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चुप्पी की पुरानी राह पर प्रधानमंत्री
बात बीते कुछ दिनों की है, जब भाजपा ने पूर्व प्रधामंत्री डॉ मनमोहन सिंह को मौनी बाबा की संज्ञा से विभूषित किया था. आज भाजपा के नेता अपने उन कटाक्ष करते नारों को अपनाने से ही मुकर रहे हैं, क्योंकि वर्तमान और पुराने प्रधानमंत्री में कोई असमानता नहीं है. तर्कसंगत आलोचना की जाये, तो वह […]
बात बीते कुछ दिनों की है, जब भाजपा ने पूर्व प्रधामंत्री डॉ मनमोहन सिंह को मौनी बाबा की संज्ञा से विभूषित किया था. आज भाजपा के नेता अपने उन कटाक्ष करते नारों को अपनाने से ही मुकर रहे हैं, क्योंकि वर्तमान और पुराने प्रधानमंत्री में कोई असमानता नहीं है.
तर्कसंगत आलोचना की जाये, तो वह सार्थक साबित होता है. स्वच्छ आलोचना की पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने खुद तारीफ की है.
उन्होंने इस प्रकार की आलोचनाओं का सम्मान करते हुए अनैतिकता के आधार पर अपने कार्यकाल में मंत्रिमंडल के किसी भी भ्रष्ट सहयोगी या संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को भ्रष्टाचार के मामले में अभयदान नहीं दिया और न ही जांच कार्य पूर्ण होने से पूर्व किसी को क्लीनचिट दिया. वहीं आज सत्तासीन पार्टी के कई नेताओं पर गंभीर आरोप लगे हैं, फिर भी मौजूदा प्रधानमंत्री चुप हैं.
बैजनाथ महतो, हुरलुंग, बोकारो
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