Trump Tariffs : अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था को मृत करार देने के कुछ ही दिनों बाद वैश्विक रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) ने भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को 19 साल बाद उन्नत करके ‘बीबीबी’ कर दिया है. साथ ही, भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि संभावनाओं को उन्नत कर ‘स्टेबल आउटलुक’ कर दिया है. ‘बीबीबी’ निवेश ग्रेड की रेटिंग है, जो दर्शाती है कि देश के पास अपने कर्ज दायित्वों को आसानी से पूरा करने की क्षमता में सुधार हुआ है. यह देश की अर्थव्यवस्था के मजबूत रहने से ही संभव है. पिछले साल मई में एसएंडपी ने भारत की क्रेडिट रेटिंग आउटलुक को ‘स्टेबल’ से बदलकर ‘पॉजिटिव’ किया था. रेटिंग में सुधार से भारतीय कंपनियों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों से कर्ज लेने की लागत कम होगी, जिससे देश अपनी विकास जरूरतें आसानी से पूरी कर सकेगा.
एजेंसी के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है. साथ ही, राजकोषीय समेकन, सरकार की समीचीन नीतियों, राजस्व में बढ़ोतरी, सरकारी पैसों का इस्तेमाल गुणवत्तापूर्ण तरीके से विकास कार्य करने, महंगाई के काबू में रहने आदि से अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत बनी हुई है. देश में कर संग्रह बढ़ रहा है. विगत जुलाई में जीएसटी संग्रह बढ़कर 1.96 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 7.5 फीसदी अधिक है. आयकर संग्रह भी बढ़ रहा है. सरकार आधारभूत संरचना को मजबूत करने की तरफ ध्यान दे रही है. वित्त वर्ष 2024-25 में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 22.26 लाख करोड़ रुपये रहा, जो साल-दर-साल आधार पर 13.48 प्रतिशत अधिक है.
एसएंडपी के अनुसार, इस साल भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहेगी. रिजर्व बैंक ने भी हालिया मौद्रिक समीक्षा के दौरान वित्त वर्ष 2026 में जीडीपी वृद्धि दर के 6.5 फीसदी पर रहने के पूर्वानुमान को बरकरार रखा है. ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 27 अगस्त से 50 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की है, पर एसएंडपी का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव आंशिक और ‘प्रबंधनीय’ रहेगा और इसका भारत की विकास दर पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि भारत वैश्विक व्यापार पर अपेक्षाकृत कम निर्भर है और इसकी आर्थिक वृद्धि का करीब 60 फीसदी हिस्सा घरेलू खपत से आता है. मौजूदा वित्त वर्ष में जुलाई तक भारत का कुल निर्यात 3.07 फीसदी बढ़कर 149.2 अरब डॉलर हो गया, जबकि आयात 5.36 फीसदी बढ़कर 244.01 अरब डॉलर हो गया.
खुदरा मुद्रास्फीति दर जुलाई में घटकर 1.55 फीसदी रह गयी, जो आठ साल का सबसे निचला स्तर है. महंगाई घटने का बड़ा कारण खाद्य पदार्थों की कीमत में कमी आना है. इस बार महंगाई केंद्रीय बैंक के लक्ष्य से नीचे है. थोक महंगाई भी जुलाई में घटकर माइनस 0.58 प्रतिशत के स्तर पर आ गयी, जो जुलाई, 2024 की तुलना में कम है. यह गिरावट खाद्य पदार्थों, कच्चे तेल, पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस व बेसिक मेटल्स की कीमत में कमी से आयी है. कृषि गतिविधियों में तेजी आने और मॉनसून के बेहतर रहने के कारण इस साल खाद्य मुद्रास्फीति के काबू में रहने की संभावना है.
केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई के अनुमान को घटाकर 3.1 फीसदी कर दिया था, पर अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसके 4.9 फीसदी रहने का अनुमान है. महंगाई घटने, निर्यात बढ़ने, राजस्व संग्रह सुधरने, ईज ऑफ डुइंग बिजनेस, आधारभूत संरचना को मजबूत करने की नीति, खर्च में वृद्धि तथा ऋण वितरण में तेजी आदि से विकास दर को रफ्तार मिलेगी और अर्थव्यवस्था मजबूत बनी रहेगी.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

