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उम्मीद भरी पहल
सूचना एवं संचार तकनीक बीते कुछ वर्षों से इतनी तेजी से हमारे जीवन का हिस्सा बना है कि आज इसके बिना जीवन की कल्पना भी बेमानी लगने लगी है. इस क्षेत्र में नयी-नयी कंपनियां अपने नये-नये उत्पादों के साथ लोगों के जीवन में शामिल होकर दुनियाभर में अपने व्यापार का तेजी से विस्तार कर रही […]
सूचना एवं संचार तकनीक बीते कुछ वर्षों से इतनी तेजी से हमारे जीवन का हिस्सा बना है कि आज इसके बिना जीवन की कल्पना भी बेमानी लगने लगी है. इस क्षेत्र में नयी-नयी कंपनियां अपने नये-नये उत्पादों के साथ लोगों के जीवन में शामिल होकर दुनियाभर में अपने व्यापार का तेजी से विस्तार कर रही हैं.
तकनीकी रूप से दक्ष हमारे प्रतिभाशाली युवा भी अमेरिका सहित कई देशों में जाकर ऐसी कंपनियों की वैश्विक उड़ान को पंख दे रहे हैं या फिर खुद की कंपनी खड़ी कर कामयाब हो रहे हैं. किसी वैश्विक कंपनी के शीर्ष पदों पर किसी भारतीय प्रतिभा के पहुंचने की सुर्खियां एक ओर जहां हमें गर्व के क्षण मुहैया कराती हैं, वहीं यह भी याद दिलाती हैं कि हमारा देश ऐसी प्रतिभाओं की क्षमता का लाभ ले पाने से वंचित रह रहा है. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी ने रेडियो पर इस साल के अपने आखिरी ‘मन की बात’ कार्यक्रम में एक उम्मीद जगानेवाली घोषणा की है.
उन्होंने न केवल अपने पूर्व घोषित महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘स्टार्टअप इंडिया-स्टैंडअप इंडिया’ का खाका 16 जनवरी को जारी करने का ऐलान किया, बल्कि इसके भीतर से हमारी युवा पीढ़ी के लिए झांकती संभावनाओं की ओर भी ध्यान दिलाया. कार्यक्रम का मुख्य जोर तकनीकी रूप से दक्ष होती हमारी युवा पीढ़ी को नवोन्मेष और स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए एक सहयोगी माहौल मुहैया कराना होगा.
इसके लिए तकनीकी एवं प्रबंधन शिक्षा के उत्कृष्ट संस्थानों- आइआइटी, आइआइएम, एनआइटी और केंद्रीय विश्वविद्यालयों को ‘लाइव कनेक्टिविटी’ के जरिये आपस में जोड़ा जायेगा. साथ ही, स्टार्टअप्स को बैंकों से कर्ज मिलने में सुविधा होगी. इस कार्यक्रम के जरिये प्रधानमंत्री का सपना भारत को ‘स्टार्टअप कैपिटल’ बनाने का है.
प्रधानमंत्री पिछले माह दुनिया की ‘स्टार्टअप कैपिटल’ अमेरिका की सिलिकॉन वैली का दौरा कर चुके हैं. ‘स्टार्टअप’ आज बिजनेस की दुनिया का बेहद चर्चित शब्द है, जिसका अर्थ है लीक से हट कर कोई नया कारोबार शुरू करना. इस वक्त देश में करीब 18 हजार स्टार्टअप्स कारोबार कर रहे हैं, जिनमें करीब तीन लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है.
ऐसे में ‘स्टार्टअप इंडिया-स्टैंडअप इंडिया’ की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि कार्यक्रम को आगे बढ़ने में बैंकों, प्रमुख तकनीकी संस्थानों और सिस्टम से कितना सहयोग मिलता है. इतना तय है कि यह कार्यक्रम यदि सफल हुआ, तो न केवल प्रतिभाशाली युवाओं का देश से पलायन रुकेगा, बल्कि वे अपने कारोबार के जरिये रोजगार सृजन के साथ देश की तरक्की में भी सहभागी बन सकेंगे.
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