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बख्शे नहीं जायेंगे माल्या जैसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी, संपत्ति जब्त करने वाला आ गया कानून

नयी दिल्लीः अब देश का पैसा लेकर विदेश भागने वाले शराब कारोबारी विजय माल्या जैसे आर्थिक भगोड़े अपराधियों को बच पाना कठिन है. अब देश में इन भगोड़ा आर्थिक अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए सरकार ने नये कानून की मंजूरी दे दी है. सरकार के इस नये कानून के तहत देश छोड़कर भागने वाले […]

नयी दिल्लीः अब देश का पैसा लेकर विदेश भागने वाले शराब कारोबारी विजय माल्या जैसे आर्थिक भगोड़े अपराधियों को बच पाना कठिन है. अब देश में इन भगोड़ा आर्थिक अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए सरकार ने नये कानून की मंजूरी दे दी है. सरकार के इस नये कानून के तहत देश छोड़कर भागने वाले भगोड़े आर्थिक अपराधियों की संपत्ति जब्त करना आसान हो जायेगा. कानून मंत्रालय ने सोमवार को एक नये प्रावधान के साथ देश छोड़कर भागने वाले आर्थिक अपराधी और डिफाॅल्टरों की संपत्ति जब्त करने का अधिकार देने वाले विधेयक के मसौदे पर सहमति दे दी है.

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मंत्रालय विधेयक को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश करने से पहले उसमें एक विशेष छूट वाला प्रावधान (सेविंग क्लाॅज) शामिल करना चाहता था. यह प्रावधान जिसे सेविंग क्लाज कहा गया है, कानून में कुछ छूट उपलब्ध कराता है. प्रस्तावित कानून वैसे मामलों में लागू होगा जहां अपराध 100 करोड़ रुपये से अधिक के हो. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2017-18 के बजट भाषण में ऐसे भगोड़ों की संपत्ति जब्त करने को लेकर कानून में बदलाव या नया कानून लाने का वादा किया था. यह आर्थिक अपराध करने वालों को देश छोड़कर भारतीय कानून की प्रक्रिया से बचने वाले आर्थिक अपराधियों पर अंकुश लगाने पर जोर देता है.
विधेयक में वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) को आर्थिक अपराधी को भगोड़ा घोषित करने और संपत्ति जब्त करने को लेकर आवेदन देने की अनुमति देता है. एफआईयू वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाली तकनीकी खुफिया इकाई है. मनी लांड्रिंग निरोधक कानून के तहत अदालत को मामले की सुनवाई की जिम्मेदारी दी जायेगी. वित्त मंत्रालय ने विधेयक पर कैबिनेट नोट का मसौदा तैयार किया था और उस पर कानून मंत्रालय की राय मांगी थी.

सूत्रों ने कहा कि मंत्रालय ने विधेयक के प्रावधानों से सहमति जताते हुए इसमें विशेष छूट का प्रावधान शामिल करने का सुझाव दिया है. उसका कहना है कि प्रस्तावित विधेयक के प्रावधानों का मौजूदा कानून के प्रावधानों पर प्रभाव पड़ेगा. इसलिए उन प्रावधानों का असर बनाये रखने के लिए विधेयक में विशेष छूट वाला प्रावधान शामिल किया जाना चाहिए. वैसे मौजूदा कानून जिनके तहत अपराधियों के खिलाफ सुनवाई चल रही है, उसमें प्रतिभूतिकरण और वित्तीय आस्तियों का पुनर्गठन एवं प्रतिभूति हितों का प्रवर्तन अधिनियम कानून, 2002 (सरफेसी), बैंकों के बकाये ऋण की वसूली और वित्तीय संस्थान कानून तथा दिवाला एवं ऋण शोधन संहिता (आईबीसी) शामिल हैं.

सूत्रों के मुताबिक, कानून मंत्रालय का मानना है कि विधेयक वकील के जरिये संबंधित व्यक्ति की सुनवाई के लिए जरूरी संवैधानिक सुरक्षा उपाय, उसे जवाब देने के लिये समय दिये जाने, उसे समन के लिए नोटिस देने तथा उच्च न्यायालय में अपील करने का प्रावधान उपलब्ध कराता है. साथ ही, विधेयक में ऋणदाताओं को भुगतान के लिए संपत्ति के निपटान को लेकर एक प्रशासक की नियुक्ति का भी विधेयक में प्रावधान है. इसके अलावा, प्रस्तावित कानून का प्रावधान अन्य मौजूदा कानून के प्रावधानों पर प्रभावी होगा.

पूर्व में ऐसे मामले सामने आये हैं, जब बड़े अपराधी कानून से बचने के लिए देश छोड़कर फरार हो गये. पूर्व कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस के प्रमुख 61 वर्षीय विजय माल्या कर्ज के संदर्भ में कानूनी प्रक्रियाओं से बचने को लेकर भारत से फरार हो गया. वित्त मंत्रालय ने मई में प्रस्तावित कानून पर संबंधित पक्षों से प्रतिक्रिया मांगी थी.

मौसादा कानून के मुताबिक, भगोडा आर्थिक अपराधी का मतलब है कि कोई भी व्यक्ति जिसके खिलाफ आर्थिक अपराध के संदर्भ में गिरफ्तारी को लेकर वारंट जारी किया गया है और व्यक्ति देश छोड़कर चला गया है तथा आपराधिक कार्रवार्इ का सामना करने को लेकर भारत आने से इनकार करता है. साथ ही, व्यक्ति भगोड़ा आर्थिक अपराधी है, इसे साबित करने की जिम्मेदारी संबंधित प्राधिकरण के पास होगी.

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