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इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर लोकसभा में हंगामा, कांग्रेस ने कहा प्रधानमंत्री जवाब दें

<figure> <img alt="संसद, लोकसभा, राज्यसभा" src="https://c.files.bbci.co.uk/0FA7/production/_109770040_f78aaad0-a1c8-4086-b6e0-e5fed9f8d121.jpg" height="549" width="976" /> <footer>PTI</footer> </figure><p>संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कांग्रेस ने सदन में इलेक्टोरल बॉन्ड का मुद्दा उठाया. दोनों सदनों में कांग्रेस ने इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे को उठाया. इसकी वजह से राज्यसभा की कार्रवाई एक घंटे के लिए स्थगित करनी पड़ी.</p><p>वहीं लोकसभा में मनीष तिवारी ने इस […]

<figure> <img alt="संसद, लोकसभा, राज्यसभा" src="https://c.files.bbci.co.uk/0FA7/production/_109770040_f78aaad0-a1c8-4086-b6e0-e5fed9f8d121.jpg" height="549" width="976" /> <footer>PTI</footer> </figure><p>संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कांग्रेस ने सदन में इलेक्टोरल बॉन्ड का मुद्दा उठाया. दोनों सदनों में कांग्रेस ने इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे को उठाया. इसकी वजह से राज्यसभा की कार्रवाई एक घंटे के लिए स्थगित करनी पड़ी.</p><p>वहीं लोकसभा में मनीष तिवारी ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि चुनावी बॉन्ड जारी करने के कारण सरकारी भ्रष्टाचार को स्वीकृति दे दी गई है.</p><p>उन्होंने इसे सियासत में पूंजीपतियों का दखल भी करार दिया.</p><p>मनीष तिवारी ने कहा, &quot;2017 से पहले इस देश में एक मूलभूत ढांचा था. उसके तहत जो धनी लोग हैं उनका भारत के सियासत में जो पैसे का हस्तक्षेप था उस पर नियंत्रण था. लेकिन 1 फ़रवरी 2017 को सरकार ने जब यह प्रावधान किया कि अज्ञात इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए जाएं जिसके न तो दानकर्ता का पता है और न जितना पैसा दिया गया उसकी जानकारी है और न ही उसकी जानकारी है कि यह किसे दिया गया. उससे सरकारी भ्रष्टाचार पर अमलीजामा चढ़ाया गया है.&quot;</p><figure> <img alt="मनीष तिवारी" src="https://c.files.bbci.co.uk/5DC7/production/_109770042_3592b88e-4f61-4d6f-b735-d5253a0c9ec3.jpg" height="549" width="976" /> <footer>PTI</footer> </figure><p>मनीष तिवारी ने ये भी कहा कि &quot;इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम सिर्फ चुनावों तक सीमित थी, लेकिन 2018 में एक आरटीआई में सामने आया कि सरकार ने इल्क्टोरल बॉन्ड को लेकर आरबीआई के विरोध को भी दरकिनार कर दिया गया. इस पर सरकार जवाब दे.&quot;</p><p>इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे पर कांग्रेसी सांसद शशि थरूर ने कहा कि, &quot;इसके जरिए कारोबारी और अमीर लोग सत्ताधारी पार्टी को चंदा देकर राजनीतिक हस्तक्षेप करेंगे.&quot;</p><p>उन्होंने कहा, &quot;जब ये बॉन्ड पेश किए गए थे, तो हममें से कई लोगों ने गंभीर आपत्ति जताई थी लेकिन हमारी नहीं सुनी गई.&quot;</p><figure> <img alt="कपिल सिब्बल" src="https://c.files.bbci.co.uk/D15C/production/_109769535_cbfaf0a8-39c7-42cc-8a99-10c29fca5e6e.jpg" height="549" width="976" /> <footer>PTI</footer> </figure><h3>कांग्रेस सांसद ने कहा- इलेक्टोरल बॉन्ड एक बहुत बड़ा घोटाला</h3><p>उधर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा, &quot;इलेक्टोरल बॉन्ड का 95 फ़ीसदी पैसा बीजेपी को गया, क्यों गया, ये क्यों हुआ. 2017 के बजट में अरुण जेटली ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर जो रोक लगाई थी उसे ख़त्म कर दिया गया. अरुण जेटली ने यह रोक लगाई थी कि कोई भी कंपनी अपने लाभ के 15 फ़ीसदी से अधिक ज़्यादा पैसा नहीं लगा सकती. लेकिन अब उसे हटा लिया गया है. प्रधानमंत्री को इस पर जवाब देना होगा.&quot;</p><p>कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि &quot;इलेक्टोरल बॉन्ड एक बहुत बड़ा घोटाला है, देश को लूटा जा रहा है.&quot;</p><p>वहीं संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस मुद्दे को शून्य काल में उठाने की बात की. उन्होंने कहा, &quot;शून्यकाल का इतिहास बन चुका है. भ्रष्टाचार का मुद्दा उस वक्त था तो हम वेल में आते थे. हमारी सरकार में भ्रष्टाचर का एक भी मुद्दा नहीं है आप शून्यकाल में अपना मुद्दा उठाइए. विपक्ष के पास इसे लेकर केवल राजनीति करनी है.&quot;</p><p>लेकिन, इनवेस्टमेंट बैंकर सुशील केडिया इस पर अलग राय रखते हैं. </p><p>वह कहते हैं, &quot;भारतीय राजनीति को साफ-सुथरा करने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड्स की सबसे बड़ी पहल हुई है. इसमें दानकर्ता का नाम राजनीतिक दलों को घोषित नहीं करना पड़ेगा लेकिन, राजनीतिक दल को कितना पैसा मिला है वो बैंकिंग सिस्टम से आएगा और उस पैसे का हिसाब दलों को अपने खर्चे में चुनाव आयोग को देना होगा. अगर उसके बीच में भी कुछ गड़बड़ हो सकती है तो 15 दिन की एक शेल्फ़ लाइफ है. बिना मतलब के झूठ-मूठ का बवाल मचाना है, सनसनी को बढ़ावा देना, इस प्रकार की प्रक्रिया चल रही है.&quot; </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-47889792?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">इलेक्टोरल बॉन्ड के खिलाफ़ नहीं पर चंदा देने वाले की पहचान ज़ाहिर हो: चुनाव आयोग</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-47906206?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’कितना चंदा मिला है, पार्टियां बताएं'</a></li> </ul><figure> <img alt="इलेक्टोरल बॉन्ड, सुप्रीम कोर्ट" src="https://c.files.bbci.co.uk/11F7C/production/_109769537_4a6dfe00-eeeb-4de8-937b-d9e3a3f41171.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>इलेक्टोरल बॉन्ड पर इतना हंगामा क्यों?</h3><p>दरअसल भारत में राजनीतिक दलों को भले ही अपनी आय का ब्योरा सार्वजनिक करना होता है लेकिन उनकी फ़ंडिंग को लेकर पारदर्शिता नहीं होती.</p><p>बीते वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए थे जिनके ज़रिए उद्योग और कारोबारी और आम लोग अपनी पहचान बताए बिना चंदा दे सकते हैं.</p><p>दानकर्ताओं ने इन बॉन्ड के ज़रिए 150 मिलियन डॉलर यानी क़रीब 10 अरब 35 करोड़ रुपए का चंदा दिया है और रिपोर्ट्स के मुताबिक़ इनमें से ज़्यादातर रक़म बीजेपी को मिली है.</p><p>इसी वर्ष अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में इलेक्टोरल बॉन्ड पर तत्काल किसी रोक को लगाए बगैर सभी पार्टियों से अपने चुनावी फंड की पूरी जानकारी देने को कहा.</p><p>कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों से कहा कि चुनावी बॉन्ड के मार्फ़त चंदा देने वालों की पूरी जानकारी, कितना चंदा मिला, हर बॉन्ड पर कितनी राशि प्राप्त हुई उसकी पूरी जानकारी चुनाव आयोग को उपलब्ध कराएं.</p><p>इस मामले की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वो इस तरह की फंडिंग के ख़िलाफ़ नहीं लेकिन चंदा देने वाले शख़्स की पहचान अज्ञात रहने के ख़िलाफ़ है.</p><figure> <img alt="राहुल गांधी" src="https://c.files.bbci.co.uk/16173/production/_109738409_2b4bb7ef-23be-497b-b641-4479dc72b0fa.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>न्यू इंडिया में रिश्वत और अवैध कमीशन का नाम है इलेक्टोरल बॉन्डः राहुल गांधी</h3><p>कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर केंद्र सरकार पर ताज़ा हमला किया है. उन्होंने एक ट्वीट कर लिखा, &quot;नए भारत में रिश्वत और अवैध कमीशन को चुनावी बॉन्ड कहते हैं.&quot;</p><p><a href="https://twitter.com/RahulGandhi/status/1196448516475764736">https://twitter.com/RahulGandhi/status/1196448516475764736</a></p><p>राहुल गांधी ने अपने ट्वीट के साथ हफिंगटन पोस्ट की उस ख़बर को शेयर किया जिसमें यह लिखा गया है कि आरबीआई ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर असहमति जताते हुए सवाल उठाए थे.</p><p>इससे पहले कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया था कि आरबीआई को दरकिनार करते हुए इलेक्टोरल बॉन्ड पेश किए, ताकि काले धन को बीजेपी के कोष में लाया जा सके. कांग्रेस ने योजना को तुरंत समाप्त करने की मांग भी की.</p><p>वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी कहा था कि, रिजर्व बैंक को दरकिनार करते हुए चुनावी बॉन्ड लाया गया ताकि कालाधन बीजेपी के पास पहुंच सके.</p><p><a href="https://twitter.com/priyankagandhi/status/1196370871746617344">https://twitter.com/priyankagandhi/status/1196370871746617344</a></p><p>ट्वीट के जरिए प्रियंका ने लिखा, &quot;आरबीआई को दरकिनार करते हुए और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को ख़ारिज करते हुए चुनावी बॉन्ड को मंजूरी दी गई ताकि बीजेपी के पास कालाधन पहुंच सके. ऐसा लगता है कि बीजेपी को कालाधान ख़त्म करने के नाम पर चुना गया था, लेकिन यह उसी से अपना जेब भरने में लग गई. यह देश की जनता के साथ निंदनीय धोखा है.&quot;</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-47161303?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">राहुल गांधी में आख़िर नई धार कहां से आई </a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50106703?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मोदी को नहीं है अर्थशास्त्र की समझ: राहुल गांधी</a></li> </ul><h3>क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड?</h3><p>इलेक्टोरल बॉन्ड से राजनीतिक पार्टियों को चुनावी चंदा मिलता है. इसे लेकर विवाद होता रहा है.</p><p>दरअसल किसी भी राजनीतिक दल को मिलने वाले चंदे इलेक्टोरल बॉन्ड कहा जाता है.</p><p>सभी दलों को चुनाव आयोग में इसकी पूरी जानकारी देनी होती है.</p><p>राजनीतिक पार्टियां एक हज़ार, दस हज़ार, एक लाख, दस लाख और एक करोड़ रुपए तक का बॉन्ड ले सकती हैं.</p><p>ये इलेक्टोरल बॉन्ड 15 दिनों के लिए वैध रहते हैं केवल उस अवधि के दौरान ही अपनी पार्टी के अधिकृत बैंक ख़ाते में ट्रांसफर किया जा सकता है.</p><p>दान देने वालों की पहचान गुप्त रखी जाती है.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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