू पेंशन स्कीम (NPS) व यूनीफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को समाप्त कर पुरानी पेंशन बहाली (OPS) की मांग करेंगे. इसके बाद 1 मई को जंतर-मंतर दिल्ली में धरना-प्रदर्शन होगा. एनएमओपीएस के राष्ट्रीय महासचिव स्थित प्रज्ञ के अनुसार कर्मचारियों ने 1 अक्तूबर 2023 को दिल्ली के रामलीला मैदान में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया था. जिसमें देश भर के लाखों कर्मचारी जुटे थे. उनकी एकजुटता को देखते हुए केंद्र सरकार ने एनपीएस को हटाकर यूपीएस को लॉन्च कर दिया. इससे साबित होता है कि सरकार ने ये माना कि एनपीएस खराब योजना है. लेकिन वो पुरानी पेंशन को लागू नहीं कर रही है. एनएमओपीएस के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि 1 अप्रैल को कर्मचारी काली पट्टी बांधकर कार्य करेंगे. इसके बाद देश भर में डीएम व कलेक्टर को पुरानी पेंशन बहाली के लिए ज्ञापन दिया जाएगा.

कर्मचारियों का इन मुद्दों पर विरोध

अटेवा के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. आशा राम ने बताया कि यूपीएस में कर्मचारियों के साथ अन्याय किया जा रहा है. ऐसे प्राविधान किए गए हैं जो एनपीएस और ओपीएस में हैं लेकिन यूपीएस में नहीं हैं.

  • 24 जनवरी 25 के राजपत्र में 25 वर्ष की सेवाकाल पर पेंशन का जो प्राविधान निर्धारित किया है, उसका कोई आधार स्पष्ट नहीं किया गया. क्योंकि 7वें पे कमीशन में पेंशन के लिए न्यूनतम सेवा काल 20 वर्ष रखा गया था.
  • न्यूनतम ₹10000 पेंशन का कोई भी आधार वर्तमान महंगाई को ध्यान में रखते हुए निर्धारित करना.
  • सेवानिवृत या अधिवर्षिता से पूर्व पारिवारिक पेंशन के लिए किसी भी नियमावली का कोई भी प्रावधान उपलब्ध नहीं है.
  • सेवानिवृत्ति या अधिवर्षिता आयु पूर्ण होने से पूर्व GPF की तरह UPS से पैसा निकालने का कोई भी प्राविधान नहीं है.
  • सेवानिवृत्ति के पश्चात UPS से कर्मचारी की जमा राशि का कितने प्रतिशत भुगतान कर्मचारी को दिया जाना है, इसका भी स्पष्ट जिक्र नहीं है.
  • गजट के क्रमांक बिंदु 11 पर स्पष्ट लिखा है कि जो कर्मचारी UPS चुन लेता है, वो नीतिगत रियायत, नीति परिवर्तन, बाद में सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों के साथ किसी भी समानता आदि की मांग के लिए पात्र नहीं होगा और दावा नहीं करेगा.

2004 में खत्म हुई थी ओल्ड पेंशन स्कीम

ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को 2004 में खत्म कर दी गई थी. इसमें समय-समय पर महंगाई भत्ते के संशोधन के साथ पेंशन की व्यवस्था थी. पुरानी पेंशन के बंद के होने के बाद कर्मचारी न्यू पेंशन स्कीम में जोखिम का अनुभव कर रहे थे. इसी के कारण कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन बहाली का आंदोलन छेड़ दिया था. यूपी में ऑल टीचर्स इम्प्लाई वेलफेयर एसोसिएशन (ATEWA) ने विजय बंधु के नेतृत्व में पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन शुरू किया था. जो आगे चलकर नेशनल मूवमेंट फ़ॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) में बदल गया. इस आंदोलन के कारण कारण ही राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाल हो चुकी है. पूरे देश में पुरानी पेंशन बहाली के लिए एनएमओपीएस और अटेवा मिलकर अभियान चला रहे हैं.

न्यू पेंशन स्कीम क्या है?

न्यू पेंशन स्कीम पेंशन और निवेश योजना के तहत शुरू की गई थी. बाजार से जुड़ी इस योजना में कर्मचारी को अंशदान देना होता है और सरकार भी अपना हिस्से का अंशदान देती हे. इसमें कर्मचारी को अपनी बेसिक सैलरी का 10 प्रतिशत हिस्सा देना होता है. जबकि सरकार इसमें 14 प्रतिशत हिस्सेदारी देती है. इसमें 60 वर्ष का होने पर कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद कुल राशि का 60 प्रतिशत एकमुश्त निकाल सकता है. बची हुई 40 प्रतिशत रकम वार्षिकी योजना में लगाई जाती है. यदि निकाली गई राशि 5 लाख रुपये या उससे कम है तो वार्षिक योजना खरीदे बगैर ही पूरी रकम निकाली जा सकती है. इससे अधिक पर कर्मचारी पर 60 प्रतिशत राशि निकालने का नियम लागू होगा.

एनपीएस व यूपीएस में अंतर

न्यू पेंशन स्कीम में बाजार के आधार पर रिटर्न मिलने का प्राविधान है. लेकिन यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) में एक निश्चित पेंशन राशि की व्यवस्था की गई है. इसमें 25 साल से अधिक समय तक सेवा करने वाले उन कर्मचारियों को सबसे अधिक लाभ होगा, जो हर माह निश्चित पेंशन चाहते हैं. यूनिफाइड पेंशन स्कीम में कर्मचारियों को महंगाई भत्ते का फायदा भी मिलेगा. जबकि बाजार के आधार पर जोखिम उठाकर अधिकतम पेंशन चाहने वाले न्यू पेंशन स्कीम से जुड़े रहेंगे. पेंशन फंड विनियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) ने एनपीएस विनियम 2025 तहत यूपीएस के संचालन को अधिसूचित कर दिया है. इसके तहत कर्मचारियों की तीन कैटेगरी बनायी गयी है. इन सभी कैटेगरी के लिए नामांकन और क्लेम फार्म npscra.nsdl.co.in वेबसाइट पर उपलब्ध रहेगा.

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