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Exclusiveinterview प्रभात खबर से अमित शाह की विशेष बातचीत : विकास की राजनीति का एक नया युग शुरू

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह विश्वास से भरे हुए हैं और 2019 लोकसभा चुनावों में पार्टी की जीत के प्रति आश्वस्त हैं. वह लोकसभा चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में देश के कुल 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से 35 का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने तैयारियों के सिलसिले में 31726 किलोमीटर […]

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह विश्वास से भरे हुए हैं और 2019 लोकसभा चुनावों में पार्टी की जीत के प्रति आश्वस्त हैं. वह लोकसभा चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में देश के कुल 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से 35 का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने तैयारियों के सिलसिले में 31726 किलोमीटर की यात्रा की है और हर राज्य में 35 लोकसभा टोलियों की बैठक की है और 13 सेशन सोशल वोलंटियर्स के साथ किये हैं. इनमें उन्होंने 27320 सोशल वोलंटियर्स के साथ सीधा संवाद किया है.
भाजपा और नरेंद्र मोदी को केंद्र और राज्यों में सफलता दिलवाने में अमित शाह का बड़ा योगदान रहा है. उन्होंने भाजपा की सदस्य संख्या 11 करोड़ तक पहुंचा दी और मई, 2018 तक के आंकड़ों के अनुसार, उन्होंने अपने लगभग चार साल के कार्यकाल में प्रतिदिन 514 किलोमीटर की औसत से 7,19,549 किलोमीटर की यात्रा की है. दिल्ली स्थित भाजपा के नये मुख्यालय में वे तथ्यों और आंकड़ों के साथ पूरी तरह तैयार मिले. प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी के साथ लंबी बातचीत के अंश:
Qमोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव गिर गया. इस दौरान राहुल गांधी के रवैये पर आप क्या कहेंगे
देखिए, हमारी जो संविधान की व्यवस्था है उसमें अविश्वास प्रस्ताव दो वजहों से लाया जाता है. एक तो देश की जनता में अविश्वास का स्तर बहुत बढ़ जाये तो संख्या हो न हो, विपक्ष उसको आवाज देने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाता है. दूसरा जब किसी भी कारण से संख्या बल में बदलाव हो जाए तब सरकार गिराने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है. तो एक तो कारण होता है कि जनभावना को आवाज देने के लिए लाया जाए और दूसरा सरकार ही अल्पमत में आ जाए तो अल्पमत की सिद्धि के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाया जाए. मुझे लगता है अभी दो में से एक भी कारण नहीं था.
जो कारण बताये गये या जो कारण सदन के पटल पर रखे गये वे सारे कारण सिर्फ कुछ नेताओं के दिमाग में चल रहे थे. इसका जमीनी जुड़ाव कुछ नहीं है, उद्देश्यविहीन अविश्वास प्रस्ताव था. और संख्याबल पहले से अधिक हुआ है तो उसका गिरना तय ही था. अब जहां तक मुद्दे उठाने की पद्धति का और ये प्रधानमंत्री जी के साथ गले मिलने का जो प्रयास राहुल गांधी जी ने किया. मैं मानता हूं कि न तो ये प्रयास संसदीय प्रणाली के साथ सुसंगत है और न ही कोई गंभीर किस्म के नेतृत्व का बर्ताव है.
कांग्रेस पार्टी के पास इसके बचाव करने के अलावा कोई चारा नहीं है, मगर इतनी गंभीरता से जब संसद में चर्चा होती है तो आंख के इशारे करना, भाषण करते वक्त की बॉडी लैंग्वेज, भाषण में शब्दों का प्रयोग, ये तीनों नेतृत्व की मेच्योरिटी का स्तर दिखाता है.
Qशिवसेना वोटिंग से अलग रही. भविष्य में आप शिवसेना के साथ किस तरह के रिश्ते देखते हैं.
देखिए, अब ये शिवसेना का फैसला है कि उन्होंने अनुपस्थित रहने का निर्णय किया, भविष्य में जिस तरह से चीजें आगे बढ़ेंगी, भारतीय जनता पार्टी हर प्रकार की स्थिति के लिए तैयार है.
Q2019 लोकसभा चुनावों में विपक्षी दल साथ आ सकते हैं, ऐसे में पार्टी की क्या संभावनाएं हैं और मुख्य मुद्दा क्या होगा.
विपक्ष ऐसी भ्रांति फैला रहा है और माफ कीजिएगा, यह सवाल उससे प्रभावित लगता है. जहां तक विपक्षी दलों के एक होने का सवाल है, उत्तरप्रदेश के अलावा कहीं पर इस एकता के मायने नहीं हैं. चंद्राबाबू जी का पश्चिम बंगाल में क्या प्रभाव पड़ेगा या ममता बहन का आंध्रप्रदेश में क्या प्रभाव पड़ेगा, देवगौड़ा जी का उत्तरप्रदेश में क्या प्रभाव पड़ेगा. ये सारे लोग 2014 में हमारे खिलाफ अपने-अपने राज्यों में चुनाव लड़े हैं और हम उनको हरा के आये हैं. सिर्फ चंद्राबाबू नायडू हमारे पास से चले गये हैं.
एनडीए के कुनबे से तो नीतीश बाबू जुड़े हैं और इसके अलावा उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, नार्थ-ईस्ट, तमिलनाडु और कई अन्य राज्यों में नये साथी हमारे साथ जुड़े हैं. मैं मानता हूं की हमारी ताकत बढ़ी है और विपक्षी एकता एक आकाशी सपना है. अविश्वास प्रस्ताव में भी उसका गुब्बारा फूटा है.
एआईडीएमके बीजेपी के साथ आया है, बीजू जनता दल ने वॉक आउट किया है, टीआएस ने वॉक आउट किया है, बहुत सारे छोटे-छोटे दलों ने वॉक आउट किया है, तो यही बताता है इनकी एकता का क्या हाल है. और जहां तक सवाल उत्तरप्रदेश का है, हम 50 प्रतिशत की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं. उत्तरप्रदेश में दोनों चुनावों में हमारा वोटिंग शेयर औसत 44 प्रतिशत रहा है और जो कमी है, उसको पूरा करने के लिए हमारा आयोजनबद्ध परिश्रम चल रहा है.
Qमध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनाव नजदीक हैं. इन राज्यों में लंबे समय से भाजपा की सरकारें हैं, एंटी इनकंबेंसी की चुनौती से कैसे निबटेंगे.
देखिए, पिछले चुनाव में भी वहां पर ऐसा कहते थे कि लंबे समय से भाजपा की सरकार है, फिर भी हम चुन कर आये. उसके बाद फिर लोकसभा का चुनाव आया और हम चुनकर आये. जितने भी निकाय चुनाव हुए हैं, भाजपा स्वीप कर गयी है. राजस्थान में अंतिम उपचुनाव छोड़ कर सारे हम जीते हैं. कभी ऐसा नहीं हो सकता कि कोई सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी नहीं हो सकती, मगर इन तीनों सरकारों ने बड़ा पॉजिटिव वोट बैंक भी जेनेरेट किया है, जो एंटी इनकंबेंसी को कंपंसेट करता है. मैं मानता हूं की मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में प्रचंड बहुमत के साथ सरकारें बनेंगी और राजस्थान में भी हम सरकार बनाने में सफल रहेंगे.
Qलोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराये जाने पर आप क्या सोचते हैं
हमारी पार्टी का स्टैंड है कि सभी चुनाव साथ साथ होने चाहिए. उसको संभव बनाने के लिए एक अच्छी और स्वस्थ सार्वजनिक बहस की जरूरत है. सार्वजनिक बहस के निष्कर्ष पर उचित लेजिस्लेटिव रिफॉर्म की भी जरूरत है.
Qऐसे कौन से राज्य हैं जहां भाजपा और बेहतर कर सकती है
पूरे नार्थ ईस्ट में काफी संभावनाएं हैं. 25 सीटों में से मुझे लगता है 21 सीट हम जीत सकते हैं, अभी हमारी 8 सीटें हैं. बंगाल में हमारी 2 सीटें ही हैं हम 22 सीटों तक जा सकते हैं. ओडिशा में भी हम बहुत अच्छा परफॉर्म करेंगे,आंध्र में भी बढ़ोतरी होगी और तेलंगाना में भी बढ़ोतरी होगी.
Qआपने कांग्रेस मुक्त का नारा दिया, पार्टी अथवा सहयोगियों की 19 राज्यों में सरकारें हैं, आप लोकतंत्र में विपक्ष को कितना जरूरी मानते हैं
विपक्ष को जरूर मजबूत होना चाहिए पर उसे मजबूत रखने की जिम्मदारी मेरी नहीं है. विपक्षी पार्टियों को अपने आपको जनता की भावनाओं के अनुरूप बदलना पड़ेगा. भारतीय जनता पार्टी की केंद्र में सरकार बनने के बाद मोदी जी के नेतृत्व में भारतीय राजनीति में सबसे बड़ा बदलाव आया है. मैं मानता हूं कि मोदी जी का भारतीय राजनीति में बड़ा योगदान है. भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में लिखा जायेगा कि उन्होंने भारतीय लोकतंत्र को परिवारवाद, जातिवाद और तुष्टिकरण से मुक्त बनाया है और विकास की राजनीति का एक नया युग मोदी जी के नेतृत्व में शुरू हुआ है.
Qमुसलमानों के मन में भाजपा को लेकर एक अविश्वास है, इसको कैसे दूर करेंगे.
मुझे इसमें लगता है मीडिया की भूमिका एक लंबे अर्से तक एक प्रकार की रही है. हम तो चाहते हैं कि मीडिया सच्चाई बताए तो यह तुरंत दूर होगा.
Qहाल में आपने झारखंड का दौरा किया, आपकी नजर में झारखंड में कैसा काम कर रही रघुवर सरकार
झारखंड में रघुवर सरकार ने पहली बार राजनीतिक स्थिरता देने का काम किया है. स्पष्ट उदे्श्यों के साथ रघुवर सरकार ने विकास को नीचे तक पहुंचाने का काम किया है, विशेषकर आदिवासी इलाके में. बहुत सारी योजनाएं रघुवर सरकार ने बनायी हैं. उनमें से कृषि का मैं विशेष उल्लेख करना चाहूंगा. कुछ ही राज्यों में कृषि को केंद्र में रखते हुए विकास का नक्शा खींचा गया है, उसमें से एक झारखंड राज्य है.
Qऐसा कहा जा रहा है कि झारखंड में जो अच्छे काम सरकार ने किये हैं, उसे संगठन गांव-गांव तक पहुंचा नहीं पा रहा है. झारखंड में भाजपा संगठन के काम से आप संतुष्ट हैं या इसमें कोई बदलाव की जरूरत महसूस करते हैं
ऐसा हमेशा ही लगता रहता है, लेकिन काम अच्छा है तो लोग अनुभव करते ही हैं. नरेंद्र मोदी सरकार ने गैस का सिलिंडर दिया और रघुवर सरकार ने चूल्हा दिया है तो जिसको मिला है उसको मालूम ही है कि हमें यह नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार ने दिया है. जहां पर बिजली पहुंची है उन गांवों को मालूम है कि 70 सालों के बाद बिजली किसने पहुंचायी है.
जहां पर प्रधानमंत्री आवास योजना के आवास पहुंचे हैं, उनको मालूम है की आवास हमें कहां से मिला है.भारतीय जनता पार्टी ने अखिल भारतीय स्तर पर पांच करोड़ कार्यकर्ताओं के 22 करोड़ लाभार्थियों से संपर्क करने की योजना बनायी है और अक्टूबर से यह योजना शुरू हो जायेगी. इसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा लागू की गयी विभिन्न योजनाओं के लाभार्थी शामिल हैं. इस संपर्क योजना से लाभार्थियों से संपर्क में जो कमी रह गयी है, उसे ठीक कर लिया जायेगा.
Qबिहार में जेडी-यू के साथ सीट बंटवारे को लेकर क्या कुछ प्रगति हुई
अभी इस पर कोई अधिकारिक चर्चा नहीं हुई, मगर मुझे लगता है की जिस प्रकार से समझौतों को टिकाने की दोनों ओर से इच्छाशक्ति है, तो सीट का बंटवारा कोई बड़ी बात नहीं है.
Qलोकसभा चुनावों में पश्चिम बंगाल में पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहेगा, आपको क्या उम्मीद है
अच्छा प्रदर्शन रहेगा. अपोजिशन की पार्टी तो हम बन ही गये हैं. अब हर चुनाव में पहला नंबर भारतीय जनता पार्टी का आता है. इतने रिगिंग के बाद भी लगभग 7000 पंचायतों में भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों का चुन कर आना और कम्युनिस्ट और कांग्रेस को बहुत पीछे छोड़ देना, मैं मानता हूं की हमारे लिए बहुत उत्साहवर्धक है. मै अभी पुरुलिया गया था, मोदीजी अभी मिदनापुर गये थे और जो रिस्पांस दोनों जगहों पर बंगाल की जनता की ओर से मिला है, मुझे लगता है बंगाल में त्रिपुरा की तरह बड़ा परिवर्तन होने जा रहा है. अभी मैं 11 दिसंबर को कोलकाता जाने वाला हूं.
पूरे बंगाल के युवाओं की वहां रैली रखी है. बंगाल में परिवर्तन का मूड बन चुका है. कानून और व्यवस्था की स्थिति और मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण बंगाल की जनता परेशान है और बंगाल के संस्कृतिक जीवन पर जिस प्रकार का आघात हुआ है, मैं मानता हूं कि इस बार बहुत बड़ा परिवर्तन बंगाल की जनता करने जा रही है.
Qक्या उन नेताओं को पार्टी टिकट देगी, जिनकी उम्र 75 साल पार कर गयी है
ये तो स्पष्ट ही है कि वे कहीं पर भी हमारे सरकार के शासन व्यवस्था में नहीं हैं. ये पार्टी का सैद्धांतिक फैसला है. वे किसी भी जगह पद पर नहीं रहेंगे. उनके चुनाव लड़ने पर कोई फैसला अभी नहीं हुआ है.
Qयशवंत सिन्हा और शत्रुघन सिन्हा भाजपा के बड़े नेताओं में रहे हैं. एक ने भाजपा छोड़ दी, दूसरे पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं, इनसे कैसे निबटेंगे.
यशवंत सिन्हा जी ने तो पार्टी छोड़ ही दी है. शत्रुघ्न सिन्हा को ये फैसला खुद करना है.
Q2019 की दृष्टि से पार्टी क्या नया करने जा रही है.
चुनावी दृष्टि से बहुत सारे नये कार्यक्रम आनेवाले हैं. सभी मोर्चों के राष्ट्रीय सम्मेलन होंगे. पार्टी की भी 19-20 अगस्त को राष्ट्रीय कार्यकारिणी है और सबसे बड़ी बात लाभार्थी संपर्क सम्मेलन की है. 2014 के चुनाव में मोदीजी के नेतृत्व में देश में जो परिवर्तन आया है, इससे जनता के बीच एक नयी आशा बंधी है. 2013 में देश की जनता मानती थी कि हमारी संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली शायद फेल हो चुकी है.
परंतु 2014 में मोदीजी की सरकार बनने के बाद ये भरोसा राष्ट्र में फिर से जीवित हुआ है और देश का सम्मान दुनिया में बढ़ा है. सरकार बनी तब गरीबों, दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के कल्याण की बात और विशेषकर कृषि क्षेत्र के विकास के लिए किसानों की बात प्रधानमंत्री ने आग्रह से कही थी. साढ़े चार साल के अंदर लगभग सभी गरीब परिवारों का जीवन स्तर उठाने का हमने निष्ठावान और सफल प्रयास किया है.
किसी को गैस का सिलिंडर मिला है, किसी को बिजली मिली है, किसी को घर मिला है, किसी को शौचालय मिला है, किसी को मुद्रा बैंक योजना का लोन मिला है, सभी गांवों में बिजली आयी है, लाखों गांव रोड कनेक्टीविटी और ई-कनेक्टीविटी से जुड़े हैं और देश में पहली बार गरीब, दलित, पिछड़े, किसान, आदिवासी और महिलाओं में एक नया उत्साह जगा है. देश की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है.
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पूरी दुनिया ने ये बात स्वीकार कर ली है कि भारत अपनी सीमाओं और सम्मान की रक्षा करने में समर्थ है. वन रैंक वन-पेंशन करके हमने सीमा के जवानों का हौसला बढ़ाया और दाओस के सम्मेलन में प्रधानमंत्री को जिस तरह से उद्घाटन भाषण करने का मौका मिला, उससे पूरी दुनिया आज नरेंद्र मोदी जी को और भारत में विश्व स्तर का नेतृत्व मान कर चल रही है. इस गौरव का अनुभव हर भारतीय कर रहा है.
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