35.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

मानव बनाम मशीन : जानें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की हकीकत

मानव बनाम मशीन : जानें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की हकीकत विकास होगा या विनाश! वैज्ञानिक युग के उभार के दौर में यह उम्मीद दशकों पहले जाहिर की गयी थी कि भविष्य में तकनीक ऐसे दौर में पहुंच जायेगी, जब इनसान के ज्यादातर काम अंगुलियों के छूने भर से हो जायेंगे. कंप्यूटर, मोबाइल और एटीएम आदि के […]

मानव बनाम मशीन : जानें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की हकीकत
विकास होगा या विनाश!
वैज्ञानिक युग के उभार के दौर में यह उम्मीद दशकों पहले जाहिर की गयी थी कि भविष्य में तकनीक ऐसे दौर में पहुंच जायेगी, जब इनसान के ज्यादातर काम अंगुलियों के छूने भर से हो जायेंगे. कंप्यूटर, मोबाइल और एटीएम आदि के उपयोगों को देखें, तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमता) हमें उस दौर की आेर ले जाता दिख भी रहा है.
हालांकि, आम लोगों के बीच इससे जुड़ी कई भ्रांतियां भी प्रचलित हैं, जिनकी असलियत कुछ और है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़ी दस प्रमुख धारणाओं और उनकी असलियत समेत इससे जुड़े जरूरी पहलुओं पर नजर डाल रहा है आज का साइंस टेक्नोलॉजी पेज…
– जॉर्ज वोर्स्की
आ ज से 19 वर्ष पूर्व जब ‘डीप ब्लू’ नामक सुपर कंप्यूटर ने शतरंज के खेल में गैरी कैस्परोव को मात दे दी, तब उसे मशीनी इंटेलिजेंस के सर्वाधिक अहम नमूने की संज्ञा दी गयी. इसी तरह, गूगल के ‘अल्फागो’ ने ग्रैंडमास्टर ली सेडोल के खिलाफ खेलते हुए पहले तीन गेम में से दो में जीत हासिल कर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआइ (कृत्रिम बुद्धिमता) द्वारा ह्यूमन इंटेलिजेंस यानी एचआइ (मानवीय बुद्धिमता) तक की निकटतम दूरी पर पहुंच दर्ज कर ली. हालांकि, अब भी हम एआइ के पूरे निहितार्थों को समझने के करीब नहीं हैं. एआइ को लेकर हम बेहद गंभीर और कई खतरनाक भ्रांतियों के शिकार हैं.
दरअसल, इनसान द्वारा किये गये अब तक के सभी आविष्कारों के विपरीत, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में यह क्षमता है कि वह मानवता के भविष्य का पुनर्निर्माण कर सकता है, मगर यह इसका विनाश भी कर सकता है. इसके किस पहलू पर यकीन किया जाए, यह कहना कठिन है, पर वैज्ञानिकों के कार्यों के आधार पर अब इसकी पहले से कहीं अधिक साफ तसवीर सामने आ चुकी है. इस संबंध में कुछ प्रमुख भ्रम इस प्रकार हैं :
धारणा 1 : हम कभी भी ह्यूमन इंटेलिजेंस (एचआइ) की किस्म के एआइ का सृजन नहीं कर सकेंगे.
असलियत : अब भी हमारे पास ऐसे कंप्यूटर हैं, जो शतरंज जैसे खेलों में मानवीय क्षमताओं के बराबर अथवा बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं. कंप्यूटर और उन्हें संचालित करनेवाली प्रक्रिया में और बेहतरी होती जायेगी और यह केवल वक्त की बात है, जब वह किसी भी मानवीय गतिविधि में हमें पार कर जायेंगे.
धारणा 2 : भविष्य में एआइ चेतनायुक्त (कॉन्शस) होगा यानी सोच सकेगा.
असलियत : एआइ के विषय में एक सामान्य धारणा यह है कि वह इनसान की तरह ‘सोच’ सकेगा. लेकिन, कई वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि वह इनसान की तरह कोई बौद्धिक कार्य नहीं कर सकेगा, क्योंकि हमारे पास चेतना का कोई विज्ञानसम्मत सिद्धांत नहीं है. किंतु कुछ अन्य वैज्ञानिक बताते हैं कि हमें इन दो अवधारणाओं का घालमेल नहीं करना चाहिए. उनका कहना है कि चेतना यकीनन एक आकर्षक और अहम तथ्य है, पर ह्यूमन इंटेलिजेंस की बराबरी करने के लिए चेतना की जरूरत नहीं है. एक अत्यंत उन्नत कंप्यूटर सचेतन होने की छवि पैदा कर सकता है, पर वह स्वयं के बारे में एक कैलकुलेटर से अधिक सचेतन कभी नहीं हो सकता.
धारणा 3 : हमें एआइ से भयभीत नहीं होना चाहिए.
असलियत : कुछ लोगों का मानना है कि एआइ से दुनिया का बहुत भला होगा. मगर यह सिर्फ अर्धसत्य ही है और इसकी कोई गारंटी नहीं है कि इसके सभी कार्य हानिरहित ही होंगे. एक अत्यंत ‘बुद्धिमान’ कंप्यूटर किसी एक कार्य के विषय में काफी सक्षम हो सकता है, किंतु बाकी के बारे में वह बिल्कुल ही अनजान और गैर-जागरूक होगा. अमेरिका और इजरायली सेना ने ईरान के न्यूक्लियर पावर प्लांट्स को नाकाम करने के लिए स्टक्सनेट नामक एक वायरस विकसित किया, लेकिन इसने एक रूसी न्यूक्लियर पावर प्लांट्स को भी संक्रमित कर दिया. इसी तरह, फ्लेम नामक कंप्यूटर प्रोग्राम से मध्यपूर्व में साइबर जासूसी का काम लिया जा रहा है. यह सच है कि तत्काल यह वायरस एआइ की श्रेणी में नहीं आते, लेकिन भविष्य में इनके उन्नत संस्करण संवेदनशील बुनियादी संरचनाओं को अकथ हानि पहुंचा सकने की क्षमता हासिल कर सकते हैं.
धारणा 4 : एआइ इतना बुद्धिमान होगा कि वह गलती कर ही नहीं सकेगा.
असलियत : एआइ पर शोध करनेवाले कुछ वैज्ञानिक यह समझते हैं कि यदि कोई सुपर कंप्यूटर कोई ऐसी गलती कर बैठे, जिसके परिणाम विनाशकारी हों, तो वह ऐसी गलतियां अपने पूरे जीवनकाल में करता रहेगा. अन्य वैज्ञानिक यह भी कहते हैं कि एआइ केवल वही कार्य कर सकेगा, जिसके लिए उसकी ‘प्रोग्रामिंग’ होगी. यदि वह बहुत अधिक ‘बुद्धिमान’ हो ही गया, तो यह भी समझ लेगा कि उसे क्या करने या न करने के लिए बनाया गया है.
धारणा 5 : एआइ की नियंत्रण प्रणाली में यदि कोई खराबी आयी, तो उसे अासानी से ठीक किया जा सकेगा.
असलियत : यदि यह मान लिया जाये कि हम इनसान से भी उन्नत एआइ का सृजन कर लेते हैं, तो फिर हम उसकी नियंत्रण प्रणाली की किसी खराबी का समाधान कैसे निकाल सकेंगे या यह कैसे सुनश्चित कर सकेंगे कि वह हमेशा मानवहितैषी बना रहे- इसे लेकर कई तरह की परिकल्पनाएं की गयी हैं और बहुत-से समाधान भी सुझाये गये हैं, लेकिन उनमें कोई भी संतोषजनक नहीं हैं और अभी इस दिशा में काफी कुछ और शोध करने की जरूरत है.
धारणा 6 : हम अत्यंत उन्नत एआइ द्वारा नष्ट कर दिये जायेंगे.
असलियत : एलेन मस्क, बिल गेट्स और स्टीफन हॉकिंग जैसे चिंतकों ने इसकी चेतावनियां दी हैं, पर इसकी कोई निश्चितता नहीं है कि एआइ हमारा विनाश कर देगा या कि हम उसे नियंत्रित करने के कोई उपाय नहीं निकाल सकेंगे. उसी तरह, अभी पूरे यकीन से यह भी नहीं कहा जा सकता कि वह ऐसा नहीं ही कर सकेगा.
धारणा 7 : उन्नत एआइ दोस्ताना होगा.
असलियत : कुछ वैज्ञानिक यह मानते हैं कि बुद्धिमानी का नैतिकता से गहरा संबंध होता है और उन्नत एआइ अत्यंत नैतिक भी होगा, पर इनसानों में ऐसा कोई नियम जैसा नहीं दिखता. अभी यह मान लेना जोखिमभरा होगा कि अत्यंत उन्नत एआइ के विषय में ऐसा नहीं होगा.
धारणा 8 : एआइ और रोबोटिक्स के जोखिम एक जैसे ही होंगे.
असलियत : ये हॉलीवुड की टर्मिनेटर जैसी फिल्मों से फैले भ्रम हैं. यदि स्काइनेट जैसे एआइ मानवता को नष्ट करना ही चाहेगा, तो उसे मशीनगन चलाते किसी इनसान जैसे दिखते रोबोट की जरूरत नहीं होगी. वह इससे कहीं अधिक सक्षमता से प्लेग जैसी बीमारी फैला कर या वातावरण का नाश कर ऐसा कर देगा. एआइ रोबोटविज्ञान के लिए अपने निहितार्थों के चलते नहीं, बल्कि भविष्य में अपनी किसी विकृति की वजह से खतरनाक होगा.
धारणा 9 : वैज्ञानिक उपन्यासों में चित्रित एआइ की किस्में भविष्य का सटीक स्वरूप प्रस्तुत करती हैं.
असलियत : यह सही है कि विभिन्न लेखकों द्वारा वैज्ञानिक उपन्यासों द्वारा भविष्य को लेकर असाधारण रूप से विचित्र कल्पनाएं की गयी हैं, पर उन्नत एआइ द्वारा प्रस्तुत घटनाओं का क्षितिज कुछ और ही होगा. सच्चाई यह है कि मानव प्रकृति से बिलकुल ही भिन्न होने की वजह से हमारे लिए एआइ की प्रकृति या उसके स्वरूप को जान पाना अथवा उसकी कल्पना कर पाना बहुत कठिन है. वैज्ञानिक उपन्यासों में वैसा चित्रण इसलिए होता है कि उन्हें पाठकों के लिए मनोरंजक बनाने की बाध्यता होती है.
धारणा 10 : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा हमारे सारे काम अपने हाथों में ले लेना बहुत भयानक होगा.
असलियत : हमारे द्वारा किये जानेवाले समस्त कार्यों का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा स्वचालन बहुत दूर की कौड़ी है, जो असलियत से कोसों दूर है. इसके विपरीत, वास्तविकता यह है कि निकट भविष्य में ही काफी बड़े पैमाने पर हमारे कार्यों का स्वचालन संपन्न हो जायेगा और हम उसमें आये व्यवधानों से प्रभावी ढंग से निपट सकेंगे.
(जॉर्ज वोर्स्की कनाडा के एक भविष्य विश्लेषक, लेखक और नैतिकतावादी हैं, जो मानवीय कार्यों और अनुभवों पर आधुनिकतम विज्ञान व प्रौद्योगिकी के प्रभाव पर काफी कुछ लिखते और बोलते रहे हैं. आलेख ब्लॉग से साभार)
भारत में एआइ संबंधी शोध और विकास
भारत ने भी इस दिशा में सही वक्त पर शोध और विकास का कार्य शुरू कर दिया था. इसके लिए रक्षा शोध एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा बेंगलुरु में 1986 में ही सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (सीएआइआर) की स्थापना की गयी. इस संस्थान में उच्चस्तरीय सुरक्षित संचार, आदेश और नियंत्रण व इंटेलिजेंट कंप्यूटर सिस्टम पर शोध और विकास का कार्य होता है, जिसमें 150 वैज्ञानिकों समेत कुल लगभग 300 विशेषज्ञ काम करते हैं.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) यानी कृत्रिम बुद्धिमता ऐसी कंप्यूटर प्रणालियों के अध्ययन और विकास को कहते हैं, जो ऐसे कार्य कर सके, जिसमें सामान्यतः मानवीय बुद्धि की जरूरत होती है, जैसे दृष्टिबोध, ध्वनि की पहचान, फैसले लेना और एक भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद करना आदि. वर्ष 1955 में जॉन मैकार्थी ने इसे यह नाम दिया था और इसे परिभाषित करते हुए कहा था कि यह ‘बुद्धियुक्त मशीन’ बनाने का विज्ञान और इंजीनियरिंग है.
एआइ से संबद्ध कुछ प्रमुख शोधार्थी और पुस्तकें इसे एक ऐसा क्षेत्र बताते हैं, जिसमें इंटेलीजेंट एजेंट्स का अध्ययन व डिजाइन किया जाता है. यहां इंटेलिजेंट एजेंट्स से मतलब एक ऐसी प्रणाली से है, जो अपने परिवेश को समझते हुए ऐसी क्रियाएं करती है, जो उसकी सफलता की संभावनाएं ज्यादा से ज्यादा बढ़ा सके.
क्या कंप्यूटर कभी पूर्ण एआइ का प्रदर्शन कर सकेंगे?
अभी तक तो कोई भी कंप्यूटर पूर्ण एआइ यानी मानवीय व्यवहारों जैसा प्रदर्शन नहीं कर सका है. इस दिशा में अब तक सबसे बड़ी प्रगति खेल के क्षेत्र में ही हो सकी है, जहां सबसे बेहतर कंप्यूटर प्रोग्राम शतरंज में इनसान को पराजित कर पाने में सफल हुए हैं.
असेंबली संयंत्रों में विभिन्न पुर्जों को जोड़ कर एक संपूर्ण रूप तैयार करने (जैसे मोटरगाड़ियों के कारखाने में आम तौर पर किया जाता है) के काम में रोबोट विज्ञान के क्षेत्र में हुई प्रगति के आधार पर अब कंप्यूटरों का व्यापक तौर पर इस्तेमाल होने लगा है, किंतु अभी वे बहुत सीमित ढंग के कार्यों के लायक ही हो सके हैं. विभिन्न वस्तुओं को उनकी शक्ल और स्पर्श आदि के आधार पर पहचान पाने में रोबोट को बहुत कठिनाई होती है.
कंप्यूटरों में यदि भाषा प्रसंस्करण की नैसर्गिक क्षमता पैदा कर दी जाये, तो इनसान बगैर किसी विशिष्ट तकनीकी जानकारी के उससे बातें कर सकेगा और यह उसके लिए एक बहुत बड़ी चीज होगी. मगर इस दिशा में किये गये अब तक के सभी प्रयास निष्फल साबित हुए हैं. इसी तरह, ध्वनि पहचान प्रणाली से संपन्न कंप्यूटर भी विकसित किये जा चुके हैं, जो बोले गये शब्दों को लिख सकते हैं, पर वे यह नहीं ‘समझ’ सकते कि वे क्या सुन और लिख रहे हैं.
एआइ से जुड़े दुनिया के प्रमुख शोध और विकास केंद्र
अमेरिका के स्टेनफोर्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट इंटरनेशनल द्वारा संचालित एआइ सेंटर इस दिशा में शोध का विश्व का अग्रणी केंद्र माना जाता है, जिसकी स्थापना 1966 में की गयी थी. कुछ ऐसे भी प्रतिष्ठित संस्थान हैं, जो एआइ के क्षेत्र में शोध के साथ-साथ उसकी नकारात्मक संभावनाओं को रोकने की दिशा में बहुत कुछ कर रहे हैं. इनमें प्रमुख हैं, ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज विवि द्वारा संयुक्त रूप से संचालित स्ट्रेटेजिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रिसर्च सेंटर.
अमेरिका के बर्कले में स्थित एक अन्य संस्थान है मशीन इंटेलिजेंस रिसर्च इंस्टीट्यूट. ऑक्सफोर्ड विवि के अंतर्गत स्थापित और इस मुद्दे से ही संबद्ध कार्य करनेवाला एक अन्य प्रतिष्ठित संस्थान है, फ्यूचर ऑफ ह्यूमैनिटी सेंटर, जिसकी स्थापना इस क्षेत्र के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक प्रो निक बोस्ट्रोम ने की. जिनकी पुस्तक ‘सुपरइंटेलिजेंस : पाथ्स, डेंजर्स, स्ट्रेटेजीज’ अत्यंत लोकप्रिय रही है.
प्रस्तुति : विजय नंदन

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें