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बंगाल के स्वभाव में है राम भक्ति
पश्चिम बंगाल में वैष्णवों और वैरागियों की अच्छी संख्या है, जो ‘हरि बोल’ करती दिखती है.इसमें वे महामंत्र ‘हरे राम-हरे राम, राम-राम, हरे-हरे, हरे कृष्ण-हरे कृष्ण हरे कृष्ण-कृष्ण हरे-हरे’ ढोलक, मृदंग, झाल और करताल आदि के साथ संकीर्तन करते हैं और बीच-बीच में ‘हरि बोल’ का उद्घोष भी करते हैं. जन्म से मृत्यु तक के […]
पश्चिम बंगाल में वैष्णवों और वैरागियों की अच्छी संख्या है, जो ‘हरि बोल’ करती दिखती है.इसमें वे महामंत्र ‘हरे राम-हरे राम, राम-राम, हरे-हरे, हरे कृष्ण-हरे कृष्ण हरे कृष्ण-कृष्ण हरे-हरे’ ढोलक, मृदंग, झाल और करताल आदि के साथ संकीर्तन करते हैं और बीच-बीच में ‘हरि बोल’ का उद्घोष भी करते हैं. जन्म से मृत्यु तक के आयोजनों में यह चलता रहता है.
बंगाली कोई भी असभ्य काम करने पर बोल उठते हैं, ‘हे राम की असभ्यो.’ गंदगी देखने पर वे नाक-भौं सिकोड़ कर कहते हैं, ‘राम-राम छि:.’ मां दुर्गा की पूजा वर्ष में एक बार होती है, लेकिन राम-कृष्ण जपना बारहों मास होता है. फिर एक पार्टी विशेष के द्वारा राम को बंगाल में अमान्य कहना यथोचित है क्या?
स्वामी गोपाल आनंद बाबा, रजरप्पा पीठ, चितरपुर
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