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कानून-व्यवस्था हो पहली प्राथमिकता

।।बढ़ रहा जुर्म का ग्राफ।।आजसू पार्टी के देवघर जिलाध्यक्ष मुकेश सिंह (38) और उनके चालक सोनू शर्मा (19) की पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी. उनका वाहन भी आग के हवाले कर दिया गया. वह देवीपुर प्रखंड की मानपुर पंचायत के मुखिया भी थे. मंगलवार को हुई इस वारदात की वजह भले ही अभी अस्पष्ट […]

।।बढ़ रहा जुर्म का ग्राफ।।
आजसू पार्टी के देवघर जिलाध्यक्ष मुकेश सिंह (38) और उनके चालक सोनू शर्मा (19) की पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी. उनका वाहन भी आग के हवाले कर दिया गया. वह देवीपुर प्रखंड की मानपुर पंचायत के मुखिया भी थे. मंगलवार को हुई इस वारदात की वजह भले ही अभी अस्पष्ट हो, पर एक बात तो साफ तौर पर देखी या समझी जा सकती है कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है.

हत्या, बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों का ग्राफ तेजी से बढता जा रहा है. खासकर संथालपरगना जो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का चुनावी क्षेत्र भी है, में हाल के दिनों में हत्या और दुष्कर्म के कई मामले उजागर हुए हैं. मुख्यमंत्री ने ऐसे वक्त में राज्य की बागडोर संभाली है, जब झारखंड की कानून- व्यवस्था की हालत नाजुक दौर से गुजर रही है. हेमंत के लिए न सिर्फ राजनीतिक दावं-पेच से सरकार चलाना, बल्कि राज्य की विधि-व्यवस्था को दुरुस्त करना भी बड़ी चुनौती है. वैसे तो अपने नेता की हत्या होने के बाद पार्टी ने अपने बयान में कहा कि हाल के दिनों में मुकेश सिंह आजसू पार्टी के तीसरे ऐसे नेता हैं, जिनकी हत्या हुई है. पिछले दिनों पश्चिम सिंहभूम और गुमला जिले में भी उसके दो नेताओं की हत्या हो चुकी है.

हो सकता है आजसू इसे राजनीतिक साजिश या रंजिश के तहत की गयी हत्या मानती हो, पर आम जनता मुख्यमंत्री से सामान्य कानून-व्यवस्था दुरुस्त करने का पुख्ता आश्वासन चाहती है. जनता यह चाहती है कि उसे अपराधमुक्त व्यवस्था नसीब हो. राज्य की विधि-व्यवस्था ऐसी हो कि लोग खुद को तो सुरक्षित महसूस करें. बहू-बेटियों की असुरक्षा का भय उनके जेहन से समाप्त हो जाये. जाहिर सी बात है कि यह काम इतना आसान नहीं है, पर आवश्यक है. इसे हर हाल में करना ही होगा. हालांकि राज्य के आला अधिकारियों की सक्रियता के बिना यह संभव नहीं हो सकता.

जरूरत इस बात की है कि आइएएस/आइपीएस अधिकारी दृढ इच्छाशक्ति दिखायें और मुख्यमंत्री का भरपूर सहयोग करें, ताकि एक अपराधमुक्त राज्य का निर्माण किया जा सके. सच तो यह है कि जिस राज्य की जनता खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करती, वह राज्य कभी विकास के मार्ग पर आगे नहीं बढ़ सकता. अगर झारखंड को औद्योगिक, व्यावसायिक और सामाजिक विकास के ट्रैक पर दौड़ाना है, तो निश्चित ही राज्य में अपराध की गति रोकनी होगी. तभी अलग राज्य की स्थापना का उद्देश्य पूरा हो सकेगा और झारखंड के सुनहरे सपने पूरे हो सकेंगे.

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