चेन्नई : दक्षिण भारत के दिग्गज राजनेताओं में शामिल जे जयललिता का निधन पिछले साल पांच दिसंबर को हो गया, लेकिन उनके करिश्माई व्यक्तित्व का जादू देखिए, तमिलनाडु के आरके नगर विधानसभा क्षेत्र में 12 अप्रैल को होने वाले उपचुनाव के प्रचार में वह हावी है.
कभी जयललिता के विश्वासपात्र और काफी करीबी रहे ओ पन्नीरसेल्वम गुट (एआईएडीएमके) ने जे जयललिता की डमी और ताबूत के साथ चुनाव अभियान शुरू किया है. यह ताबूत बिलकुल उस ताबूत की नकल है, जिसमें निधन के बाद जयललिता को रखा गया था. जयललिता की डमी को उनके पसंदीदा हरी साड़ी से सजाया गया है. साथ ही उसे तिरंगे से ढंक कर रखा गया है. पन्नीसेल्वम गुट ने यह दांव इसलिए खेला है, ताकि जयललिता को भगवान की तरह पूजने वाले लोगों का सहानुभूति वोट उन्हें मिल जाये.
ज्ञात हो कि जयललिता ने पन्नीरसेल्वम पर हमेशा विश्वास किया और जब आय से अधिक संपत्ति के मामले में उन्हें जेल जाना पड़ा और अस्वस्थ होने की स्थिति में भी उन्होंने पन्नीरसेल्वम पर भरोसा किया. लेकिन उनके निधन के बाद शशिकला नटराजन ने पन्नीरसेल्वम को पद से हटा दिया. बाद में विवाद इतना बढ़ा कि पार्टी विभाजन के कगार पर पहुंच गयी. उपचुनाव से पहले जब चुनाव चिह्न पर दावेदारी की बात आयी, तो चुनाव आयोग ने पार्टी का चुनाव चिह्न दो पत्ती को रद्द कर दिया और दोनों गुटों को अलग-अलग नाम के साथ नया चुनाव चिह्न भी दिया.
आरके नगर विधानसभा में 12 अप्रैल को होने वाले उपचुनाव के लिए जयललिता की भतीजी दीपा जयकुमार पन्नीरसेल्वम गुट की उम्मीदवार हैं तो शशिकला के भतीजे टीटीके दिनाकरन को उनके गुट ने चुनाव मैदान में उतारा है.हालांकि पन्नीरसेल्वम के इस कदम की राजनीतिक गलियारों में निंदा हो रही है और इसे अनुचित कदम बताया जा रहा है, लेकिन अब चुनाव के बाद ही पता चलेगा कि उनका यह कदम कैसा था.
