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मिडिल क्लास की सैलरी देश का सबसे बड़ा स्कैम, लेकिन कोई नहीं कर रहा इसपर बात; पोस्ट वायरल होते ही मचा बवाल

Indian Middle Class Salary Crisis : समाज का मध्यम वर्ग, यानी ईएमआई और महंगाई के बोझ तले दबा समुदाय. जो वेतन मिलने वाले दिन तो बहुत खुश रहता है, लेकिन वेतन हाथ में आते ही उसकी खुशी खत्म हो जाती है, क्योंकि खर्चे इतने होते हैं, जो सैलरी से पूरे नहीं होते. फिर शुरू होता है, क्रेडिट कार्ड और लोन का खतरा. बजट पेश हो, तो उसकी नजर इसी बात पर टिकी रहती है कि टैक्स में कितना छूट उसे मिलेगा. दरअसल मध्यम वर्ग इस देश में सबसे ज्यादा संघर्ष करता दिखता है, लेकिन उसे सबसे कम राहत मिलती है. मध्यम वर्ग के इस दुख पर एक सोशल मीडिया पोस्ट तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें यह कहा गया है कि मध्यम वर्ग की सैलरी एक बड़ा स्कैम है, लेकिन उसपर कोई बात नहीं करता है.

Indian Middle Class Salary Crisis : मध्यम वर्ग की सैलरी, उसके खर्चे और उन सब के बीच पिसता एक आम मध्यमवर्गीय परिवार. मध्यमवर्ग की परेशानियां अलग तरह की हैं और उनके बीच वह जकड़ता रहता है. आजीवन संघर्ष करता और हासिल कुछ भी नहीं है. मध्यम वर्ग के संघर्षों पर बात करते हुए बेंगलुरु के सीईओ के सोशल मीडिया पोस्ट ने नई बहस छेड़ दी है. पीपलको के को-फाउंडर और सीईओ आशीष सिंघल ने लिंक्डइन पर लिखा है कि मध्यम वर्ग का वेतन एक बड़ा स्कैम है, जिसपर कोई बात नहीं कर रहा है. वे लिखते हैं कि मध्यम वर्ग चुपचाप आर्थिक संकट को झेल रहा है और उफ्फ तक नहीं कर रहा है.

आशीष सिंघल ने समझा मध्यम वर्ग का दर्द

आशीष सिंघल ने देश के मध्यम वर्ग की स्थिति को समझते हुए पोस्ट में लिखा है कि बढ़ते खर्च और स्थिर वेतन के जाल में मध्यम वर्ग फंसा हुआ है. वह चुपचाप आर्थिक संकट झेल रहा है. उसे ना तो कोई राहत पैकेज मिलता है और ना ही कोई उससे सहानुभूति रखता है. मध्यम वर्ग बहुत बड़े स्कैम का शिकार है, लेकिन उसके साथ हो रहे इस घोटाले पर कोई बात नहीं कर रहा है. मध्यम वर्ग का वेतन एक बहुत बड़ी समस्या है, जिसका निदान कोई नहीं ढूंढ़ रहा है. इस संकटों के बीच मध्यम वर्ग पर एक और बड़ा संकट एआई (AI) के रूप में आया है, जो चुपचाप नौकरियों को खतरे में डाल रहा है.

लगातार बढ़ रहा है मध्यम वर्ग का खर्च

मध्यम वर्ग को भविष्य में क्या परेशानी देखनी पड़ सकती है, इसपर बात करते हुए आशीष सिंघल लिखते हैं कि पिछले 10 वर्षों में मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति काफी घटी है, लगभग आधी हो गई है. वहीं खर्च में वृद्धि हुई है, जो ऋण के पैसों से बढ़ रही हैं. यह स्थिति बहुत ही चिंताजनक है. 5 लाख से 1 करोड़ तक की आय में जीने वाले मध्यम वर्ग की आय में पिछले 10 में महज 0.4% की वृद्धि हुई है और खाने-पीने की चीजें 80% महंगी हो गई हैं. यह एक सुनियोजित गिरावट नजर आता है. मध्यम वर्ग ईएमआई भर रहा है, फोन भी खरीद रहा है और संघर्ष कर रहा है. वह चुपचाप झटके झेल रहा है. उसके बारे में कोई बात नहीं करता, आखिर मध्यमवर्ग कैसे इस झटकों को झेल रहा है. उसकी समस्या पर मौन समक्ष से परे है.

मध्यम वर्ग की चिंता कोई नहीं कर रहा है

मध्यम वर्ग के लिए कोई चिंता नहीं करता है. अमीर और अमीर हो रहे हैं और गरीबों के पास इतनी सरकारी योजनाएं हैं कि उन्हें महंगाई और वेतन के मसले ज्यादा प्रभावित नहीं करते. लेकिन व्हाइट काॅलर जाॅब्स वाला मध्यमवर्ग परेशान है. वह महंगाई और ईएमआई के बोझ तले दबा हुआ है और अपनी परेशानियों से घिरा है, लेकिन उसके वेतन पर कोई बात नहीं होती और ना ही उसे इन ईएमआई के बोझ से राहत दिलाने पर विचार होता है. अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल का कहना है कि मध्यम वर्ग अगर ऋण लेता है, तो उसमें कोई खराबी नहीं है, लेकिन क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन लेना असुरक्षित होता है, जिसकी जाल में मध्यम वर्ग फंसा है.

आशीष सिंघल के पोस्ट पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़

आशीष सिंघल ने मध्यम वर्ग की स्थिति पर जो चिंता जताई है, उसे लेकर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है. उनकी बात से कई लोग सहमत दिखते हैं तो कुछ लोग ये कह रहे हैं कि मध्यम वर्ग ने अपनी यह स्थिति खुद बनाई है. वह प्रतिरोध नहीं करता है. कुछ लोगों ने आशीष सिंघल से मजाकिया लहजे में पूछा है कि आप भी एक सीईओ हैं आपने अपने कर्मचारियों की सैलरी में कितनी वृद्धि है.

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Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
Senior Journalist with experience of more than 20 years in Print and Digital Media. Expertise in writing material on the topics of politics , sports and women issues. Fellow of IM4Change, Jharkhand Govt. and Save Children.

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