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।।हरिवंश।।भारतीय अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है. डालर का भाव अप्रत्याशित रूप से बढ़ रहा है. यह कहां ठहरेगा, कोई नहीं जानता. इसका सीधा असर अखबार उद्योग पर है कि कागज का भाव आसमान छू रहा है. अखबार उद्योग मुसीबत में है. क्योंकि हमारे जैसे अखबार की एक प्रति की लागत का लगभग 50 फीसदी केवल […]

।।हरिवंश।।
भारतीय अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है. डालर का भाव अप्रत्याशित रूप से बढ़ रहा है. यह कहां ठहरेगा, कोई नहीं जानता. इसका सीधा असर अखबार उद्योग पर है कि कागज का भाव आसमान छू रहा है. अखबार उद्योग मुसीबत में है. क्योंकि हमारे जैसे अखबार की एक प्रति की लागत का लगभग 50 फीसदी केवल कागज पर खर्च हो जाता है. फिर भी इस कठिन दौर में प्रभात खबर एक पहल कर रहा है. अखबार में बदलाव के लिए. दो स्तरों पर. लेआउट में परिवर्तन, पर कंटेंट में प्रभावकारी बदलाव.

भारत देश में, दो स्तर पर आज गहरा संकट है. पहला, अर्थसंकट, दूसरा सामाजिक संकट. समाज के स्तर पर गहरी टूट है. कानून, निष्प्रभावी हो रहे हैं. सिर्फ एक प्रसंग से समझ लें. बलात्कार के मामले में सख्त कानून बना है, पर घटनाओं की संख्या में बाढ़ आ गयी है. यही स्थिति अन्य क्षेत्रों में भी है. समाज टूटने-बिखरने लगे, तो राज्य या देश कायम नहीं रह सकते. ईमानदार सरकार के प्रयास भी विफल रहेंगे, अगर समाज टूटता-बिखरता रहा. और समाज की इकाई ‘परिवार’ है. परिवार के स्तर से संस्कार-मूल्य विकसित हुए बिना कोई रास्ता नहीं है. आज बाजार और मशीनीकरण के दौर में परिवार भी खंडित होने की प्रक्रिया में है.

इसी परिवार को जोड़ने की पहल या प्रयास है, प्रभात खबर में कंटेंट (सामग्री) स्तर पर यह नया बदलाव. इस युग को दुनिया ‘ज्ञानयुग’ (नालेज एरा) कहती है. अंतत: ज्ञान, जानकारी, सूचना वगैरह ही इस ‘ग्लोबल विलेज’ में हमें सक्षम, कामयाब, सफल और प्रसन्न (खुशी के संदर्भ में) बनायेंगे. आज भौतिक दुनिया में सबसे अधिक तलाश ‘खुशी’ की हो रही है. इस तरह एक पूरे परिवार (युवा, बच्चे, बुजुर्ग, युवतियां वगैरह सभी) को मानसिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, बौद्धिक, कैरियर, स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशी यानी सभी पहलुओं पर सुरुचिपूर्ण और ज्ञानसमृद्ध बनायेगा, प्रभात खबर का यह नया बदलाव. लेआउट पहले से ज्यादा साफ -सुथरा व आकर्षक हुआ है. रंग के स्तर पर फेरबदल है, जो ज्यादा स्पर्शी और सौंदर्यबोध से पूर्ण है. अब खबरों के लिए भी पहले से ज्यादा स्पेस रहेगा.

कंटेंट स्तर पर बदलाव के बारे में संक्षेप में बताना चाहेंगे कि पहले पेज पर स्पीकिंग (संवादपूर्ण) मास्टहेड होगा. अखबार का मास्टहेड रोज अपने पाठकों को रोचक जानकारी देने वाला होगा. यह जानकारी युवा पाठकों को कंपीटीशन के लिए सामान्य ज्ञान बढ़ाने में भी मदद करेगी. हमारी कोशिश होगी कि हम ऐसी जानकारी दें कि पाठक को हर दिन उत्सुकता बनी रहे कि आज या कल क्या जानकारी अखबार शेयर करेगा?

चर्चित वीडियो : पहले पेज के पहले कालम में दिन के चर्चित व ज्यादा देखे जाने वाले वीडियो की जानकारी और लिंक रहेगा, जिससे पाठक इसे अपने स्मार्ट फोन पर भी देख सकें.

ग्राफिक स्टोरी : पेज दो पर रोजाना एक राज्य स्तरीय ग्राफिक स्टोरी दी जायेगी. प्राय: हर दिन ऐसी एक-दो खबरें रहती हैं, जिनमें आंकड़ों की भरमार होती हैं. ऐसी एक स्टोरी को ग्राफिक स्टोरी में बदला जायेगा.

देश-विदेश : इस पेज पर ग्राफिक इन्फो दी जायेगी. इसमें भी देश-दुनिया की रोचक, ज्ञानपरक और उपयोगी जानकारियां आंकड़ों (नंबर्स) और ग्राफिक के जरिये दी जायेंगी.

अभिमत : संपादकीय पेज की एकरसता खत्म करने के लिए इस पर भी ज्ञानग्राफिक नाम से एक स्पेस होगा, जिसमें सामयिक चीजों से जुड़ी जानकारी का विजुअल प्रेजेंटेशन होगा.

आधी आबादी : प्रभात खबर अकेला ऐसा हिंदी अखबार होगा, जो महिलाओं के लिए नियमित एक पेज की सामग्री देगा. इसमें रेसिपी, टिप्स, जोक्स से लेकर महिलाओं से जुड़ी खबरें, उनके संघर्ष की कहानियां, कानून आदि से जुड़ी सामग्री होगी. यानी अन्य अखबारों में जहां महिलाओं के लिए सामग्री हफ्ते में एक दिन ही है, वहीं प्रभात खबर में रोजाना महिलाओं के लिए एक पेज रहेगा.

नये सप्लीमेंट : प्रभात खबर में अब अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले ज्यादा सप्लीमेंट होंगे. बिल्कुल नये ढंग के, पर जीवन की जरूरतों से सर्वाधिक जुड़े. आठ-आठ पेज के पांच सप्लीमेंट. इन सप्लीमेंटों का ध्येय अपने पाठकों को जिंदगी के हर क्षेत्र में आगे रहने में मदद का है.

हेल्दी लाइफ – मंगलवार

अवसर – गुरुवार

रंग – शुक्रवार

बाल प्रभात – शनिवार (ऐच्छिक, अतिरिक्त मूल्य पर)

रविवा – रविवार

इन सप्लीमेंटों का साइज ऐसा कि पाठकों को सहेज कर रखने में आसानी हो.

यह नया बदलाव पाठकों के नये रूझान-सुझाव व जरूरतों के अनुरूप किया गया है. इस बदले स्वरूप और सामग्री के बारे में हर पाठक के सुझाव का हम स्वागत करेंगे. उन सुझावों के अनुरूप अपने को ढालने की कोशिश भी. क्योंकि अंतत: पाठकों के सपनों, आकांक्षाओं और परिकल्पनाओं के प्रतिबिंब होते हैं, अखबार. इस तरह प्रभात खबर की नयी कोशिश का मकसद है कि वह अपने समय का प्रतिबिंब बने. एक परिवार के लिए संपूर्ण अखबार के रूप में.

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