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जिला बार एसोसिएशन का फैसला, कोई भी अधिवक्ता नहीं करेगा कुंदन की पैरवी

रांची: पूर्व माओवादी कुंदन पाहन के केस की पैरवी कोई भी अधिवक्ता नहीं करेगा. मंगलवार को हुई जिला बार एसोसिएशन की बैठक में इसका फैसला लिया गया. बैठक में कुंदन के सरेंडर के बाद उसे महिमामंडित किये जाने का विरोध किया गया. एसोसिएशन के महासचिव संजय कुमार विद्रोही ने बताया, कुंदन पाहन मामले में सरेंडर […]

रांची: पूर्व माओवादी कुंदन पाहन के केस की पैरवी कोई भी अधिवक्ता नहीं करेगा. मंगलवार को हुई जिला बार एसोसिएशन की बैठक में इसका फैसला लिया गया. बैठक में कुंदन के सरेंडर के बाद उसे महिमामंडित किये जाने का विरोध किया गया. एसोसिएशन के महासचिव संजय कुमार विद्रोही ने बताया, कुंदन पाहन मामले में सरेंडर पॉलिसी की सीबीआइ जांच जरूरी है. अधिवक्ताअों ने कहा कि कुंदन पाहन मानवता का दुश्मन है. उसके विरुद्ध विभिन्न न्यायालयों में हत्या, लूट अौर दुष्कर्म के सैकड़ों मामले लंबित हैं.
वह पूर्व मंत्री व विधायक रमेश सिंह मुंडा, इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार सहित कई पुलिसकर्मियों की हत्या का दोषी है. ऐसे में सरेंडर पॉलिसी के तहत उसे 15 लाख दिया जाना गलत है. ऐसे अपराधियों को ऐसी सुविधा उपलब्ध कराने से युवा दिग्भ्रमित होकर अपराध की अोर अग्रसारित होंगे. अधिवक्ता भरत महतो ने कहा कि सरेंडर पॉलिसी का दुरुपयोग किया जा रहा है. बैठक में लातेहार से आये एक व्यक्ति ने कहा कि उसके परिवार के पांच लोगों की कुंदन पाहन ने हत्या कर दी थी और घर भी जला दिया था. पर आज तक सरकार ने कोई सहयोग राशि प्रदान नहीं की, जबकि कुंदन पाहन को 15 रुपये पारितोषिक दिया जा रहा है जो पूर्णत: गलत है.
सरकार : मीडिया कवरेज रुके
हाइकोर्ट : रोक नहीं लग सकती
रांची. झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को पूर्व माओवादी कुंदन पाहन के सरेंडर मामले में स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने सरकार का मौखिक जवाब सुनने से इनकार कर दिया. लिखित जवाब देने का निर्देश दिया. कुंदन के सरेंडर मामले में मीडिया पर रिपोर्टिंग को लेकर प्रतिबंध लगाने के सरकार के आग्रह को नामंजूर कर दिया. खंडपीठ ने कहा कि प्रेस व मीडिया को लिबर्टी है. खबरों के छापने पर रोक नहीं लगा सकते हैं. सरेंडर मामले में हाइकोर्ट गंभीर है.
सरकार का पक्ष
अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार ने खंडपीठ को बताया कि यह संवेदनशील मामला है. राज्य की सुरक्षा से जुड़ा है. उन्होंने सरेंडर मामले में मीडिया रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया. कहा कि यह जनहित याचिका नहीं है, बल्कि पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटीगेशन है. न्यूज आइटम को आधार बनाया गया है. उन्होंने कहा : सरेंडर पॉलिसी नीतिगत फैसला है. इसे केंद्र ने भी न्यायसंगत बताया है. यह जनहित याचिका मेंटनेबल नहीं है. उन्होंने इसे खारिज करने का आग्रह किया.
साथ ही नोटिस जारी नहीं करने का आग्रह करते हुए सरकार से इंस्ट्रक्शन लेकर लिखित रूप से जवाब दाखिल करने की बात कही.
एमीकस क्यूरी का पक्ष
एमीकस क्यूरी अधिवक्ता हेमंत कुमार सिकरवार ने सरकार के मौखिक जवाब का विरोध किया. कहा कि उन्होंने जनहित याचिका दाखिल नहीं की है. यह पब्लिसिटी का मामला नहीं है. जिम्मेवार नागरिक के ताैर पर अखबारों में छपी खबरों की अोर कोर्ट का ध्यान आकृष्ट कराया था. कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका में तब्दील किया है. सरकार की सरेंडर पॉलिसी को गलत बताते हुए कहा कि कुंदन पर 128 मामले दर्ज हैं. सरकार सरेंडर के नाम पर कुख्यात नक्सली का रेड कॉरपेट वेलकम कर रही है. इनाम के रूप में 15 लाख दिया गया. हीरो बनाया जा रहा है. इससे समाज में गलत संदेश जा रहा है.

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