cough syrup : मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप के सेवन से दस से ज्यादा बच्चों की मौतों के बाद जहां तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और केरल ने कोल्ड्रिप सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया है, वहीं केंद्र सरकार की तरफ से छह राज्यों की 19 दवा बनाने वाली यूनिटों की जांच शुरू हो गयी है. मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत पिछले एक महीने के दौरान हुई है, जबकि राजस्थान में पिछले दस दिन में ये मौतें हुई हैं.
आशंका है कि कफ सिरप के सेवन से बच्चों की किडनी फेल हो गयी. सिर्फ यही नहीं कि तमिलनाडु में कोल्ड्रिफ के सैंपल की जांच में खतरनाक डाइएथिलीन ग्लाइकॉल तय सीमा से अधिक मिला है, बल्कि यह सिरप भी तमिलनाडु में तैयार बताया जाता है. एंटी फ्रीज और ब्रेक फ्लूड्स में इस्तेमाल होने वाला डाइएथिलीन ग्लाइकॉल निगलने पर किडनी फेल होने का खतरा होता है. मध्य प्रदेश में इसी कफ सिरप की आपूर्ति हुई थी. दरअसल कफ सिरप को पतला और मीठा करने के लिए उसमें डाइएथिलीन ग्लाइकॉल थोड़ी मात्रा में मिलाया जाता है, पर सिरप की मात्रा बढ़ाने के लिए कई कंपनियां इस सस्ते पदार्थ को तय सीमा से ज्यादा मात्रा में मिलाती हैं, जिससे ये नुकसानदायक हो जाती है.
पता यह चला है कि 2023 में केंद्रीय स्तर पर सभी राज्यों के लिए दिशानिर्देश जारी किया गया था कि चार साल से कम उम्र के बच्चों को कोल्ड्रिफ नहीं दी जाये. पर इसका उल्लंघन किया गया. मध्य प्रदेश में मारे गये सात बच्चे चार साल या उससे कम उम्र के थे. मध्य प्रदेश पुलिस ने छिंदवाड़ा के एक बाल रोग विशेषज्ञ को बच्चों को कोल्ड्रिफ दिये जाने के कारण गिरफ्तार किया है. गौरतलब है कि कफ सिरप के सेवन से 2019 में जम्मू क्षेत्र में ग्यारह बच्चों की मौत हुई थी, जबकि 2022 में गाम्बिया में भारत में तैयार कफ सिरप के सेवन से 66 बच्चों की मौत हो गयी थी.
ऐसे में, कफ सिरप बनाने वाली कंपनियों पर जहां सख्त निगरानी की जरूरत है, वहीं छोटे बच्चों को सिरप देने के मामले में सतर्कता बरते जाने की भी आवश्यकता है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को सतर्क रहने तथा बच्चों में खांसी की दवा का विवेकपूर्ण इस्तेमाल करने की सलाह दी है. मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि दो साल से छोटे बच्चों को किसी भी प्रकार का कफ सिरप कदापि नहीं दिया जाना चाहिए.

