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अन्नदाता को लाना है समृद्धि के द्वार

आत्मनिर्भरता की राह यहीं से प्रारंभ हो रही है. सरकार के ये निर्णय भविष्य में कृषकों के चेहरों पर समृद्धि की आभा बिखेरते नजर आयेंगे.

नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय कृषि मंत्री

delhi@prabhatkhabar.in

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व मे केंद्र सरकार ने किसानों के हित में चार बड़े निर्णय किये हैं. देश का सबसे बड़ा उत्पादक किसान अन्न उपजाता है, तो अर्थव्यवस्था का चक्का घूमता है. इन निर्णयों में जहां किसानों को ऋण की अदायगी की सीमा बढ़ा कर राहत देने का प्रयास किया है, तो वहीं खरीफ फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ा कर उनकी आय में वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया गया है. एक देश-एक बाजार और मंडी एक्ट में संशोधन भी उपज के उचित दाम दिलाने के लिए वैश्विक रास्ते खोलने में सहायक होंगे.

दुर्भाग्य से किसानों को केंद्र में रखकर निर्णय लेने की सोच पूर्ववर्ती सरकारों की नहीं थी. प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य तय किया है. हमारा लक्ष्य किसान को पहले आत्मनिर्भर बनाना है, ताकि राष्ट्र आत्मनिर्भर बन सके. यदि मैं यह कहूं कि देश को 1947 में आजादी मिल गयी थी, लेकिन अन्नदाता को आजादी अब मिली है, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.

सरकार ने किसानों के लिए एक देश-एक बाजार नीति को लागू किया है. एक तरह से किसानों की उन्नति में सबसे बड़ा अवरोध यही था कि फसल को बेचने के निर्धारित दायरे और माध्यम थे. यहीं से बिचौलिये और मुनाफाखोर पनपते थे, जो किसानों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा दबा लेते थे. बाधा मुक्त बाजार के परिणाम कुछ महीनों में किसानों की समृद्धि और बढ़ती आय के रूप में सभी को नजर आयेंगे.

कोविड-19 के संक्रमण ने वैश्विक परिस्थितियों को बदल दिया है. ऐसे में हमारी चिंता यह है कि लाइसेंस व्यवस्था और खंडित आपूर्ति शृंखला मांग और आपूर्ति के संतुलन को बिगाड़ न दे. यदि ये अवरोध रहे, तो किसानों की आय निश्चित तौर पर प्रभावित हो सकती है. इसी को दृष्टिगत रखते हुए उत्पादन व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) अध्यादेश लागू किया गया है.

किसान अपनी फसल अब देश में कहीं भी बेच सकेंगे. व्यापारी को भुगतान अधिकतम तीन दिनों में करना होगा. यदि आवश्यक भुगतान का उल्लेख रसीद में है, तो उसी दिन किसान को भुगतान मिलेगा. उपज की तत्काल कीमत किसानों के आर्थिक हित में एक बड़ा निर्णय साबित होगी. इलेक्ट्रॉनिक व्यापार और ई-प्लेटफार्म की व्यवस्था किसानों को भौतिक दूरियों से आनेवाली कठिनाइयों को समाप्त कर देगी. मंडी शुल्क की छूट भी किसानों के लिए सहायक साबित होगी. यह व्यवस्था युवाओं को रोजगार के नये अवसर देने का भी सशक्त माध्यम बनेगी. भविष्य में इससे लॉजिस्टिक, क्वालिटी कंट्रोल जैसे बड़े क्षेत्र भी विकसित हो सकेंगे.

मुझे पूरा विश्वास है कि इस अध्यादेश से जहां किसान और व्यापारी को बिक्री और खरीद के विकल्प मिलेंगे, वहीं किसानों को उनकी उपज के सर्वोत्तम दाम मिलेंगे. मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं के करारों के लिए किसानों का सशक्तीकरण और संरक्षण अध्यादेश भी एक एेतिहासिक निर्णय है. इसका मुख्य उद्देश्य किसानों और प्रायोजकों के बीच कृषि करारों के लिए एक विधिक व्यवस्था स्थापित करना है. भारत में खेती लघु जोतों के कारण विखंडित श्रेणी में वर्गीकृत की जाती है. मौसम की मार, कभी कम उत्पादन से संकट, तो कभी बहुत ज्यादा उत्पादन से उचित मूल्य नहीं मिलना और बाजार के जोखिम किसानों पर हावी हैं.

किसान यदि उत्पादन के दौरान ही कारोबारी से बिक्री का करार करता है, तो भी उसका स्वामित्व फसल पर बना रहेगा. अन्य लाभों के साथ सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मंडी की अप्रत्याशितता का जोखिम अब किसान की जगह प्रायोजक पर आयेगा, जिससे किसान की मुश्किलें कम होंगी. हमारा उद्देश्य यह भी है कि किसानों की उपज को ग्लोबल मार्केट दिला सके. यह अध्यादेश ग्लोबल मार्केट में फसलों की सप्लाई और सप्लाई चैन निर्माण के लिए प्राइवेट सेक्टर के निवेश को आकर्षित करने का काम करेगा.

कैबिनेट ने किसानों के अल्पावधि कृषि ऋण अदायगी की अवधि 31 अगस्त तक बढ़ाने का निर्णय भी लिया है. सरकार ने खरीफ फसलों की उत्पादन लागत पर न्यूनतम समर्थन मूल्य 50 से 83 प्रतिशत तक बढ़ाने का निर्णय भी लिया है. मोदी सरकार ब्याज छूट योजना के अंतर्गत किसानों को बैंकों के माध्यम से दो प्रतिशत प्रति वर्ष छूट के साथ रियायती स्टैंडर्ड अल्पावधि कृषि ऋण दे रही है. समय पर अदायगी करनेवाले किसानों को तीन प्रतिशत अतिरिक्त लाभ भी मिलेगा.

इस योजना का लाभ पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन के लिए भी दो लाख रुपये ऋण हेतु विस्तारित किया गया है. समय पर अदायगी करने पर चार प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर से तीन लाख रुपये तक के ऋण सरकार दे रही है. लॉकडाउन के मद्देनजर हमारी सरकार ने अल्पावधि फसल ऋण के भुगतान की तारीख 31 अगस्त तक बढ़ाने का निर्णय लिया है. ब्याज की प्रभावी दर चार प्रतिशत ही रहेगी. सरकार ने 2019-20 में कुल 8,05,260 करोड़ रुपये का अल्पावधि ऋण 9,64,74,960 किसानों को दिया है.

सब्सिडी के रूप में 28 हजार करोड़ रुपये का खर्चा आयेगा, वहीं इसका सीधा फायदा करोड़ों किसानों को मिलेगा. वर्ष 2020-21 विपणन मौसम की खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि की गयी है. उत्पादन लागत का 50 प्रतिशत से लेकर 83 प्रतिशत तक मुनाफा जोड़ कर यह निर्धारण हुआ है. लॉकडाउन के बावजूद किसानों ने अपना हौसला कायम रखा और खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है. ग्रीष्मकालीन फसलों की भी पिछली बार से लगभग 45 प्रतिशत से ज्यादा बुआई हुई है.

मोदी सरकार का प्रारंभ से ही यह उद्देश्य रहा है कि किसानों को उनकी उपज की लागत का कम से कम डेढ़ गुना मूल्य अवश्य मिलें. इसी के मद्देनजर पिछली बार भी एमएसपी तय की गयी थी. इन चार निर्णयों ने किसानों के लिए चार नये आधार स्तंभ खड़े किये हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि यह कोविड-19 की चुनौती को अवसर में परिवर्तित करने का समय है. आत्मनिर्भरता की राह यहीं से प्रारंभ हो रही है. सरकार के ये निर्णय भविष्य में कृषकों के चेहरों पर समृद्धि की आभा बिखेरते नजर आयेंगे.

(ये लेखक के निजी विचार हैं)

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