10.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

रंगमंच में इप्टा की परिवर्तनकारी भूमिका

अमितेश, रंगकर्म समीक्षक साल 1943 में 25 मई को मुंबई के मारवाड़ी हाल में प्रो हीरेन मुखर्जी ने ‘इंडियन पीपल्स थिएटर एसोसिएशन’ यानी ‘इप्टा’ की स्थापना के अवसर की अध्यक्षता करते हुए आह्वान किया- ‘लेखक और कलाकार आओ, अभिनेता और नाटककार आओ, हाथ से और दिमाग से काम करनेवाले आओ और स्वयं को आजादी और […]

अमितेश, रंगकर्म समीक्षक
साल 1943 में 25 मई को मुंबई के मारवाड़ी हाल में प्रो हीरेन मुखर्जी ने ‘इंडियन पीपल्स थिएटर एसोसिएशन’ यानी ‘इप्टा’ की स्थापना के अवसर की अध्यक्षता करते हुए आह्वान किया- ‘लेखक और कलाकार आओ, अभिनेता और नाटककार आओ, हाथ से और दिमाग से काम करनेवाले आओ और स्वयं को आजादी और सामाजिक न्याय की नयी दुनिया के निर्माण के लिए समर्पित कर दो.’
‘इप्टा’ नाम वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा ने दिया था. इसके बाद ‘इप्टा’ ने पूरे हिंदुस्तान में प्रदर्शनकारी कलाओं की परिवर्तनकारी शक्ति को पहचानने की कोशिश पहली बार की. कलाओं में अवाम को सजग करने की अद्भुत शक्ति है, इसे हिंदुस्तान की तमाम भाषाओं में पहचाना गया. पहले महासचिव अनिल डी सिल्वा ने इसका उद्देश्य निश्चित किया- ‘पीपल्स थिएटर स्टार्स पीपल’ यानी जनता के रंगमंच में जनता सितारा है. इप्टा का यह 75वां साल है, प्लेटिनम जुबली का साल.
पृथ्वीराज कपूर, बलराज और दमयंती साहनी, चेतन और उमा आनंद, हबीब तनवीर, शंभु मित्र, जोहरा सहगल, दीना पाठक जैसे अभिनेता; कृष्ण चंदर, सज्जाद जहीर, अली सरदार जाफरी, राशिद जहां, इस्मत चुगताई, ख्वाजा अहमद अब्बास जैसे लेखक; शांति वर्द्धन, गुल वर्द्धन, नरेंद्र शर्मा, रेखा जैन, शचिन शंकर, नागेश, जैसे नर्तक; रविशंकर, सलिल चौधरी, जैसे संगीतकार; फैज, मखदूम मोहिउद्दीन, साहिर लुधियानवी, शैलेंद्र, प्रेम धवन जैसे गीतकार; विनय राय, अण्णा भाऊ साठे, अमर शेख, दशरथ लाल जैसे लोक गायक, चित्तो प्रसाद, रामकिंकर बैज जैसे चित्रकार, पीसी जोशी जैसे नेता इसके शुरुआती सदस्य थे.
बंगाल-अकाल पीड़ितों की राहत जुटाने के लिए स्थापित ‘बंगाल कल्चरल स्क्वाॅड’ के नाटकों ‘जबानबंदी’ और ‘नबान्न’ की लोकप्रियता ने स्थापना की प्रेरणा दी. मुंबई तत्कालीन गतिविधियों का केंद्र था. बंगाल, पंजाब, दिल्ली, मालाबार, कर्नाटक, आंध्र, तमिलनाडु में प्रांतीय समितियां थीं. स्क्वाॅड से प्रेरित होकर बिनय राय के नेतृत्व में ‘सेंट्रल ट्रुप’ का गठन हुआ, जिसके तहत ‘स्पिरीट आॅफ इंडिया’, ‘इंडिया इम्मोर्टल’, कश्मीर आदि जैसी अद्भुत प्रस्तुतियां हुईं.
साल 1958 तक भारतीय रंगमंच में इप्टा ने परिवर्तनकारी भूमिका निभायी. लेकिन, आजादी के बाद से ही सरकार ने निगरानी शुरू कर दी. इसके नाटकों को प्रतिबंधित किया गया, सेंसर और ड्रामेटिक परफॉर्मेंस एक्ट का डंडा चलाकर कई प्रदर्शनों और प्रसार को रोका गया. सदस्यों की गिरफ्तारी होने लगी. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया और इप्टा के संबंधों में बदलाव आया. पीसी जोशी के बाद बीटी रणदीवे महासचिव बने.
पार्टी की नीतियां और इप्टा के प्रति उसका रवैया बदला. इप्टा में ऐसे लोग भी थे, जो पार्टी मेंबर नहीं थे. उन्हें बंधन का अनुभव हुआ और वे इप्टा छोड़ने लगे. हबीब तनवीर ने लिखा- ‘सन् 1948 की इलाहाबाद कॉन्फ्रेंस इप्टा की मौत थी, जिसका जनाजा निकला 1956 में. कई बार हैरत होती है क्या काम किया था इप्टा ने और कैसे खतम हो गया चुटकियों में.’
इप्टा ने सहभागिता से फासीवाद और साम्राज्यवाद विरोध की ठोस कलात्मक अभिव्यक्ति की और रंगमंच के सस्ते व्यावसायिक चमक-दमक के विरुद्ध प्रतिक्रिया की.
रंगमंच को अभिजात वर्ग के सीमित हिस्से से निकालकर बड़े तबके तक पहुंचा दिया. पारंपरिक रूपों- तमाशा, जात्रा, बर्रकथा को नाट्य भाषा में और किसान-मजदूरों के संघर्षों, हिंदू-मुस्लिम एकता को अपने में मिलाया और समूह गान, नृत्य नाटिका, मंच नाटक, नुक्कड़ नाटक के जरिये जनता तक पहुंचे.
अस्सी के दशक में इप्टा का पुनर्गठन हुआ, लेकिन तब सेंट्रल ट्रूप की तरह केंद्रीय संगठन नहीं था, न ही उसके पहले दौर जैसे रंगकर्मी. विडंबना कि इप्टा ने सरकारी नीतियों के साथ कदमताल किया. इप्टा का व्यापक प्रसार भी हुआ, छोटे-छोटे कस्बों तक पहुंची, लेकिन नब्बे के बाद इप्टा में कलात्मक और आलोचनात्मक धार कम हुई.
इप्टा की इकाइयों पर व्यक्तियों-परिवारों का वर्चस्व बढ़ता गया. वैकल्पिक जन-संस्कृति खड़ा करने की कवायद की जगह मुख्यधारा के रंगमहोत्सवों और अनुदान पाने की होड़ बढ़ी. समान विचारधारा वाले वैकल्पिक संगठनों से साहचर्य कायम करने का अभाव भी दिखा.
इस साल इप्टा का पटना में प्लेटिनम जुबली उत्सव मनाया जा रहा है. यह सुखद है कि विपरीत परिस्थिति में भी इप्टा के कई केंद्र सक्रिय हैं, लेकिन आज यह अपने अतीत की परछाई भी नहीं है.
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel