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मजदूर मजबूर है

दुनिया में हमारे देश की इज्जत बढ़ी है. टेक्नोलॉजी का विस्तार हुआ जिसके जरिये हम काम को आसान बना पा रहे हैं. लेकिन क्या हम सही मायने में विकास के पथ पर अग्रसर हो रहे हैं? विकास के लिए कोई भी हथकंडे अपना लिया जाये, लेकिन हमारे मजदूर भाई, किसान भाई खुश और स्वस्थ नहीं […]

दुनिया में हमारे देश की इज्जत बढ़ी है. टेक्नोलॉजी का विस्तार हुआ जिसके जरिये हम काम को आसान बना पा रहे हैं. लेकिन क्या हम सही मायने में विकास के पथ पर अग्रसर हो रहे हैं?
विकास के लिए कोई भी हथकंडे अपना लिया जाये, लेकिन हमारे मजदूर भाई, किसान भाई खुश और स्वस्थ नहीं होंगे, तो देश की तरक्की हो ही नहीं सकती. देश एक कदम आगे नहीं बल्कि चार कदम पीछे हो जायेगा. उन्हें आज भी पीने के लिए स्वच्छ पानी नहीं मिल पा रहा. शिक्षा नहीं मिल पा रही. विकास यदि हो रहा है, तो स्वच्छ पानी बोतल में क्यों बिक रहा? बच्चों की शिक्षा के लिए वे सिर्फ सरकारी स्कूल पर ही निर्भर हैं.
आने वाले दिनों की परेशानियों को देखते हुए वे आत्महत्या कर रहे हैं. किसान भी राजस्व तभी चुका सकेंगे जब वह खुशहाल और प्रसन्न हो. ऐसा तभी होगा जब सरकार न्याय और ईमानदार प्रशासन को बढ़ावा देगी.
कमलेश कुमार पाण्डेय, गिरिडीह

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