हर साल सीवरेज साफ करते वक्त कुछ व्यक्तियों की मौत हो जाती हैं.आजादी के 70 सालों के बाद भी हाथ से मैला साफ करना खत्म नहीं हुआ है. जब ये लोग बगल से पार होने लगते हैं तो लोग घृणा से नाक पर रूमाल रख थूकते हुए निकल जाते हैं.
उनकी भी मजबूरी है कि वे आज सीवरेज को हाथों से साफ करते हैं और कभी-कभी साफ करते वक्त जहरीली गैस की वजह से अपनी जान गंवा बैठते हैं. इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी बिल्कुल जायज है. सुप्रीम कोर्ट ने वेणुगोपाल से पूछा है कि बिना मास्क और ऑक्सीजन सिलिंडर के ऐसे अमानवीय कार्य के लिए गैस चैंबर में लोगों को मरने के लिए दुनिया के किसी और हिस्से में नहीं भेजा जाता. उम्मीद हैं केंद्र सरकार इस दिशा में सख्त प्रावधान लायेगी.
सीमा साही, बोकारो