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विभिन्न पश्चिमी देश वहां रहकर भारत के विरुद्ध षड्यंत्र रचने का प्रयास करने वाले संगठनों और अलगाववादियों को नियंत्रित करने के लिए कुछ नहीं करते.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक अमेरिकी मीडिया पोर्टल पर छपी उस खबर को सिरे से खारिज किया है, जिसमें कहा गया है कि भारत ने बीते अप्रैल में उत्तर अमेरिका स्थित अपने वाणिज्य दूतावासों को उन देशों में सक्रिय कुछ सिख संगठनों के विरुद्ध कार्रवाई का लिखित निर्देश दिया था. विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को ‘भारत के विरुद्ध दुष्प्रचार’ बताया है. इस वर्ष जून में कनाडा में अलगाववादी हरदीप निज्जर की हत्या हुई थी. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि हत्या में भारतीय एजेंट शामिल थे. इस मसले पर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव भी बढ़ा, लेकिन भारत के बार-बार कहने के बावजूद कनाडा ने अपने आरोप के पक्ष में कोई सबूत नहीं दिया है. कुछ दिन पहले अमेरिका के न्याय विभाग ने कहा कि उसके यहां रह रहे खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने की साजिश रची गयी, जिसमें एक भारतीय अधिकारी की भूमिका है.

भारत ने हमेशा कहा है कि विदेशों में रह रहे भारत विरोधी तत्वों से निपटने का ऐसा तरीका उसकी आधिकारिक नीतियों में शामिल नहीं है. यह अजीब बात है कि अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया आदि अनेक देश वहां रहकर भारत के विरुद्ध षड्यंत्र रचने और देश को अस्थिर करने का प्रयास करने वाले संगठनों और अलगाववादियों को नियंत्रित करने के लिए कुछ नहीं करते. इस प्रकरणों के बाद भी पन्नू ने अनेक बार खुलेआम भारतीय विमानों में विस्फोट करने की धमकी दी है. हाल के समय में पश्चिमी देशों में खालिस्तानी गिरोहों की सक्रियता बढ़ी है और उन्होंने भारतीय दूतावासों को भी नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया है. ये संगठन उन देशों में रह रहे भारतीय समुदाय के बीच फूट डालने में भी लगे हुए हैं. पश्चिम में बसे भारतीय मूल के लोग तथा वहां कार्यरत भारतीय उन देशों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. वहां उन्हें सम्मान के साथ देखा जाता है.

अलगाववादी तत्व भारतीयों की छवि को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं तथा उन देशों के लिए भी खतरा बन रहे हैं. पश्चिमी देशों को भारत पर निराधार आरोप लगाने के बजाय ऐसे तत्वों पर लगाम लगाना चाहिए. ये गिरोह हवाला, नशे और हथियारों के आपराधिक कारोबार में लिप्त हैं, जो भारत के लिए ही नहीं, पश्चिमी देशों के लिए भी गंभीर समस्या है. अमेरिका समेत उन सभी देशों को इस बारे में पूरी जानकारी है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि अमेरिका ने संगठित अपराधियों, हथियारों के तस्कर और आतंकवादियों के बीच के गठजोड़ से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी भारत से साझा की है.

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